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बेटियों के लिए समर्पित है 11 अक्टूबर, जब एक जुट हो गई थी दुनिया भर की महिलाएं

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस। हर साल 11 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। यह दिन लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा, समान अवसरों और सशक्तिकरण को समर्पित है। 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह दिन तय किया ताकि समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच और समानता को बढ़ावा दिया जा सके।

दरअसल अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय पालन दिवस है; इसे बालिका दिवस और अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस भी कहा जाता है। 11 अक्टूबर 2012 को बालिका दिवस पहली बार मनाया गया था। यह अवलोकन लड़कियों के लिए अधिक अवसरों का समर्थन करता है और दुनिया भर में लड़कियों द्वारा उनके लिंग के आधार पर सामना की जाने वाली लैंगिक असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इस असमानता में शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल और भेदभाव से सुरक्षा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और जबरन बाल विवाह जैसे क्षेत्र शामिल हैं ।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

इस दिवस की जड़ें 1995 के बीजिंग महिला सम्मेलन से जुड़ी हैं, जहां दुनिया भर की महिलाओं ने एकजुट होकर लड़कियों के अधिकारों की आवाज उठाई। इसके बाद 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित किया। पहली बार इसे वर्ष 2012 में मनाया गया और तब से यह हर साल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।

सीएम मोहन यादव ने दी बधाई

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार हर परिस्थिति में प्रदेश की बेटियों के साथ खड़ी है। बेटियां पढ़ें, आगे बढ़ें और अपने सपनों को साकार करने के लिए नित नई उड़ान भरें। उन्होंने कहा कि हमारी बेटियां, भारत की विकास यात्रा में सशक्त भूमिका निभाएं। राज्य सरकार बेटियों के संकल्पों की सिद्धि में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।

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