Vote For Note Case में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को बदला!

Vote For Note Case

Note for vote case, what is Note for vote case, Supreme Court News in Hindi: वोट फोर नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने नया फैसला सुनाया है. जिसमे कोर्ट ने अपने 26 साल पुराने फैसले को पलट दिया है. कोर्ट ने घुस लेकर अपना मत देने वालों सांसदों को रहत देने पर असहमति जताई है. रिपोर्टसा के मुताबिक़, सात जजों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया है. जिसपर सबकी सर्वसम्मति भी है. 

“सवाल और भाषण के लिए घूसखोरी की अनुमति नहीं”

कोर्ट के आदेशानुसार, अब से कोई सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या सवाल करता है तो उस सांसद के खिलाफ मुकदमा दायर की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला भी दिया है. कोर्ट का मानना है कि संविधान के अनुसार किसी को भी घूसखोरी की अनुमति नहीं है अगर कोई ऐसा करता है उसे अभियोजन के लिए छूट नहीं दी जाएगी. 

‘पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीएआई मामला’ पर दिया हुआ फैसला गलत है?

मामले पर फैसले के दौरान सीजेआई डीवाई ने अपना मत देते हुए कहा “इस मामले पर दिए गए पीवी नरसिम्हा केस में आए फैसले से हम असहमत हैं. कोर्ट के पिछले फैसले को खारिज किया जाता है. ‘पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीएआई मामला’ में 1998 में सदन में ‘वोट फॉर नोट’ के लिए सांसदों को मुकदमे से छूट की बात कही गई थी. जिसे हम बदलते हैं.”

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कोर्ट ने क्या कहा

मामले पर सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि विधायकों और सांसदों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा देने से भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली नष्ट हो जाएगी. मामले पर कोर्ट के आये फैसले को बताते हुए वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा “सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने आज कहा कि अगर कोई सांसद राज्यसभा चुनाव में सवाल पूछने या वोट देने के लिए(vote for note) पैसे लेता है, तो वे अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोट देने के लिए पैसे लेना या प्रश्न पूछना भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगा।” वोट के बदले नोट मामले में कोर्ट ने विधायकों की शक्तियों और विशेषाधिकारों से सम्बंधित आर्टिकल 105 और 194 का भी जिक्र किया है. 

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