Budget Session 2024: UPA शासन के कुप्रबंधन पर वित्त मंत्री ने लोकसभा में रखा श्वेत पत्र

nirmala sitaraman

Budget Session 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने UPA गठबंधन सरकार के दौरान किये गए आर्थिक कुप्रबंधन के लिए श्वेत पात्र को आज लोकसभा में पेश कर दिया है. इस श्वेत पात्र में UPA सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पात्र के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है. वहीं, उस समय उठाये जा सकने वाले सकारात्मक क़दमों के असर के बारे में भी जिक्र किया गया है.

श्वेत पात्र क्यों लाया गया है?

सरकार अर्थव्यवस्था के बारे में सदन के पटल पर श्वेत पत्र इसलिए ला रही है ताकि ये पता चल सके कि वर्ष 2014 तक हम कहाँ थे और अब कहाँ पहुँच चुके है. इस श्वेत पत्र का मकसद उन वर्षों में हुए कुप्रबंधन से सबक लेना है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पहली बार 2014 में ही बानी थी. इसके पहले लगातार 10 वर्षों यानी की 2004-2014 तक कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी.

क्या है श्वेत पत्र?

आपके जानकारी के लिए बात दूँ कि श्ब्वेत पत्र एक तरह का सूचनात्मक रिपोर्ट कार्ड होता है जिसमे सरकार की नीतियों, कामकाजों और अहम मसलों को रेखांकित किय जाता है. खासतौर सरकारें ‘श्वेत पत्र’ किसी मसले पर बहस करने, सुझाव लेने या देने के साथ एक्शन के लिए लाती है.

UPA ने बनाया अर्तव्यवस्था को बनाया नॉन परफार्मिंग

लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा रखे गए भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र में कहा गया है कि UPA सरकार को अधिक सुधारों के लिए एक हेल्दी अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी. लेकिन उस सरकार ने अपने दस वर्षों के कार्यकाल में इसे नॉन परफार्मिंग बना दिया। 2004 में जब UPA सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था उस वक्त अच्छे विश्व आर्थिक माहौल के बीच अर्थव्यवथा 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी. उद्द्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक थी और वित्त वर्ष 2004 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 9 प्रतिशत से अधिक थी. 2003-04 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया था कि विकास, मुद्रास्फीति और भुगतान संतुलन के मामले में अर्थव्यवस्था एक लचीली स्थिति में प्रतीत होती है, एक जोड़ जो कि निरंतर व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ विकास की गति को मजबूत करने की बड़ी गुंजाईश प्रदान करता है.

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