13 दिसंबर को मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और डॉक्टर मोहन यादव के सीएम की कुर्सी संभाले एक साल पूरे हो गए. लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जनता से जो वादे किए थे क्या वो पूरे हुए ? क्या नए सिरे से सिस्टम बदलने की बात करने वाले एमपी सीएम मोहन यादव का सिस्टम पूरी तरह से इम्प्लीमेंट हुआ? क्या सीएम ने पिछले साल मिली नई जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाया और इन 365 दिनों में एमपी की जनता को इस सरकार से क्या मिला। आज हम इस वीडियो में प्रदेश सरकार के एक साल पूरे होने पर हर दिन का हिसाब लेकर आए हैं.
देखा जाए तो मोहन सरकार बनने के बाद एमपी में जो दो दशकों से नहीं हो पा रहा था वो बीते एक साल में हो गया। जैसे एमपी और राजस्थान के बीच जल बंटवारे को लेकर 25 साल से चल रहा विवाद खत्म हो गया. ये विवाद चंबल नदी के पानी को लेकर था. 60 के दशक में हुए बंटवारे के अनुसार चंबल नदी का 50 – 50 फीसदी पानी के हक़दार था लेकिन एमपी को जरूरत के कितना पानी नहीं मिलता था. मोहन यादव ने सीएम की कुर्सी संभालते ही इस विवाद को खत्म किया, दोनों राज्यों के बीच नया MOU साइन हुआ जिससे एमपी के 11 जिलों के 2094 गावों में लगभग 6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था हो गई.
इस विवाद के खत्म होने पर एमपी को दो बड़ी परियोजनाओं की सौगात मिली पहली तो नदी जोड़ो अभियान के तहत पार्वती-कालीसिंध – चंबल परियोजना और दूसरी केन – बेतवा परियोजना जिसका भूमिपूजन मोहन सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर ही 25 दिसंबर को किया जाना है.
मोहन यादव ने सीएम बनने के बाद एमपी में उद्योग स्थापित करने की मुहीम छेड़ी, साल भर में सभी संभागों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन कराया जहां शामिल हुए उद्यमियों से लगभग एक लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले, इसके अलावा सीएम विदेशी दौरे पर भी जाकर एमपी के लिए 60 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल लेकर लौटे। इतना ही नहीं भोपाल में फरवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में एमपी को बहुत कुछ मिलने की उम्मीद है।
महिलाओं को एमपी की सिविल सेवा परीक्षाओं में 35 फीसदी आरक्षण देने का फैसला भी मोहन यादव सरकार के गुड वर्क में जोड़ा जाना चाहिए। पहले महिलाओं को सिविल सेवा परीक्षा में 33 फीसदी आरक्षण मिलता था जिसे सीएम यादव ने बढाकर 35 फीसदी कर दिया। इससे एमपी की सिविल सर्विसेस में महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी।
मोहन यादव सरकार की एक बड़ी उपलब्धि ये भी रही कि उन्होंने केंद्र सरकार से 41000 मेगावाट के थर्मल पॉवर प्लांट के लिए कोयला आवंटन को स्वीकृति दिला दी। इससे प्रदेश में 25 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट और हजारो लोगों को रोजगार मिलने की संभाना है.
मोहन यादव की सरकार में फ्री एयर एम्ब्युलेंस की सुविधा शुरू हुई. एयर एम्ब्युलेंस जो सिर्फ अमीरों के लिए हुई करती थी उसे गरीबों तक पहुंचाने का काम मोहन यादव ने किया। आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए एयर एम्ब्युलेंस की सर्विस को फ्री और सुलभ बनाया गया. एमपी ऐसी सर्विस देने वाला देश का पहला राज्य बन गया.
एमपी में आखिरी बार सन 1978 में खजुराहों में एयरपोर्ट की शुरुआत हुई थी. 46 साल के बाद एमपी को 6वां रीवा एयर पोर्ट मिला इसी के साथ प्रदेश में प्रत्येक 200 किलोमीटर पर एयरपोर्ट और 150 किलोमीटर पर हवाई पट्टी बनाने की घोषणा की गई. रीवा को डिप्टी सीएम और सीएम यादव ने हवाई अड्डे की सबसे बड़ी सौगात देने का काम किया। इतना ही नहीं छोटे शहरों को एयर कनेक्टिवि से जोड़ने के लिए पीएम श्री वायुसेवा की शुरुआत हुई जिसके तहत यात्रियों को एक हजार रुपए से भी कम कीमत में हवाई यात्रा की सुविधा मिली।
सीएम मोहन यादव और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल बतौरस्वास्थ्य मंत्री, एमपी में डॉक्टर्स की कमी को गंभीरता से लेते हुए, बुदनी, मंडला , श्योपुर, सिंगरौली और राजगढ़ में, 150 सीटों के नए मेडिकल कॉलेज शुरू करने की बड़ी घोषणा की इसी के साथ इसी साल अक्टूबर में मंदसौर, नीमच और सिवनी में 100 सीटों के नए मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया, उज्जैन में भी 550 बीएड के नए अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन किया गया मोहन सरकार ने एमपी में 11 नए आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को शुरू करने का भी एलान किया है. सरकार का प्रयास ये है कि हर शहर में एक मेडिकल कॉलेज हो. ये प्रयास वाकई डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे राज्य के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. रीवा और उज्जैन में 101 करोड़ रुपए की लागत से आईटी पार्क बनाने का भी काम मोहन यादव सरकार ने शुरू किया है.
