गुजरात के गिफ्ट सिटी में शराब पिने की छूट मिलते ही हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी के नेता व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) को शराबबंदी पर बोलने का मौका मिल गया. उन्होंने कहा है कि “शराब एक पेय पदार्थ है और आवश्यकता अनुसार इसका सेवन फायदेमंद होता है. यह बात हम बार-बार बहुत पहले से ही कहते आ रहे हैं”.
उन्होंने कहा, “खासकर जो कामगार लोग होते हैं जो दिन भर मेहनत से काम करते हैं उन्हें तो लिमिट मात्रा में शराब पीना ही पड़ता है. ये हम हमेशा से कहते रहते हैं। इसी को जब कहते हैं तो लोग कहते हैं कि जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) कहते हैं शराब थोड़ी-थोड़ी पिया करो. हम गुजरात सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने शराब को खुला छोड़ दिया हैं. इसलिए छोड़ दिया गया है कि शराब पीने वाले जो लोग होते हैं वो बाहर से आते हैं, व्यापार करते हैं उससे रेवेन्यू मिलता है राज्यों को. बिहार में कागजी तौर पर कहा जा रहा है कि यहाँ व्यापार और पर्यटन बढ़ा है जबकि हकीकत ऐसा नहीं है. बोधगया जाकर देख लीजिये वहां लोग आते हैं और उसके बाद यहाँ से बनारस, कोलकता और फिर हजारीबाग चले जाते हैं”.
बिहार में गुजरात मॉडल पर शराब की बिक्री
बोधगया में अगर शराब मिलती तो शायद इतने लोग बहार नहीं जाते सिर्फ शराब पीने के लिए। अगर यहाँ शराब की बिक्री होती तो इससे फॉरेन एक्सचेंज भी बढ़ता। इसलिए बिहार में भी गुजरात मॉडल (Gujrat Model) पर शराब की बिक्री होनी चाहिए। शराबबंदी होनी चाहिए सभी लोग चाहते हैं,लेकिन यह भी तो है कि चादर को उतना ही खिंचा जाना चाहिए जितने में चादर फटे नहीं। लेकिन नीतीश तो यहाँ सौ चूहा खाकर हज को चले हैं. नितीश जी 2005 से लेकर 2010 तक बिहार के घर-घर तक पहले शराब पहुंचा दिए और अब वो यह दिखाना चाह रहे हैं कि शराब के सबसे बड़े विरोधी वही हैं. मेरा मानना है कि नितीश कुमार को गुजरात सरकार से सबक लेनी चाहिए और जैसे गुजरात में शराब की बिक्री हो रही है वैसे ही यहाँ भी शराब की बिक्री करवाने पर ध्यान देना चाहिए। इससे प्रदेश में व्यापर बढ़ेगा और सरकार को भी फायदा होगा।
क्या है गुजरात का फैसला
गुजरात में लम्बे समय से शराबबंदी है. लेकिन गुजरात सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए गुजरात के कुछ गिफ्ट सिटी (Gift City) में शर्तों के साथ शराब पीने की अनुमति प्रदान की है. वहां यह ऐसा पहली बार है जब किसी जगह पर शर्तों के साथ शराब की अनुमति प्रदान की गई है. यह प्रस्ताव वहां के सरकार के समक्ष बहुत लम्बे से लंबित पड़ा था. गुजरात सरकार फैसले के अनुसार गिफ्ट सिटी (Gift City) में अधिकृत तौर पर काम करने वाले कर्मचारी,अधिकारी और उनसे आधिकारिक तौर पर मिलने वाले लोगों के लिए शराब सेवन की अनुमति रहेगी। गुजरात में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद यहाँ विदेशी आर्थिक संस्थान नहीं आ रहे थे या फिर कम आ रहे थे. ऐसे में गुजरात सरकार ने गिफ्ट सिटी के लिए गुजरात की प्रोहिबिशन निति में बदलाव किया।
क्या है गिफ्ट सिटी
गिफ्ट सिटी (Gift City) की सोच पीएम PM Narendra Modi की है. पीएम मोदी ने इसकी शुरुआत 2008 में की थी. 2008 में 29 जुलाई को उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज को लांच किया था. उन्होंने इसकी शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि वो गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी को वैश्विक स्तर का केंद्र बनाना चाहते थे। ऑस्ट्रेलिया के पीएम जब यहाँ दौरे पर आये थे तो उन्होंने यहाँ दो ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी कैंपस खोलने की इच्छा जाहिर की थी. एक यूनिवर्सिटी कुछ दिनों बाद यहाँ क्लास शुरु करने वाली है. यहाँ कई बैंकों ने अपनी शाखाएं भी खोली है. गिफ्ट सिटी 15.5 स्कवॉयर किलोमीटर में हैं. ऊँची और अत्याधुनिक तकनीक से लैस बिल्डिंग को इंटरनेशनल लेवल का बनाया गया है।