केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की कार्यविधियों में शामिल होने पर 58 साल से लगे बैन को हटा दिया है. 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह बैन लगाया था. NDA सरकार ने इसे अब रद्द कर दिया है.
केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की कार्यविधियों में शामिल होने पर 58 साल से लगे बैन को हटा दिया है. 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह बैन लगाया था. NDA सरकार ने इसे अब रद्द कर दिया है. रविवार 21 जुलाई को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए लिखा कि पीएम मोदी और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है. 58 साल का प्रतिबंध हटाया गया है. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है.
रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय का 9 जुलाई को जारी कार्यालय के मेमोरेंडम को शेयर किया है. इसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने से संबंधित जानकारी दी गई है. रमेश ने 1966 के आदेश की फोटो भी शेयर की है. रमेश के इस दावे पर BJP आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने केंद्र सरकार के आदेश का स्क्रीनशॉट शेयर किया। उन्होंने लिखा 58 साल पहले जारी एक असंवैधानिक आदेश को मोदी सरकार ने वापस ले लिया है.
जयराम रमेश ने क्या कहा?
रमेश ने कहा कि फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वाशन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा फहराया। 1966 में RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था. यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है. रमेश ने आगे लिखा कि 4 जून 2024 के बाद स्वयंभू नॉन-बायओलॉजिकल प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है. 9 जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में आ सकती है.
इस आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए- अमित मालवीय
भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने लिखा कि 58 साल पहले 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश जिसमें RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसे मोदी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है. इस आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था.