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Gurudutt Birth Anniversary | गुरुदत्त जिनकी फिल्में आज भी हिंदी सिनेमा में क्लासिक मानी जाती हैं

Gurudutt Birth Anniversary: गुरुदत्त हिंदी सिनेमा के एक महान फिल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और पटकथा लेखक थे, जिनकी फिल्में आज भी सौंदर्य, संवेदना और गहराई के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 1950 और 60 के दशक में कई क्लासिक फिल्में दीं। गुरुदत्त की फिल्मों में सामाजिक आलोचना, सौंदर्यबोध, संगीत और सिनेमाई दृष्टिकोण का अनोखा संगम दिखता है। वे न केवल एक महान अभिनेता थे, बल्कि एक दूरदर्शी निर्देशक भी थे। जिनकी कला आज भी अध्ययन और सराहना का विषय है। आइए जानते हैं उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों के बारे में।

प्यासा (1957)

1957 में रिलीज हुई, फिल्म प्यासा, गुरूदत्त की क्लासिकल फिल्मों से एक मानी जाती है। फिल्म में एक संघर्षशील कवि विजय की कहानी है, जो एक संवेदनशील हृदय वाला कवि है लेकिन समाज उसकी रचनाओं को ठुकरा देता है। फिल्म में गुरुदत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा प्रमुख कलाकार हैं। फिल्म में संगीत दिया है एस. डी. बर्मन ने और गीत लिखे थे, साहिर लुधियानवी ने। इस फिल्म को टाइम मैगज़ीन ने 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शामिल किया है।

कागज़ के फूल (1959)

यह फिल्म एक निर्देशक और उसकी प्रेरणा स्त्रोत के बीच के संबंधों की त्रासदी और उसके पतन की कहानी है। जिसमें गुरुदत्त और वहीदा रहमान मुख्य कलाकार हैं। फिल्म का निर्देशन भी गुरूदत्त ने ही किया था। 1959 में रिलीज हुई यह फिल्म, भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म मानी जाती है। हालांकि फिल्म उस दौर में असफल रही, लेकिन बाद में इसे कल्ट क्लासिक माना जाता है। इस फिल्म का निर्देशन भी मास्टरपीस माना जाता है।

    सी.आई.डी (1956)

    1956 में रिलीज हुई यह फिल्म, एक अपराध थ्रिलर है, जिसमें एक पुलिस अफसर मर्डर मिस्ट्री की तह तक पहुँचता है। फिल्म को गुरूदत्त ने प्रोड्यूस किया था, जबकि फिल्म का निर्देशन राज खोसला ने किया था। फिल्म के मुख्य कलाकार- देवानंद, शकीला और वहीदा रहमान हैं। यह फिल्म का हुआ था।

      Mr. & Mrs. ’55 (1954)

      1954 में रिलीज हुई, यह एक हल्की-फुल्की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म है, जो गुरुदत्त की सबसे ज्यादा व्यावसायिकसफल फिल्म थी। जिसमें एक प्रगतिशील लड़की और एक पारंपरिक कार्टूनिस्ट की टकराहट है। फिल्म के मुख्य कलाकार गुरुदत्त और मधुबाला हैं। लेकिन मधुबाला से पहले गुरुदत्त ने मुख्य अभिनेत्री की भूमिका के लिए श्यामा को चुना था, लेकिन उनकी फीस की डिमांड ज्यादा थी, उसके बाद यह रोल वैजयंतीमाला को ऑफर किया गया, लेकिन व्यस्तता के वजह से वह यह फिल्म नहीं कर पाईं थीं, 2011 में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, फिल्म ना कर पाने का पछतावा, उन्हें आज भी होता है। हसरत जयपुरी और साहिर लुधियानवी ने इस फिल्म के गीत लिखे थे, जबकी फिल्म का संगीत ओ.पी. नैयर का है।
      विशेषताएँ:

        चौदहवीं का चाँद (1960)

        1960 में आई फिल्म चौदहवीं का चाँद, गुरुदत्त द्वारा निर्मित और एम. सादिक द्वारा निर्देशित एक मशहूर हिंदी फिल्म है, जो अपने जमाने की सबसे खूबसूरत और यादगार फ़िल्मों में गिनी जाती है। गुरुदत्त ने अपनी कागज के फूल फिल्म के असफल होने के बाद, इस फिल्म को बनाया था। यह फिल्म लखनऊ की तहज़ीब, नफासत और मुस्लिम समाज की पृष्ठभूमि पर आधारित एक रोमांटिक प्रेम त्रिकोण की कहानी है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं, गुरुदत्त और वहीदा रहमान थे। फिल्म का संगीत दिया था रवि ने, जबकि गीत लिखे थे, शकील बदायूँनी ने। फिल्म का एक गीत “चौदहवीं का चाँद हो या आफ़ताब हो…”, आज भी बहुत ही सुपरहिट माना जाता है। इस फिल्म से ही तकनीकी रूप से रंगीन फिल्मों में बेहतरीन प्रयोग शुरू हुए थे।

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