इसके अलावा मोहन सरकार के पहले बजट में अगले 5 सालों में 6 नए एक्सप्रेस वे के लिए 50 हजार करोड़ का बजट दिया गया जिसके तहत अटल प्रगति पथ, नर्मदा प्रगति पथ, विंध्य एक्सप्रेस वे, मालवा निमाड़ विकास पथ, बुंदेलखंड विकास पथ और मध्य भारत विकास पथ का निर्माण शुरू किया जाना है. सीएम यादव ने एमपी में आध्यात्मिक टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए राम पथ गमन के साथ साथ कृष्ण पाथेय योजना भी शुरू की, जिसके तहत एमपी में जहां – जहां श्री कृष्ण से जुड़े स्थल हैं वहां का विकास कार्य होना है.
इसके अलावा उन्होंने अयोध्या की तर्ज पर चित्रकूट को भी विकसित करने का भी काम शुरू किया साथ ही स्वदेश दर्शन योजना 2.0 और प्रसाद योजना के तहत ग्वालियर, पीतांबरा पीठ दतिया, और अमरकंटक में धार्मिक तीर्थ स्थलों के विकास की सौगात दी है।
परिवहन की बात करें तो, मोहन यादव सरकार ने पीएम कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस में पढ़ने वाले छात्रों को मात्र 30 रुपए में बीएस सर्विस शुरू की, इसके अलावा सीएम यादव ने भोपाल और इंदौर में मेट्रो परियोजना की तर्ज पर जबलपुर और ग्वालियर में भी मेट्रो शुरू करने का एलान किया है.
मोहन यादव ने शिवराज सरकार के वक़्त बंद की गई सविधाओं को भी बहाल करने का काम किया। शिवराज सरकार ने राज्य परिवहन निगम को बंद कर दिया था. जिससे प्रदेश का पूरा परिवहन निजी हाथों के भरोसे चला गया. मोहन सरकार ने फिर से परिवहन निगम को चलाने का फैसला लिया।
देखा जाए तो इन 365 दिनों में मोहन सरकार ने कई जिलों में बड़े -छोटे प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं जो हर सरकार का काम होता है. लेकिन सीएम मोहन यादव ने एमपी को बदलने की मुहीम शुरू की है. चाहे तो हेल्थ सेक्टर हो, इंफ्रास्टक्चर हो, टूरिज्म हो या एजुकेशन।
अब आइये बीजेपी के घोषणापत्र की भी चर्चा कर लेते हैं और जानते हैं कि चुनाव से पहले जो वाडे किए गए थे उनमे से कितने पूरे हुए और कितने अबतक अधूरे हैं.
बीजेपी के मेनिफेस्टो में ये वादा किया गया था कि सरकार बनने के बाद गेंहू का समर्थन मूल्य 2700 रुपए और धान का 3100 किया जाएगा मगर गेंहू का समर्थन मूल्य 2425 रुपए और धान का 2320 रुपए है. यानी सालभर में सरकार ने ये वादा पूरा नहीं किया।
घोषणा पत्र में ये वादा किया गया था कि सरकारी स्कूलों में मिड डे मील से पहले बच्चों को पौष्टिक नाश्ता दिया जाएगा मगर ये योजना फ़िलहाल शुरू नहीं हुई है.
सरकार ने मेनिफेस्टो में प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार या स्वरोजगार की गारंटी दी थी जो बीते एक साल में शुरू ही नहीं की गई.
संकल्पपत्र में PDS में गेंहू चावल के अलावा दाल, सरसों का तेल और शक़्कर देने की घोषणा की गई थी जिसे पूरा नहीं किया गया.
चुनाव से पहले जनता से मुख्य मंत्री जन आवास योजना के तहत आवासहीनों को पक्का मकान उपलब्ध कराने का वादा किया गया था मगर सरकार बनने के बाद इसकी चर्चा तक नहीं की गई.
मोहन सरकार ने जनता से 2 लाख लोगों को रोजगार देने का एलान किया था, सीएम ने हाल ही में एक लाख लोगों को रोजगार देने की घोषणा की है मगर बीते एक साल में एमपी में सिर्फ PSC परीक्षा हुई जिसका नोटिफिकेशन पिछले साल जारी हुआ था इसमें सिर्फ 283 पदों पर भर्ती होनी है.
सीएम यादव जब सीएम की कुर्सी पर बैठे तब उन्होंने सबसे पहले लाऊड स्पीकर्स को धीमा करने और खुले में बिकने वाले मांसाहार भोजन को सड़कों से हटाने का आदेश दिया। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इसे तरीके से लागू नहीं किया जा सका.
मोहन यादव ने एमपी में बढ़ती अफसरशाही पर लगाम कसने का भी प्रयास किया, आम लोगों से बदसलूकी करने वाले IAS अफसरों से लेकर पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लिया। इससे व्यवस्था में कुछ सुधार जरूर हुआ मगर अभी भी पुलिस की मनमानी पर पूरी तरह से नकेल नहीं कसी जा सकी है।
सीएम यादव ने एमपी में गौ पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को क्रेडिट कार्ड देने और 10 से अधिक गायों की देखभाल करने वालों की वित्तीय मदद का एलान किया था जिसे अबतक अमल में नहीं लाया गया है. सीएम ने अगस्त में सभी जिलों के कलेक्टर्स को 15 दिनों के अंदर सड़क पर घूमने वाले आवारा गोवंशों को गोशाला भेजवाने का भी निर्देश दिया था जिसका पालन नहीं किया गया।
सीएम मोहन ने एमपी में एक कर्मठ, तेज तर्रार मगर उदार सीएम के रूप में अपनी इमेज बिल्ड की है मगर पुराने ढर्रे पर चल रहे सिस्टम को बदलने के लिए एक साल काफी नहीं होता। वैसे आपको क्या लगता है एक साल में मोहन सरकार के किए काम से आप संतुष्ट हैं या असंतुष्ट हमें कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं