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अचानक कुछ नहीं होता: बचपन से ही बच्चों में डालें अच्छे संस्कार

Nothing happens suddenly: instill good values ​​in children from childhood

Nothing happens suddenly: instill good values ​​in children from childhood

कोई बच्चा अचानक आदर्शवादी नहीं बन सकता , और कोई युवा एक दिन में ही नहीं बिगड़ता। हमारी हर आदत, हमारे हर व्यवहार की नींव बचपन में ही पड़ती है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छे इंसान बनें, तो इसकी शुरुआत आज और अभी से करनी होगी यानी उनके बचपन से। बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं, जैसा व्यवहार, जैसा आचरण अपने बड़ों का देखते हैं वही अपनाते हैं।

हां,ये भी सही है कि किशोरावस्था से बच्चों में न सिर्फ शारीरिक बल्कि व्यवहारिक बदलाव भी देखने को मिलते हैं ऐसे में बहुत से बच्चे अपनी बात न कह पाने,या अपनों से छुपाने के चलते और को अपना समझ कर रास्ते बदल लेते हैं,बस यहीं वो दौर है जब हम अभिभावकों को बच्चों को न सिर्फ समझना है बल्कि उनके कोमल मन को समझ कर तरासने की जिम्मेदारी भी निभानी है जो निश्चित ही एक दिन में संभव नहीं। इस लेख में इसी विषय पर कुछ ख़ास बिंदुओं पर अपना विचार सांझा किया है जो आपके बहुत काम बना सकता है तो आइए जानते हैं कैसे गढ़ें बच्चों का व्यक्तित्व।

संस्कार क्या हैं और क्यों जरूरी हैं?

संस्कार मतलब सिर्फ ‘नमस्ते’ या ‘प्रणाम’ नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों की समझ है जो बच्चों को आत्मनिर्भर, सहनशील, और ज़िम्मेदार, समाज के प्रति नैतिकता व सभ्यता सिखाते हैं।

बचपन के आदतों और सोच का बीजारोपण

संस्कार देने का सबसे असरदार तरीका-उदाहरण बनें

रोज़ के व्यवहार में करें संस्कार सिखाने की शुरुआत

संस्कार सिखाने वाले घरेलू अभ्यास

डिजिटल युग में संस्कार देना क्यों है, अत्यंत ज़रूरी है ?

विशेष :- संस्कार एक दिन में नहीं आते, इन्हें रोज़-रोज़ सींचने की ज़रूरत होती है। अगर आप आज से शुरुआत करते हैं, तो कल आपके बच्चे समाज के लिए उदाहरण बन सकते हैं। याद रखें – अचानक कुछ नहीं होता, हर महान शुरुआत एक छोटे कदम से होती है। इसलिए समय रहते बच्चों को समझिए और उनके मानवीय व्यवहार का वो मूलमंत्र दीजिए जिस संस्कार कहा जाता है।

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