Site icon SHABD SANCHI

Adani का Operation Zeppelin: Hindenburg EXPOSED

Operation Zeppelin In Hindi News: जनवरी 2023 में, अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) पर एक विस्फोटक रिपोर्ट जारी की, जिसमें इसे “कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” (Largest Corporate Con) करार दिया गया। इस रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप की मार्केट वैल्यू से 150 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान किया और इसके सबसे बड़े पब्लिक ऑफरिंग को रद्द करना पड़ा। लेकिन अडानी ग्रुप ने इस हमले का जवाब एक गुप्त और रणनीतिक ऑपरेशन के साथ दिया, जिसे ‘ऑपरेशन जेपेलिन’ (Operation Zeppelin) नाम दिया गया। इस ऑपरेशन ने न केवल अडानी की छवि को बहाल किया, बल्कि हिंडनबर्ग के पीछे की ताकतों को बेनकाब करने की कोशिश की। कुछ दावों में यह भी कहा गया कि हिंडनबर्ग की इस साजिश में कांग्रेस (Congress), राहुल गांधी (Rahul Gandhi), सैम पित्रोदा (Sam Pitroda), या उनसे जुड़े लोग शामिल हो सकते हैं। आइए, इस पूरी कहानी को टाइमलाइन के साथ समझते हैं कि ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) क्या है और इसमें कितनी सच्चाई है।

ऑपरेशन जेपेलिन की पूरी कहानी

The Full Story of Operation Zeppelin In Hindi:

23 जनवरी, 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी 100 पेज की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन (Adani Stock Manipulation), अकाउंटिंग फ्रॉड (Adani Accounting Fraud), और ऑफशोर टैक्स हेवन्स (Offshore Tax Havens) के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इस रिपोर्ट का समय संदिग्ध था, क्योंकि यह ठीक उस वक्त आई जब गौतम अडानी (Gautam Adani) इजरायल में 1.2 बिलियन डॉलर के हाइफा पोर्ट डील (Haifa Port Deal) को अंतिम रूप देने वाले थे। इस डील को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (India-Middle East-Europe Economic Corridor) के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा था।

रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई, और कंपनी की मार्केट वैल्यू में 150 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। अडानी का सबसे बड़ा फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (Follow-on Public Offer) रद्द करना पड़ा। इजरायल में, हाइफा पोर्ट के सौदे पर सवाल उठे, जहां एक शीर्ष इजरायली नेता ने गौतम अडानी से हिंडनबर्ग के आरोपों पर जवाब मांगा। अडानी ने दृढ़ता से कहा कि ये आरोप “पूरी तरह झूठ” (Absolute Lies) हैं। कुछ इजरायली अधिकारियों को शक था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हाइफा पोर्ट डील को पटरी से उतारने की साजिश थी, क्योंकि यह डील चीन के क्षेत्रीय प्रभाव (Adani Hindenburg Report Chinese Influence) के खिलाफ एक जवाब थी।

हिंडनबर्ग के हमले के बाद अडानी ग्रुप ने तुरंत अपनी रणनीति बनाई। कंपनी ने कर्ज का समय से पहले भुगतान (Debt Prepayment), प्रमोटरों के गिरवी रखे शेयरों में कमी (Reduction in Pledged Shares), और नए निवेशकों को लाकर अपनी स्थिति मजबूत की। साथ ही, एक गुप्त ऑपरेशन शुरू हुआ, जिसे ‘ऑपरेशन जेपेलिन’ (Operation Zeppelin) नाम दिया गया। इस ऑपरेशन का नाम प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी के जेपेलिन हवाई जहाजों (German Zeppelin Airships) से प्रेरित था, जो टोही और बमबारी के लिए इस्तेमाल होते थे।

सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में इजरायली खुफिया एजेंसी (Israeli Intelligence Agency) की मदद ली गई। इसका मकसद हिंडनबर्ग रिसर्च के कामकाज, इसके संस्थापक नाथन एंडरसन (Nathan Anderson), और इसके पीछे की ताकतों को बेनकाब करना था। अडानी ने अमेरिका में हिंडनबर्ग के न्यूयॉर्क कार्यालय (Hindenburg New York Office) और इलिनॉय के ओकब्रूक टेरेस (Oakbrook Terrace, Illinois) में एक अन्य ठिकाने की निगरानी शुरू की। पूर्व खुफिया विशेषज्ञों (Former Intelligence Insiders) ने एक जटिल नेटवर्क का पता लगाया, जिसमें एक्टिविस्ट वकील (Activist Lawyers), पत्रकार (Journalists), हेज फंड (Hedge Funds), और राजनीतिक हस्तियां शामिल थीं। कुछ का संबंध कथित तौर पर चीनी हितों (Chinese Interests) से था, तो कुछ वॉशिंगटन के पावर ब्रोकर्स (Washington Power Brokers) से जुड़े थे।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जुलाई 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च को एक शो-कॉज नोटिस (Show-Cause Notice) जारी किया, जिसमें गैर-सार्वजनिक जानकारी (Non-Public Information) का उपयोग कर अडानी ग्रुप के शेयरों पर शॉर्ट-सेलिंग (Adani Short-Selling) का आरोप लगाया गया। हिंडनबर्ग ने इन आरोपों को “बकवास” करार दिया, लेकिन यह कदम अडानी के लिए एक रणनीतिक जीत थी।

10 अगस्त, 2023 को हिंडनबर्ग ने एक और रिपोर्ट जारी की, जिसमें सेबी की अध्यक्ष मधाबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति पर ऑफशोर फंड्स (Offshore Funds) में हिस्सेदारी का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमतों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल हुए। इसने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) जांच की मांग की। राहुल गांधी ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे (SEBI Chairperson Resignation) की मांग की और पूछा कि अगर निवेशकों का पैसा डूबता है, तो जिम्मेदार कौन होगा—प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi), सेबी प्रमुख, या गौतम अडानी?

जनवरी 2024 में, गौतम अडानी को स्विटजरलैंड में ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) की प्रगति के बारे में जानकारी दी गई। अहमदाबाद में एक हाई-टेक कंट्रोल रूम (High-Tech Control Room) स्थापित किया गया, जिसमें साइबर विशेषज्ञ (Cyber Experts) और विश्लेषक (Analysts) काम कर रहे थे। अडानी की कानूनी टीमें (Legal Teams) ने अंतरराष्ट्रीय राजधानियों में काम किया। अक्टूबर 2024 तक, ऑपरेशन जेपेलिन का डोजियर (Zeppelin Dossier) 353 पेज का हो गया, जिसमें हिंडनबर्ग के खिलाफ सहयोगी नेटवर्क का विवरण था।

16 जनवरी, 2025 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी गतिविधियां बंद करने की घोषणा की। इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने कहा कि उन्होंने “उन साम्राज्यों को हिलाया, जिन्हें हिलाने की जरूरत थी। लेकिन कई विशेषज्ञों, जैसे वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani), ने इसे सेबी की जांच और ऑपरेशन जेपेलिन के दबाव का नतीजा माना।

नवंबर 2024 में, अमेरिकी न्याय विभाग (US Department of Justice) और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अडानी ग्रुप के प्रमुख अधिकारियों पर भारत में नवीकरणीय ऊर्जा अनुबंध (Renewable Power Contracts) हासिल करने के लिए 2020-2024 के बीच 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत (Bribery Scheme) का आरोप लगाया। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि गौतम अडानी पर रिश्वत या न्याय में बाधा (Obstruction of Justice) का कोई आरोप नहीं है।

