केंद्र सरकार ने एक 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों सहित विश्व के प्रमुख देशों का दौरा करेगा। इसमें 51 सांसद-नेता और 8 राजदूत शामिल हैं, जिनमें NDA के 31 और अन्य दलों के 20 नेता, जिसमें कांग्रेस के 3 नेता भी हैं। यह प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेगा।
शशि थरूर को अमेरिका जाने वाले समूह की कमान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) एक समूह का नेतृत्व करेंगे, जो अमेरिका, गुयाना, पनामा, ब्राजील और कोलंबिया का दौरा करेगा। उनके साथ लोक जनशक्ति पार्टी की शांभवी चौधरी (Shambhavi Chaudhary) झामुमो के डॉ. सरफराज अहमद, टीडीपी के जीएम हरीश बालायगी, बीजेपी के शशांक मणि त्रिपाठी (Shashank Mani Tripathi), तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कालिता, शिव सेना के मिलिंद देवड़ा और राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल होंगे। थरूर ने कहा, “राष्ट्रीय हित में मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा। यह पार्टी राजनीति से ऊपर है।”
ऑपरेशन सिंदूर और भारत की रणनीति
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इनमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए और 9 आतंकी शिविर नष्ट हुए। भारत ने इसे संयमित कार्रवाई बताया और अब वैश्विक समुदाय को अपनी स्थिति से अवगत कराने के लिए यह कूटनीतिक अभियान शुरू किया है।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व और वैश्विक दौरा
सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व निम्नलिखित सांसद करेंगे:
- शशि थरूर (कांग्रेस): अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देश।
- रविशंकर प्रसाद (बीजेपी): सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया।
- बैजयंत पांडा (बीजेपी): अन्य प्रमुख देश।
- संजय कुमार झा (जदयू): जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया।
- कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके): अन्य देश।
- सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी): ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र।
- श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिव सेना): अन्य देश।
इनमें विभिन्न दलों के सांसदों के साथ वरिष्ठ राजनयिक और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं।
कांग्रेस में विवाद
शशि थरूर को नेतृत्व देने की घोषणा ने कांग्रेस के भीतर विवाद खड़ा किया। पार्टी ने सरकार पर बिना परामर्श के थरूर का नाम घोषित करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग के नाम सुझाए थे, लेकिन सरकार ने थरूर को चुना। जयराम रमेश ने इसे “नारद मुनि की राजनीति” करार दिया, जबकि बीजेपी ने कांग्रेस पर अपने ही नेता पर भरोसा न करने का आरोप लगाया।