Non-Muslims will not be able to get religious education in madrasas: स्कूल शिक्षा विभाग ने शुक्रवार,16 अगस्त को एक आदेश जारी किया है. जिसमें कहा है कि गैर-मुस्लिम विद्यार्थियों को मदरसे में धर्म से जुड़ी शिक्षा नहीं दी जाएगी। इसमें अनुच्छेद 28 (3) का हवाला भी दिया गया है. यह भी साफ़ किया गया है कि बच्चे के नाबालिग होने की सूरत में अभिभावक की मंजूरी अनिवार्य रहेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद अब मदरसों में दीनी तालीम किसी भी धार्मिक शिक्षा को देना या उपासना में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
Non-Muslims will not be able to get religious education in madrasas: मध्यप्रदेश में संचालित डेढ़ हजार से भी अधिक मदरसों में अब किसी भी गैर-मुस्लिम विद्यार्थी को अब ‘दीनी तालीम’ या किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकेगी। सरकार से मान्यता प्राप्त व अनुदान लेने वाले मदरसे यदि ऐसा करते पाए जाते हैं तो तत्काल उनका अनुदान या सहायता बंद कर दी जाएगी। साथ ही मान्यता भी निरस्त कर दी जाएगी।
स्कूल शिक्षा विभाग ने शुक्रवार,16 अगस्त को एक आदेश जारी किया है. जिसमें कहा है कि गैर-मुस्लिम विद्यार्थियों को मदरसे में धर्म से जुड़ी शिक्षा नहीं दी जाएगी। इसमें अनुच्छेद 28 (3) का हवाला भी दिया गया है. यह भी साफ़ किया गया है कि बच्चे के नाबालिग होने की सूरत में अभिभावक की मंजूरी अनिवार्य रहेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद अब मदरसों में दीनी तालीम किसी भी धार्मिक शिक्षा को देना या उपासना में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
उच्च स्तर से सहमति के बाद शिक्षा विभाग की कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने आदेश जारी किया है. स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह ने भी मदरसों के भौतिक सत्यापन में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. अब तमाम कवायद के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करके बड़ी पाबंदी लगा दी है. स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों के नाम जो फर्जी पाए जाते हैं तो उन पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। अनुदान बंद करने के साथ मान्यता निरस्त कर दी जाएगी। सभी मदरसों की पड़ताल की रिपोर्ट भी सरकार ने मांगी है.
संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि ‘राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता लेने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में उपस्थित होने वाले व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा के लिए या ऐसी संस्था में या इससे संलग्न संस्था में धार्मिक उपासना में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा’।