नववर्ष, चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़ाव, चेटीचंड आज

पर्व। चैत्र नवरात्रि के साथ हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी दिन से हिंदूओं का नया साल शुरू होता है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि को ही भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 का पहला दिन है। देश के कई राज्यों में इसी दिन से चौत्र नवरात्रि का पर्व शुरू होता है। इस नववर्ष को देशभर में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि में देवी भक्त नौ दिनों तक माता रानी की पूजा-उपासना करते है।

गुड़ी पड़वा

महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष को नव-सवंत्सर के नाम से जाना जाता है तो कहीं इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं। इस दिन मराठी लोग गुड़ी बनाते हैं. गुड़ी बनाने के लिए एक खंबे में उल्टा पीतल का बर्तन रखा जाता है, इसे गहरे रंग की रेशम की लाल, पीली या केसरिया कपड़े और फूलों की माला और अशोक के पत्तों से सजाया जाता है. गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहा जाता है. जिसकी लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं और भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न करते हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

चेटीचंड पर्व

चौत्र शुक्ल द्वितीया यानी चेटीचंड से सिंधी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इस त्योहार को खास माना गया है। सिंधी में चौत्र माह को चेट कहा जाता है और चण्ड का अर्थ है चांद. अर्थात चौत्र का चांद. चेटी चंड वो दिन है, जब अमावस्या के बाद प्रथम चन्द्र दर्शन होता है। चेटी माह में चन्द्रमा के पहले दर्शन के कारण इस दिन को चेटी चंड के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में भगवान झूलेलाल ने ही सिंधियों की अत्याचारी मिरखशाह से रक्षा की थी। इसलिए भगवान झूलेलाल का जन्मदिन को सिंधी समाज के लोग चेटीचंड उत्सव के रूप में मानते है। चेटी चंड के मौके पर जल यानि वरुण देवता की भी पूजा की जाती है, क्योंकि सिंधी समाज के लोग भगवान झूलेलाल को जल देवता के अवतार के तौर पर मानते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *