NPS Tier 2 Withdrawal Rules : नेशनल पेंशन सिस्टम का टायर्ड तो अकाउंट एक फ्लैक्सिबल सेविंग ऑप्शन होता है जिसमें निवेश करने वाले लोग बिना किसी लॉक इन अवधि के पैसा निकाल सकते हैं। यह अकाउंट मुख्य रूप से उन सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होता है जो नियमित रूप से बचत करके एक बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं लेकिन साथ ही जरूरत पड़ने पर फंड निकालने की सुविधा भी लेना चाहते हैं।
जुलाई, 2024 से पहले के नियम
23 जुलाई 2024 तक NPS Tier 2 Withdrawal Rules पर सामान्य कैपिटल गैन टैक्स नियम लागू होते थे।
लेकिन यदि निवेश किए गए अमाउंट को 36 महीने या उससे अधिक समय तक रखा गया है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन माना जाएगा। वही लॉन्ग टर्म गैन पर इंडक्शन बेनिफिट भी मिलता है अर्थात महंगाई को एडजस्ट करके टैक्स भी कम लगता है।
लेकिन वही अगर 36 महीने से काम का समय का रिडेंप्शन शॉर्ट टर्म गेम माना जाता है और उसे पर आयकर स्लैप के अनुसार टैक्स भी लगता है।

जुलाई 2024 के बाद के नए नियम
हमारी सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में कुछ बदलाव करते हुए निवेश करने वाले लोगों को कुछ राहत दी है।
NPS Tier 2 Withdrawal Rules को अब लॉन्ग टर्म करने के लिए होल्डिंग पीरियड 24 महीने तक का कर दिया गया है।
हालांकि 23 जुलाई 2024 के बाद किए जाने वाले निकासी पर इंडक्शन बेनिफिट खत्म हो जाएगा जिसका मतलब यह है कि अब लॉन्ग टर्म gain पर महंगाई एडजस्टमेंट का लाभ आपको नहीं मिलेगा। शॉर्ट टर्म गेम पर अब भी निवेशक की इनकम स्लैब दर पर टैक्स होगा।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी निवेश करने वाले व्यक्ति ने अप्रैल 2022 में ₹100000 का एनपीएस टायर टू अकाउंट में निवेश किया है और जून 2024 में पैसा निकाल लिया है।
जैसा कि यह निकासी 23 जुलाई 2024 से पहले हुई है और अभी 26 महीने की ही थी इसलिए यह लॉन्ग टर्म नहीं माना जाएगा जिसके कारण यह शॉर्ट टर्म गेन होगा और सामान्य आयकर दर पर ही टैक्स लगेगा।
लेकिन अगर यही निकासी अगस्त 2024 में की जाती तो निवेश 28 महीने का पुराना होता तो यह लॉन्ग टर्म गैन माना जाता है लेकिन इंडक्शन का फायदा नहीं मिलता।
निवेशकों के लिए क्या मायने हैं?
इस नए नियम के बाद निवेश करने वाले लोगों को कम अवधि में लॉन्ग टर्म का कैपिटल गेन का फायदा मिल सकता है हालांकि इंडक्शन हटाने से टैक्स बचत करने के मौके भी घट गए हैं लेकिन निवेश करने वाले लोग आप अपने एनपीएस टायर टू निकलने की टाइमिंग और टैक्स प्लानिंग पर ज्यादा ध्यान देकर टैक्स बचत कर सकते हैं।