ISRO के रॉकेट्स को ताकतवर इंजन देने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे नंबी नारायणन। जब उन्हें जासूसी के केस में फसाया गया. ISRO को ताकतवर बनाने में इनकी अहम भूमिका रही.
इनका जन्म तमिलनाडु के नागरकॉयल में एक हिन्दू परिवार में हुआ। यह जगह तब के त्रावणकोर और आज के कन्याकुमारी में मौजूद है.नागरकॉयल में हायर सेकेंडरी तक पढ़ाई करने के बाद नंबी ने मदुरई के थियागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया.
क्या है पूरा मामला?
केरल (Kerala) के तिरुवंतपुरम में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि 1994 का ISRO से जुड़ा जासूसी मामला कथित तौर पर केरल पुलिस के एक तत्कालीन स्पेशल ब्रांच अधिकारी द्वारा भारत में एक मालदीव की महिला को अवैध रूप से हिरासत में रखने को उचित ठहराने के लिए बनाया गया था, क्योंकि उसने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इस मामले में ISRO के पुर्व वैज्ञानिक को झूठा फसाया गया.
एजेंसी ने नारायणन और मालदीव की दो महिलाओं समेत पांच अन्य लोगो को फ़साने के आरोप में पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चार्टशीट दाखिल की है.
चार्टशीट में सीबीआई ने यह आरोप लगाया कि एसपी के पद से रिटायर्ड हुए तत्कालीन स्पेशल ब्रांच अधिकारी एस विजयन ने मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा के यात्रा दस्तावेज और हवाई टिकट छीन लिए थे ताकि वो देश छोड़कर नहीं जा सके. महिला ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. cbi नें आगे कहा कि विजयन को पता चला कि वह इसरो के वैज्ञानिक डी शशिकुमारन के संपर्क में थी और उसके आधार पर रशीदा और उसकी मालदीव की दोस्त फौजिया हसन पर निगरानी रखी गई.
इस चार्जशीट में और भी कई गंभीर आरोप लगाए गए है.
नंबी नारायणन का बयान
नंबी नारायणन ने कहा उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं की चार्टशीट में जिन पुलिस अधिकारियों का जिक्र है उन्हें सजा मिले या न मिले। क्योकि इस पूरे मामले में उनकी भूमिका अभ ख़त्म हो चुकी है.