Nobel Peace Prize 2025: दुनिया के सबसे चर्चित हस्तियों में से एक डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ समय से खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे योग्य उम्मीदवार बताया । वह लगातार दुनिया के सामने साबित करते नजर आ रहे थे कि उन्होंने 7 देशों के बीच शांति वार्ता कराई है और नोबेल पुरस्कार के लिए उनसे अच्छा दावेदार कोई नहीं है। सुनने में तो यहां तक आया था कि डोनाल्ड ट्रंप अपने देश के अलावा अन्य देश के प्रतिनिधियों पर भी ट्रंप के नाम की नॉमिनेशन देने के लिए जोर डाल रहे थे।

लॉबिंग नही बल्कि मानवता और सेवा से मिलता है नोबल शांति पुरस्कार
जी हां, ट्रंप काफी शिद्दत से चाह रहे थे कि यह पुरस्कार उन्हें मिले, परंतु अब जब नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की गई है तो इसके विजेता ट्रंप नहीं बल्कि वेनेजुएला की निडर विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाड़ो है। जी हां, वही मारिया कोरिना माचाड़ो जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र की मशाल वेनेजुएला में जलाए रखी और जेल और धमकियों के साए में भी अपनी आवाज बुलंद रखी। हालांकि इस फैसले से ट्रम्प के समर्थक सन्न हो चुके हैं और ट्रंप भी काफी निराशा और हताश दिखाई दे रहे हैं।
बता दे, नोबेल समिति के इस निर्णय ने दुनिया को साफ संदेश दिया है कि यह पुरस्कार लोकप्रियता धन या सत्ता के बल पर नहीं बल्कि सत्य, साहस और मानवता की लड़ाई का प्रतीक है। ट्रंप भले ही इस दावे को पाने के लिए सुर्खियों में बने रहे। लगातार कई हथकंडे अपनाए कि उन्हें यह पुरस्कार मिल जाए। लेकिन माचाड़ो का संघर्ष इतिहास में दर्ज हो गया। एक अकेली महिला किस प्रकार पूरे शासन तंत्र को चुनौती दे सकती है और लोकतंत्र की ज्वाला जला सकती है इसकी जीती जागती मिसाइल मारिया कोरिना माचाड़ो है।
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समिति ने क्यों खारिज किया ट्रंप को ?
बता दे नोबेल समिति के अध्यक्ष यॉर्गन वाटन फ्राइडनेस ने कहा कि अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा और पुरस्कार की परंपरा के आधार पर ही यह नोबेल प्राइज दिया जाता है न कि लोकप्रियता या किसी प्रकार के दबाव पर। उन्होंने बताया कि ट्रंप का नामांकन या दावेदारी देने से पहले ही निर्णायक प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी थी।
ट्रंप के नाम की दावेदारी आने से पहले ही नोबेल प्राइज समिति मारिया माचाड़ो को इसका उचित दावेदार मान चुकी थी। इसी के साथ ही विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प की अंतरराष्ट्रीय नीतियां, प्रशासन काल में उनके द्वारा लिए गए फैसले, उनकी वैश्विक स्तर पर बनी हुई छवि ने उन्हें इस अवार्ड का सबसे कमजोर दावेदार बनाया है।
नोबेल प्राइज समिति ने तो यहां तक कहा कि ट्रंप की सरकार मारिया कोरिना माचाड़ो की स्थिति के प्रति भी आलोचनात्मक रही है और वेनेजुएला प्रशासन की आलोचना करती आई है। इसी कारण ट्रंप की दावेदारी और खतरे में आ गई। अब ट्रंप इसे व्यक्तिगत अपमान माने या कुछ और इतना स्पष्ट है कि ट्रंप नोबेल प्राइज पुरस्कार के उचित दावेदार नहीं थे बल्कि मारिया कोरिना माचाड़ो ही शुरू से सबसे परफेक्ट और उचित दावेदार रही हैं