Operation Mahadev : भारतीय सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन महादेव को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए तीन आतंकवादियों को मार गिराया है। श्रीनगर के बाहरी इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों में सुलेमान उर्फ आसिफ भी शामिल है, जिसे कथित तौर पर पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। इस ऑपरेशन में सुलेमान के दो साथी भी मारे गए हैं। इन दोनों आतंकवादियों की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। जिबरान कथित तौर पर पिछले साल सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था।
सेना का ऑपरेशन कैसे पूरा हुआ? Operation Mahadev
आतंकवादियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के बाद, भारतीय सेना की दो अलग-अलग राष्ट्रीय राइफल टीमों और विशेष बल के जवानों ने पहाड़ों पर घेराबंदी शुरू कर दी। आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में नागरिकों को कोई नुकसान न हो और जवानों को भी कम से कम खतरा हो। इस बात का ध्यान रखा गया और एक चक्रव्यूह रचा गया। इस ऑपरेशन का नाम महादेव इसलिए रखा गया क्योंकि यह श्रीनगर के काफी करीब है और यह ऑपरेशन सोमवार को हुआ था। इस पूरे इलाके में शालीमार बाग, निषाद और हरमन पर्यटन स्थल भी हैं। इसलिए इस ऑपरेशन में काफी एहतियात बरती गई।
तीनों आतंकवादी एक साथ मारे गए।
घेराबंदी के बाद, सेना ने तीनों आतंकवादियों पर चारों तरफ से गोलीबारी की और उन्हें मार गिराया। जंगल घना था और आतंकवादी कहीं बाहर न आएँ और उनका कोई मददगार गोली न चलाए। सुरक्षा बलों ने इसका भी ध्यान रखा। इसी वजह से चक्रव्यूह के तहत जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी और सीआरपीएफ को तैनात किया गया था। सीआरपीएफ और वैली क्विक एक्शन टीम की दो अलग-अलग टुकड़ियाँ भारतीय सेना के साथ इस पूरे ऑपरेशन में शामिल थीं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का बयान। Operation Mahadev
ऑपरेशन महादेव पर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “यह सच है कि तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए हैं। पुलिस प्रशासन इसकी पूरी जानकारी देगा। मैं सेना, पुलिस और इस ऑपरेशन में शामिल सभी लोगों को बधाई देता हूँ।” उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर की पुलिस और सेना के जवानों द्वारा कई महीनों से इस तरह के ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं और प्रशासन कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
90 दिनों से चल रहा ऑपरेशन। Operation Mahadev
आतंकवादियों को पकड़ने के लिए यह ऑपरेशन 90 दिनों से चलाया जा रहा था। इस समय अनंतनाग के साथ-साथ देचीगांव समेत छह-सात अलग-अलग जगहों पर ऑपरेशन चल रहा था। इस पूरे ऑपरेशन में 2000 से ज़्यादा जवान शामिल थे। देर रात से शाम तक नाइट विज़न कैमरों का इस्तेमाल किया गया। नाइट विज़न ड्रोन समेत कई आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेना ने इस दौरान ख़ुफ़िया एजेंसी की भी मदद ली। ऑपरेशन को भारतीय सेना ने अंजाम दिया, लेकिन बाहरी घेराबंदी जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ़ ने की।
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