मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या 2025: 10 साल में दोगुनी हो गई

Number of vultures in Madhya Pradesh 2025: मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट है, क्योंकी पूरे भारत में सबसे ज्यादा बाघ यहीं रहते हैं ऐसा कहा जा सकता है कि दुनिया के किसी भी देश में इतने बाघ नहीं हैं जितने मध्य प्रदेश में हैं, मगर MP सिर्फ Tiger State नहीं बल्कि तेंदुआ स्टेट (Leopard State) और चीता स्टेट (Cheetah State) भी है, इसके अलावा मध्य प्रदेश भेड़िया स्टेट (Wolf State ) और गिद्ध स्टेट (Vulture State) भी है. मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या काफी बढ़ी है, जहां देश में गिद्ध विलुप्ति की कगार पर हैं वहीं एमपी में इनकी संख्या अब काफी हद तक बढ़ गई है।

मध्य प्रदेश में कितने गिद्ध हैं

How Many Vulture Are In Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश में वर्तमान समय में गिद्धों की संख्या 12 हजार के ज्यादा पहुंच गई है जो 10 सालों में दोगुनी हो गई है। 3 दिन हुई गिनती में ये आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में मध्य प्रदेश के अंदर गिद्धों की कुल 7 प्रकार की प्रजातियां पाई गई हैं जिनमे भोपाल वन विहार में रहने वाले सफ़ेद पीठ वाले गिद्ध भी शामिल हैं.

बता दें कि 17, 18 और 19 फरवरी को वन विभाग के 16 सर्कल , 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की गिनती की गई थी। जिसके आंकड़े अब सामने आए हैं। इसके मुताबिक, प्रदेश में अभी 12 हजार 981 गिद्ध हैं।

एमपी कैसे बना गिद्ध स्टेट

मध्य प्रदेश में गिद्धों की गणना की शुरुआत वर्ष 2016 से की गई थी। एमपी में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती है। इसमें से 4 प्रजातियां स्थानीय एवं 3 प्रजाति प्रवासी हैं। गिद्धों की गणना करने के लिए शीत ऋतु का अंतिम समय सही रहता है। इस दौरान स्थानीय एवं प्रवासी गिद्धों की गणना आसानी से हो जाती है। वर्ष 2019 की गणना में गिद्धों की संख्या 8 हजार 397, वर्ष 2021 में 9 हजार 446 और वर्ष 2024 में बढ़कर 10 हजार 845 हो गई थी। इसी के साथ मध्य प्रदेश को गिद्ध स्टेट का दर्जा भी मिल जाता है।

कैसे विलुप्ति की कगार पर खड़े हैं गिद्ध

दरअसल साल 1990 से 92 के बीच देश में गिद्धों की संख्या 4 करोड़ से ज्यादा थी, मगर साल दर साल इनकी संख्या कम होती गई. पिछले कुछ सालों में जंगली जानवरों के इलाज के लिए उन्हें डायक्लोफेनाक दवा दी जाती, जो वन्य प्राणियों के चोट लगने और सूजन पड़ने पर राहत देती थी, मगर जब जंगली जानवरों की मौत होती और गिद्ध उनके मांस को खाते तो उनकी भी मौत हो जाती थी। इसी लिए इस दवा को बाद में प्रतिबंधित करना पड़ा. जाहिर है गिद्ध हमारे पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी हैं, फ़ूड चेन में इन्हे सबसे ऊपर रखा गया है.

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