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Nepal Zen-G Protest : नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग, मार्च में लगे थे – ‘राजा को लाओ देश बचाओ’

Nepal zen g protest

Nepal Zen-G Protest : नेपाल में सोशल मीडिया के बैन के खिलाफ जेन-जी का गुस्सा फूटा तो सड़कों पर जनसैलाब उमड़ आया और आक्रोश की आग में पूरा देश जल उठा। जेन-जी आंदोलनकारियों ने कुछ भी नहीं छोड़ा, सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को आग के हवाले झोंक दिया। प्रदर्शनकारियों ने ड्रोन से रेस्क्यू कर मंत्रियों और नेताओं पर जानलेवा हमला किया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्रियों तक ने इस्तीफा दे दिया और ओली की सरकार गिर गई। नेपाल में सेना ने कमान संभाल ली है। अब प्रदर्शन के बीच से नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग भी उठ रही है। 

नेपाल में सत्ता पलट की माँग 

नेपाल की सड़कें जेन-जी के गुस्से की आग में जल रही हैं। मार्च से शुरू हुए प्रदर्शन अब पूरे देश में फैल चुके हैं। युवाओं और पुलिस के साथ झड़पों में करीब 22 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद, नेपाली कांग्रेस का मुख्य दफ्तर और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर में आग लगा दी। कई और नेताओं के घरों में तोड़फोड़ की गई। पीएम ओली और राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद भी आंदोलनकारी शांत नहीं हो रहें और सत्ता पलट की मांग कर रहे हैं। 

पीएम ओली देश छोड़कर फरार 

नेपाल के युवा अब भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकार की नाकामी से परेशान है। ओली की सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए सोशल मीडिया पर बंदिशें लगा दीं, जिससे हालात और बिगड़ गए। 9 सितंबर 2025 को ओली को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। एक एयर होस्टेस ने दावा किया है कि पीएम ओली नेपाल छोड़कर दुबई चले गए हैं। ऐसे में नेपाल की जनता के सामने एक ही सवाल हैं कि अब आगे क्या होगा?

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की हो सकती है वापसी

नेपाल में साल 2008 में राजशाही खत्म हुआ था और लोकतंत्र की स्थापना हुई थी। जिसके बाद राजा ज्ञानेंद्र शाह एक आम नागरिक बँ गए और पहाड़ में एक खास जगह रहने चले गए। उनका मुख्य घर काठमांडू में है। साल 2024 की शुरुआत में वे शहर के बाहर नागार्जुन पहाड़ियों में बस गए। उनकी पत्नी रानी माता रत्ना महेंद्र मंजिल में रहती हैं। शाही परिवार के राजकुमार और राजकुमारियां विदेश में रहते हैं। पूर्व युवराज पारस और राजकुमारी हिमानी की बेटी, राजकुमारी कृतिका शाह, 2008 में नेपाल छोड़कर सिंगापुर चली गईं। उनकी बड़ी बहन, राजकुमारी पूर्णिका शाह भी 2008 में नेपाल छोड़ी और सिंगापुर में है। माना जा रहा है कि नेपाल में फिर से राजशाही की वापसी होगी और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह गद्दी संभाल सकते हैं। 

‘राजा वापस आओ देश बचाओ’ नारा 

बता दे कि इसी साल मार्च में जब ज्ञानेंद्र शाह पोखरा से लौटे तो हज़ारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। उन्हें घर लाया गया। इस दौरान लोगों ने नेपाल में ‘राजा लाओ और देश बचाओ’ के नारे लगाएं थे। राजा की वापसी की चाह में कई बार प्रदर्शन हुए। मई में समर्थकों ने देशभर में विरोध शुरू किया। अधिकारियों ने जुलाई तक महल और आसपास के इलाके पर रोक लगा दी। सरकार ने भी विरोधियों को जवाब दिया। राजा को फिर से गद्दी पर लाने का प्रयास हो रहा है। उनके समर्थक उन्हें फिर राजा मानते हैं। जनता का एक बड़ा हिस्सा भी राजा को चाह रहा है। 

हिंदू राष्ट्र और राजशाही की मांग क्यों?

साल 2008 में माओवादी आंदोलन ने नेपाल को धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र बना दिया। पर 17 साल में 14 सरकारें बदलीं। कोई स्थिरता नहीं आई। भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी से जनता परेशान है। 81% हिंदू लोग अपनी परंपराएँ फिर से चाह रहे हैं। राजशाही समर्थक इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। मार्च में हिंसा हुई, दो लोग मरे और कई घायल हुए।

सेना का दखल: राजशाही का संकेत?

ओली के इस्तीफे के बाद सेना ने कानून-व्यवस्था संभाली। सेना प्रमुख ने पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर के सामने बात की, जिसे कुछ लोग राजशाही का संकेत मान रहे हैं। कुछ लोग बालेंद्र शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, तो कुछ नजरें ज्ञानेंद्र पर लगी हैं। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं, “कम्युनिज्म खत्म, राजा लौटो!”

आगे क्या? चुनाव, राजशाही या अराजकता?

नेपाल के संविधान की मानें तो राजा को दुबारा नहीं आने दिया जा सकता है और नया संविधान बनाना आसान नहीं। अगला चुनाव 2027 में होना है। लेकिन सत्ता पलट के बाद चुनाव जल्द करना पड़ सकता है। कुछ लोग कह रहें हैं कि माओवादी और चीन का प्रभाव अभी भी है। जनता का जोश और समर्थक राजा के वापस आने की उम्मीद जगा रहे हैं। ज्ञानेंद्र शाह ने अभी चुप्पी साधी है, पर उनके समर्थक कहते हैं, “वो ही देश को सही रास्ते पर ला सकते हैं।” हिंदू राष्ट्र और राजा की मांग तेज हो रही है। पर चुनौती है माओवादी और चीन का दबाव। क्या नेपाल फिर से राजा के पास जाएगा? या नई सरकार बनेगी? ये कहना मुश्किल है, पर हवा राजा की तरफ ही बह रही है।

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