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One Nation One Election : ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को केरल विधनसभा ने बताया असंवैधानिक

One Nation One Election : केरल विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है। पारित प्रस्ताव में इसे असंवैधानिक करार दिया गया है। एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव की सिफारिश रामनाथ कोविंद पैनल ने की है। राज्य के विधायी मामलों के मंत्री एमबी राजेश ने कहा कि इससे देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। इससे देश के संसदीय लोकतंत्र की विविधतापूर्ण प्रकृति को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं और स्थानीय स्वशासी निकायों के कार्यकाल में भी कमी आने का रास्ता साफ होगा।

1967 तक चार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे।

उन्होंने तर्क दिया कि समिति लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को खर्च के तौर पर देख रही है, लेकिन ऐसा करना अलोकतांत्रिक है। राजेश ने कहा कि यह निंदनीय कदम है, क्योंकि चुनाव खर्च कम करने और प्रशासन को प्रभावी बनाने के और भी सरल तरीके हैं फिर एक साथ चुनाव को असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है?

संविधान के अनुसार एक देश-एक चुनाव। One Nation One Election

एक देश, एक चुनाव पर गठित उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने के विचार पर संविधान निर्माताओं ने विचार किया था। इसलिए यह असंवैधानिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एक देश, एक चुनाव एक लोकप्रिय नारा है, जिसका कुछ लोगों ने गलत अर्थ लगाया है।

एक साथ चुनाव से संघवाद मजबूत होगा।

इसके अलावा रामनाथ कोविंद ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि यह विचार असंवैधानिक है। लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि इस अवधारणा पर संविधान निर्माताओं ने विचार किया था। चुनाव आयोग समेत कई संस्थाओं ने पहले भी इस विचार का समर्थन किया है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तव में एक साथ चुनाव कराने से संघवाद और मजबूत होगा, क्योंकि तीनों स्तर की सरकारें पांच साल तक एक साथ काम करेंगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव एक लोकप्रिय नारा है, जिसका कुछ लोगों ने गलत अर्थ निकाला है। एक नैरेटिव बनाया गया है कि इसके तहत केवल एक चुनाव होगा और आगे कोई चुनाव नहीं होगा।

यह लोकतंत्र में सुधार की प्रक्रिया है। One Nation One Election

राजेश ने आगे कहा, ‘यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह केंद्रीकृत शासन के आरएसएस-भाजपा के एजेंडे को लागू करने का प्रयास है, जिसे हम इसमें देख सकते हैं। विपक्षी दल इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन करता है। यह लोकतंत्र में सुधार की एक प्रक्रिया है। विपक्ष ने प्रस्ताव में कुछ संशोधन सुझाए। उनमें से कुछ को स्वीकार कर लिया गया।

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