Site icon SHABD SANCHI

Narak Chaturdashi 2025 : कब है रूप चौदस ? जानें तिथि-स्नान मुहूर्त-महत्व

Narak Chaturdashi 2025 : कब है रूप चौदस ? जानें तिथि-स्नान मुहूर्त-महत्व नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस, छोटी दिवाली या काली चौदस भी कहा जाता है, दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि स्वास्थ्य और पवित्रता से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन अभ्यंग स्नान, दान-पुण्य और यम दीपक जलाने की परंपरा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होकर दीर्घायु प्राप्त करता है। जानें 2025 में नरक चतुर्दशी या रूप चौदस की सही तिथि, अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व। इस दिन यम दीपक जलाने और स्नान दान से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि (Narak Chaturdashi 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि

अभ्यंग स्नान मुहूर्त (Abhyanga Snan Muhurat 2025) – नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन शरीर पर उबटन लगाकर सूर्योदय से पहले स्नान करने की परंपरा है। अभ्यंग स्नान का शुभ समय – 20 अक्टूबर 2025, सुबह 05 : 13 मिनट से 06 : 25 मिनट तक – माना जाता है कि इस समय किए गए स्नान से शरीर निरोग रहता है और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।

धार्मिक महत्व (Religious Significance of Narak Chaturdashi)
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और उसकी कैद से 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया था। इस विजय को अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है, इसलिए दीप जलाने की परंपरा इस दिन से जुड़ी है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन यमराज की पूजा और दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। इसलिए घर के मुख्य द्वार, आंगन और नालियों के पास सरसों के तेल के दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। यह दीपक न केवल यमराज को समर्पित होता है बल्कि घर में सुख-शांति और सकारात्मकता का भी प्रतीक है।

रूप चौदस और सौंदर्य का महत्व (Roop Chaudas and Beauty Rituals)
रूप चौदस को सौंदर्य और आत्मशुद्धि का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं उबटन लगाकर स्नान करती हैं, जिससे त्वचा चमकदार बनती है। इसे “रूप निखारने वाला दिन” भी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन स्नान और दीपदान करने से आंतरिक और बाहरी दोनों रूपों में पवित्रता और सौंदर्य प्राप्त होता है।

नरक चतुर्दशी पर यम दीपक का महत्व (Yam Deepak Importance)
नरक चतुर्दशी की संध्या को यमराज के नाम से दीप जलाने की परंपरा है। यह दीपक घर के बाहर, विशेषकर मुख्य द्वार या नाली के पास, सरसों के तेल से जलाया जाता है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और परिवार में सुख-समृद्धि व स्वास्थ्य बना रहता है।

निष्कर्ष (Conclusion) – नरक चतुर्दशी या रूप चौदस केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शांति का संदेश देता है। इस दिन अभ्यंग स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सौभाग्य का वास होता है। 20 अक्टूबर 2025 को नियमपूर्वक स्नान और दीपदान कर आप भी इस पावन पर्व का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Exit mobile version