चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम करने की नई जानकारी साझा की। दिल्ली में एक रक्षा कार्यशाला में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 10 मई को पाकिस्तान ने भारत की सीमा पर सैकड़ों अनआर्म्ड ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स (Unarmed Drones and Loitering Munitions) का इस्तेमाल किया, लेकिन इनमें से किसी ने भी भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाया।
पाकिस्तान का हमला नाकाम:
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर, जो 7 से 10 मई तक चला, भारत की ओर से 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के जवाब में शुरू किया गया था। इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती राज्यों पर ड्रोन हमले किए, लेकिन भारतीय सेना ने काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक तरीकों (Kinetic and Non-Kinetic Means) का इस्तेमाल कर इन ड्रोन्स को निष्प्रभावी कर दिया। कई ड्रोन तो लगभग सही हालत में बरामद किए गए, जिससे पता चलता है कि वे ठीक से काम ही नहीं कर रहे थे।
स्वदेशी तकनीक की जीत:
जनरल चौहान ने स्वदेशी हथियारों और काउंटर-ड्रोन सिस्टम (Counter-UAS Systems) की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि हमारे इलाकों और जरूरतों के लिए बने स्वदेशी काउंटर-यूएएस सिस्टम कितने जरूरी हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि आज का युद्ध कल की तकनीक से लड़ा जाना चाहिए (Tomorrow’s Technology for Warfare), और विदेशी तकनीक पर निर्भरता कमजोरी का कारण बन सकती है।
आत्मनिर्भरता पर जोर:
सीडीएस ने ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकों में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) को रणनीतिक जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि ड्रोन युद्ध में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं, और भारत को अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए स्वदेशी तकनीक में निवेश करना होगा। ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे पाकिस्तान के ड्रोन हमले पूरी तरह विफल रहे।
पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ पर चिंता:
जनरल चौहान ने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की निर्मित ड्रोन, जैसे बायक्तर टीबी2 (Bayraktar TB2), का इस्तेमाल किया। हाल ही में पाकिस्तान और तुर्की के बीच 900 मिलियन डॉलर के ड्रोन समझौते ने भारत में चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन ड्रोन्स को आसानी से निष्प्रभावी कर दिया।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व:
यह ऑपरेशन भारत और पाकिस्तान के बीच पहला गैर-संपर्क युद्ध (Non-Contact Warfare) माना जा रहा है, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को सीधे तौर पर नहीं देखा। जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए परमाणु ब्लैकमेल (Nuclear Blackmail) से डरने से इनकार कर दिया और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। ऑपरेशन में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले (Airstrikes on Terror Infrastructure) और पाकिस्तानी हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया।
: सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी “विराम” पर है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। भारत अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत कर रहा है, खासकर ड्रोन युद्ध और काउंटर-यूएएस तकनीकों में। उन्होंने चेतावनी दी कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश का संभावित गठजोड़ (China-Pakistan-Bangladesh Axis) भारत के लिए नई चुनौतियां पेश कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को दर्शाया, बल्कि स्वदेशी रक्षा तकनीकों की जरूरत को भी रेखांकित किया। यह भारत की आत्मनिर्भरता और आधुनिक युद्ध की तैयारियों का प्रतीक बन गया है।