लोकसभा सचिवालय ने नियमों में बदलाव कर दिया है. केवल सांसद ही अपने व्यक्तिगत लॉगिन का उपयोग कर सकेंगे। अब कोई भी निजी कर्मचारी या तीसरा पक्ष डिजिटल संसद वेबसाइट तक नहीं पहुंच सकेगा। TMC सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कैश फॉर क्वेरी केस के बाद सचिवालय द्वारा यह कदम उठाया गया.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कैश फॉर क्वेरी केश के बाद लोकसभा सचिवालय ने नियमों में बदलाव कर दिया है. केवल सांसद ही अपने व्यक्तिगत लॉग-इन का उपयोग कर सकेंगे। अब कोई भी निजी कर्मचारी या कोई तीसरा पक्ष डिजिटल संसद वेबसाइट तक नहीं पहुंच सकेगा। न ही कोई नोटिस दे सकेगा। इसके अलावा कोई प्रश्न भी प्रस्तुत नहीं कर सकता है. जानकारी के मुताबिक जैसे ही सांसद संसदीय वेबसाइट पर लॉग- इन करेंगे, वैसे ही सांसदों के फोन पर एक OTP आएगा, जो उन्हें अगले लेवल पर ले जाएगा।
वहीं कैश फॉर क्वेरी केस में पहली बार ममता बनर्जी ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की योजना बनाई जा रही थी. लेकिन इससे उन्हें चुनाव से पहले मदद मिलेगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वर्तमान में विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही केंद्रीय एजेंसियां 2024 के चुनावों के बाद बीजेपी के पीछे पड़ जाएंगी। उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र में बीजेपी सरकार तीन महीने और रहेगी।
इस महीने की शुरुआत में सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमेटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट को समिति ने अडॉप्ट कर लिया था. समिति की बैठक में प्रस्ताव के पक्ष में 6 वोट पड़े थे, वहीं विपक्ष में 4 वोट पड़े थे. कमेटी ने महुआ की सांसदी छीनने का प्रस्ताव भी रखा था.
क्या आरोप है महुआ मोइत्रा पर?
संसद में महुआ मोइत्रा पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाए थे. इसमें कहा गया था कि महुआ ने व्यापारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में अडानी ग्रुप और पीएम मोदी पर लगातार निशाना साधा था. इसके बदले व्यापारी से उनको गिफ्ट मिले थे. महुआ पर ये भी आरोप थे कि उन्होंने अपनी संसदीय आईडी का लॉग-इन पासवर्ड व्यापारी के साथ शेयर किया था. जिससे व्यापारी खुद महुआ की तरफ से उनकी आईडी का इस्तेमाल कर संसद में सवाल पूछ रहे थे. फिर मामले की शिकायत लोकसभा स्पीकर से हुई और जांच एथिक्स कमेटी के पास गई. हालांकि इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है.