Odisha: 46 साल बाद आज खुल रहा है जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार , जानिये पूरा मामला

Odisha: भगवान् जगन्नाथ का रत्न भंडार आज 46 साल बाद आखिर खुल गया. कहा जाता है कि इसके आस पास सांप हो सकते है। अभी तक इस रत्न भण्डार की चाभियाँ नहीं मिल रही थी।

तीनों देवताओ के रक्खे है गहने

चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है। आज तक इसका मूल्यांकन नहीं किया गया है। यह ऐतिहासिक भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन के उत्तरी किनारे पर है।

बता दें, पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत तैयार किए गए अधिकारों के रिकॉर्ड में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की एक सूची शामिल है।

परिसर की होंगी रिकॉर्डिंग

रत्न भंडार को खोलने को लेकर एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें रत्न भंडार को खोलने को लेकर निर्णय लिया गया था. बैठक में रत्नभंडार खोलने और आभूषणों की देखभाल करने का फैसला लिया गया था. बैठक में हुई चर्चा और ‘पुरोहितों’ और ‘मुक्ति मंडप’ के सुझावों के अनुसार, रत्न भंडार खोलने का सही समय दोपहर 1:28 बजे का रखा गया था. यह प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के दो सेटों के साथ की जाएगी और दो प्रमाणपत्र होंगे. हालांकि यह एक चुनौती से कम नहीं है क्योंकि पूरे 46 साल से दरवाजा नहीं खोला गया है और यह बात कोई नहीं जानता कि अंदर के क्या हालात है. इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि रिकॉर्डिंग से वास्तविक स्थति का पता चल सकेगा।

इस पूरे ऑप्रेशन की निगरानी एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी करेंगे. रत्न भण्डार का दोबारा खोला जाना एक महत्वपूर्ण घटना है.

खो गई थी परिसर की चाभी

ये चाबी नियम के मुताबिक, पुरी कलेक्टर के पास होती हैं. तत्कालीन कलेक्टर अरविंद अग्रवाल थे. उन्होंने माना था कि उनके पास चाबी की कोई जानकारी नहीं. इसके बाद राज्य में काफी बवाल हुआ था। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को आकर सफाई देनी पड़ी थी.साल 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने सरकार को निरीक्षण के लिए मंदिर का ये कक्ष खोलने का निर्देश दिया था. हालांकि चैंबर की चाबियां नहीं मिल सकी थीं, जिससे पूरे राज्य में नाराजगी देखी गई थी.

क्या है रत्न भण्डार

जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक धाम है, इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था. इस मंदिर में रत्न भंडार भी है. रत्न भंडार को भगवान का खजाना कहा जाता है. इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के गहने रखे हैं. ये जेवरात कई राजाओं और भक्तों ने भक्ति के साथ समय-समय पर देवताओं को चढ़ाए थे, जिनको रत्न भंडार में रखा जाता रहा है.

कब कब खुला है रत्न भंडार

मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख अरविंद पाढी ने बताया कि इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी। रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था। उस समय इसकी मरम्मत करके इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाबी भी गायब है। 

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