22 अप्रैल, 2025 को, ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) की कहानी सार्वजनिक हुई। यह खुलासा दर्शाता है कि अडानी ने न केवल अपनी व्यावसायिक स्थिति को बहाल किया, बल्कि हिंडनबर्ग के पीछे की ताकतों को उजागर करने में भी सफलता हासिल की। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन ने अमेरिकी एजेंसियों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स (US Agencies and Media Platforms) के बीच कथित संबंधों को उजागर किया, जो अडानी के खिलाफ नैरेटिव को बढ़ावा दे रहे थे।

कई दावों में कहा गया कि हिंडनबर्ग की अडानी के खिलाफ साजिश में कांग्रेस (Congress), राहुल गांधी (Rahul Gandhi), सैम पित्रोदा (Sam Pitroda), या उनसे जुड़े लोग शामिल हो सकते हैं। इन दावों की जांच करने पर निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं:

  1. राहुल गांधी और कांग्रेस की भूमिका (Rahul Gandhi and Congress)
    राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग की 2023 और 2024 की दोनों रिपोर्ट्स का इस्तेमाल अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ राजनीतिक हमले के लिए किया। उन्होंने सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और JPC जांच की मांग की। कांग्रेस के अन्य नेता, जैसे जयराम रमेश (Jairam Ramesh) और मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), ने भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को “मोदानी मेगास्कैम” (Modani MegaScam) करार देकर इसे भुनाने की कोशिश की।
  2. सैम पित्रोदा का कथित संबंध (Sam Pitroda)
    सैम पित्रोदा, जो इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (Indian Overseas Congress) के अध्यक्ष हैं, को कुछ दावों में हिंडनबर्ग के साथ जोड़ा गया, खासकर क्योंकि वह अमेरिका में रहते हैं और राहुल गांधी के करीबी सलाहकार हैं।
  3. जॉर्ज सोरोस और OCCRP का कोण (George Soros and OCCRP)
    कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि हिंडनबर्ग की फंडिंग और नैरेटिव को जॉर्ज सोरोस (George Soros) और ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) जैसे संगठनों ने समर्थन दिया। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने राहुल गांधी को सोरोस का “साझेदार” (Partner of Soros) करार दिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस भारत को अस्थिर करने की साजिश (Destabilize India) का हिस्सा है। ऑपरेशन जेपेलिन के तहत कथित तौर पर इन संबंधों की जांच की गई, लेकिन कोई सार्वजनिक दस्तावेज इन दावों की पुष्टि नहीं करता।
  4. PTI की रिपोर्ट
    अप्रैल 2025 में, एक समाचार एजेंसी ने ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) की कहानी को विस्तार से प्रकाशित किया, जिसमें अडानी के गुप्त ऑपरेशन और हिंडनबर्ग के खिलाफ उनकी रणनीति का जिक्र था। इस रिपोर्ट में इजरायली खुफिया एजेंसी की संभावित भूमिका और अडानी की वैश्विक कानूनी रणनीति पर प्रकाश डाला गया।

हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का समय और इसका अडानी ग्रुप पर प्रभाव संदिग्ध है, लेकिन यह कहना कि कांग्रेस, राहुल गांधी, या सैम पित्रोदा ने इस साजिश को प्रायोजित किया, बिना ठोस सबूत के केवल अटकलें हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस ने निश्चित रूप से हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की, जैसा कि उन्होंने संसद में और सोशल मीडिया पर अडानी-मोदी संबंधों (Adani-Modi Nexus) को उजागर करने की कोशिश की। लेकिन ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) के तहत सामने आए दस्तावेजों में मुख्य रूप से चीनी हितों (Chinese Interests) और अमेरिकी एजेंसियों (US Agencies) का जिक्र है, न कि कांग्रेस या इसके नेताओं का।

ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin) अडानी ग्रुप की हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सबसे बड़ी कॉरपोरेट पलटवार (Corporate Comeback) की कहानी है। इसने न केवल अडानी की छवि को बहाल किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर उनके खिलाफ साजिश रचने वालों को उजागर करने की कोशिश की।

Exit mobile version