Nimisha Priya Yemen Case : केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा फिलहाल टल गई है। यमन में इस बात का फैसला हुआ है कि उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी, जिसकी तारीख 16 जुलाई तय थी। यह सब भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और खासकर भारतीय ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद के लगातार प्रयासों से संभव हो पाया है।
ग्रैंड मुफ्ती ने टलवाई फांसी की तारीख
ग्रैंड मुफ्ती ने यमन के विद्वानों से बातचीत की और धार्मिक संवाद के ज़रिए इस मामले में नया रास्ता खोजने की कोशिश की। उन्होंने यमन सरकार से भी बात की और फांसी टालवाने का प्रयास किया। उनके इस प्रयास की वजह से फांसी की तारीख स्थगित कर दी गई है, जिससे आगे बातचीत और समझौते की उम्मीद बनी हुई है। अगली सुनवाई 18 जुलाई को होनी है, लेकिन उससे पहले ही 16 जुलाई को तय फांसी की तारीख टल गई है।
फांसी रोकने का एकमात्र रास्ता है समझौता
यह मामला भारत के लिए भी संवेदनशील है, क्योंकि भारत की पहली महिला रतन बाई जैन को 1955 में फांसी दी गई थी। अब इस तरह की स्थिति में, निमिषा प्रिया को भी फांसी से बचाने के लिए हर कोशिश की जा रही है। इसलिए भारत सरकार ने भी इस पर ध्यान दिया। विदेश मंत्रालय ने शुरुआत से ही इस मामले में सक्रियता दिखाई और निमिषा प्रिया की मदद के लिए हर संभव प्रयास किए। सुप्रीम कोर्ट में भी भारत की तरफ से कहा गया कि फांसी को रोकने का एकमात्र रास्ता समझौता है, अगर मृतक यमनी नागरिक का परिवार इसे स्वीकार कर ले।
यमन में गोली मारकर निमिषा प्रिया को दी जाएगी मौत
यमन में फांसी का तरीका फायरिंग स्क्वॉड का है, जिसमें दोषी को पीठ पर गोली मारी जाती है। 2017 में, यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में निमिषा प्रिया को फांसी सुनाई गई थी। लेकिन अभी तक उनके परिवार ने ब्लड मनी का भी ऑफर ठुकराया है। उन्होंने 8.5 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, पर परिजनों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
फांसी को रोकने के लिए मुस्लिम धर्मगुरु आए सामने
यमन में निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार भी प्रयासरत हैं। उन्होंने यमन में इस्लामिक धार्मिक नेताओं से बातचीत की है और मृतक के परिवार से भी संपर्क किया है। उनका मानना है कि माफी और समझौते से ही इस मामले का समाधान हो सकता है।
मृतक के परिवार से की जाएगी बातचीत
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने भी कहा कि भारत सरकार सीमित मदद ही कर सकती है क्योंकि यमन की स्थिति जटिल है और वहां पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है। इसीलिए, अभी भी एक आखिरी प्रयास जारी है कि मृतक के परिवार से बातचीत करके इस फैसले को टाला जा सके।
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