Navratri 2025 | Maihar Mata Mandir | Alha Udal Ki Kahani | story of Maihar mandir | Maihar | Vindhya | चैत्र की नवरात्रि शुरू हो गई है, और माता रानी के इन पावन दिनों में अगर आप भी मातारानी के चमत्कारी मंदिर जाकर दर्शन करना चाहते हैं तो यह वीडियो आपके लिए ही है, तो चलिए ले चलते हैं मध्य प्रदेश के मैहर जिले में स्थित माँ शारदा देवी मंदिर जहाँ माता के अदृश्य भक्त पुजारी की पूजा से पहले कर जाते हैं पूजा
30 मार्च 2025 यानी आज से चैत्र की नवरात्रि प्रारंभ हो रही है ऐसे में आज हम आपको मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में स्थित अनोखे और चमत्कारी मन्दिर के बारे में बतायेंगे और साथ ही दर्शन भी कराएंगे, जिसकी गाथा ना पूरे विंध्यवासी बल्कि संपूर्ण देशवासी गाते हैं. हम बात कर रहे हैं त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर भव्य और सुंदर भवन में विराजमान माता शारदा देवी की जो मैहर वाली मां के रूप में भी प्रसिद्ध हैं. मां शारदा के इस पावन धाम से जुड़े कई चमत्कार हैं जो यहाँ आने के लिए दर्शकों को मजबूर कर देते हैं.
पौराणिक मान्यता यह है कि माता सती के अंग जहां-जहां गिरे थे, उन जगहों पर एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया. इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक मां शारदा का पावन धाम मध्य प्रदेश के मैहर में है, मान्यता है कि यहां पर माता सती का हार गिरा था. पहाड़ की चोटी पर स्थित मैहर देवी का यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है. मान्यता है कि मैहर वाली मां शारदा के महज दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही यहाँ का दृश्य मनोरम और सुंदर वादियों के बीच है, जहाँ एक ओर पहाड़ पेड़ पौधे और हरियाली है तो वहीं दूसरी ओर तलैया है जिसे आल्हा की तलैया के नाम से भी जाना जाता है..
सबसे बड़ा सवाल जो आज भी भक्तों को अचंभित कर देता है, मान्यता के अनुसार यहाँ आज भी पुजारी के पूजा करने से पहले माता रानी की पूजा आखिर कौन करके चला जाता है, मंदिर के बारे में कहा जाता है की रात्रि शयन के बाद पट बंद हो जाते हैं पुजारी बाहर आ जाते हैं और सुबह जब पुजारी नहा धोकर पूजा के लिए पहुँचते हैं तब माता रानी की पूजा पहले से हुई होती है आइये जानते हैं इस पर क्या है विशेषज्ञों की राय
शारदा माता मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर के पट बंद हो जाने के बाद जब पुजारी पहाड़ से नीचे चले आते हैं और वहां पर कोई भी नहीं रह जाता है तो वहां पर आज भी वीर योद्धा आल्हा अदृष्य होकर माता की पूजा करने के लिए आते हैं और पुजारी के पहले ही मंदिर में पूजा करके चले जाते हैं. मान्यता यह भी है कि आल्हा-उदल ने ही कभी घने जंगलों वाले इस पर्वत पर मां शारदा के इस पावन धाम की न सिर्फ खोज की, बल्कि 12 साल तक लगातार तपस्या करके माता से अमरत्व का वरदान पाया था. मान्यता यह भी है कि इन दोनों भाइयों ने माता को प्रसन्न करने के लिए भक्ति – भाव से अपनी जीभ माता के चरणों में अर्पित कर दी थी, जिसे मां शारदा ने उसी क्षण वापस कर दिया था. यहाँ पहाड़ी के नीचे आल्हादेव का मंदिर बना हुआ है और आल्हा लोकदेवता के तौर पर पूजे जाते हैं।
मंदिर के पास ही एक अखाड़ा है, जहां माना जाता है, आल्हा अपने भाईयों के साथ कुश्ती लड़ते थे, पास में ही एक छोटी सा तालाब है, जिसे आल्हा की तलैय्या बोला जाता है। हालांकि इस पर कई तरह की किवदंतियाँ हैं लेकिन आज भी माता मंदिर के संबंध में अगूढ़ रहस्य हैं जो कि छुपे हुए हैं. मंदिर के पुजारी और जानकारों का मानना है की यहाँ सिर्फ चमत्कार ही नहीं दिखाई देते हैं बल्कि जो जैसी मनोकामना लेकर आता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है. तो अगर आप भी यहाँ आना चाहते हैं तो तीनों हवाई, ट्रेन और सड़क के माध्यम से आ सकते हैं यहाँ नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो में है जो की महज 140 किमी दूरी पर है, ट्रेन के माध्यम से आना चाहते हैं तो मैहर रेलवे स्टेशन में ज्यादतर ट्रेनें खड़ी होती हैं तो आप यहाँ उतर कर आ सकते हैं, और सड़क मार्ग से भी यहाँ पहुँच सकते हैं. आपको वीडियो पसंद आया हो तो लाइक और कंमेंट जरूर करें साथ ही हमारा चैनल सब्सक्राइब करना ना भूलें