प्रयागराज। शिव भक्त इन दिनों भोले बाबा की भक्ति में लीन है। सभी शिवालयों में सुबह से देर शाम तक भक्तों का तांता लग रहा है। शिव मंदिरों में बजती घंटियां, शिव के मंत्र और शंख ध्वनि के बीच यूपी के प्रयागराज की शिवकुटी में एक ऐसा शिवालय जिसकी पहचान शिव कचहरी के रूप में की जाती है। यह मंदिर आस्था और अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां भक्त अपने पापों की अर्जी लगाते है और उनके मन की अर्जी को भगवान सुनते है। यहां भक्त को सजा भी मिलती है और वह अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए कान पकड़ कर खुद उठक-बैठक लगते है।
न्यायाधीश के सामने 287 वकील
शिव कचहरी के नाम से जाना जाने वाला यह मदिर अति प्राचीन है। यहां 288 शिवलिंग हैं। जिसमें से प्रमुख शिवलिंग को जज के रूप में पूजा जाता है, जबकि शेष 287 शिवलिंगों को वकील के रूप में प्रतीकात्मक स्थान मिला है। यह मंदिर श्रद्धालुओं को याद दिलाता है कि जीवन में पुण्य तभी पूर्ण होते हैं, जब व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो।
मंदिर का आकार अदालत जैसा
शिव कचहरी का जो स्वरूप है वह अदालत की तरह नजर आता है। मंदिर के अंदर पहुचने पर आध्यात्मिक अदालत की अनुभूति होती है, जहां भगवान ही न्यायाधीश भी हैं और उद्धारकर्ता भी। इस मंदिर के निर्माण को लेकर बताया जाता है कि नेपाल के राणा लोगो ने 1850 में इसे बनवाया था। मंदिर की स्थापना काल से ही इसकी पहचान शिव कचहरी के रूप में की जा रही है।
राणा परिवार ने बनवाया था मंदिर
मंदिर के बुजूर्ग पुजारी के अनुसार पौराणिक कथाओं में जो जानकारी मिलती है उसके तहत 1850 में नेपाल के राणा और शाह के बीच युद्ध हो गया था। इसमें राणा को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद राणा नेपाल से भारत आ गए। वे प्रयागराज के इस धरती पर अंग्रेजों से जमीन की खरीदी किए। उन्होने यहा पर लाल कोठी का निर्माण करवाया और इसके साथ ही इस शिव मंदिर को भी स्थापित किया था।
पूरे ब्रम्हांड के देवी-देवताओं का है वास
पुजारी बताते है कि शिव भक्त इस मंदिर को शिवकचहरी कहते है यू तो शिवभक्त अपनी अर्जी लेकर यहां अक्सर आते है, लेकिन सावन माह तथा शिव के विशेष दिनों में यहा शिव भक्तों की काफी भीड़ होती है, यहाँ पर पूरे ब्रम्हांड के देवी देवता शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं और इसके अध्यक्ष शिव जी है, लोगों का विश्वास है की यहाँ अपने गुनाहों को कबूल करके शिव जी से अपने गुनाहों की माफी मांगते है।