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Nalanda University 815 साल बाद फिर आएगी वजूद में, PM मोदी नए कैंपस का करेंगे उद्घाटन, जानिए यूनिवर्सिटी का इतिहास और अहमियत

Nalanda University Campus Inauguration

Nalanda University Campus Inauguration

Nalanda University Campus Inauguration: बिहार के राजगीर में खंडहर हो चुका प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय 815 साल बाद फिर से अपने वजूद में आ रहा है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था, जिसके बाद विश्वविद्यालय का पुनः निर्माण कार्य 2017 में नए सिरे से शुरू किया गया था। जिसका नया कैम्पस बन कर तैयार हो चुका है। आज 19 जून को प्रधानमंत्री मोदी नालंदा यूनिवर्सिटी के नेट जीरो कैम्पस का शुभारंभ करेंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, Nalanda University के कुलाधिपति अरविंद पनगढ़िया भी मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में अहम योगदान देने वाले 17 देशों के राजदूत भी शामिल होंगे।

आक्रांताओं ने कर दिया था तबाह तो
बिहार के राजगीर में प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी, प्राचीन समय में शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करती थी। जिसे आक्रांताओं ने तबाह तो कर दिया था। जिसे एक बार फिर से तैयार कर खड़ा कर दिया गया है। शिक्षा के यह केंद्र ने जनसेवा व शिक्षा के विश्वव्यापी प्रसार के लिए फिर से कमर कस ली है। 815 साल बाद नालंदा विश्वविद्यालय फिर से पूरी दुनिया में शिक्षा की अलख जगाने और इतिहास रचने के लिए तैयार हो चुका है।

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प्राचीन भव्यता के साथ वापसी
करीब 1600 साल पहले पांचवी सदी में नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। जो कि पूरे विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। अपने समय में नालंदा ज्ञान-विज्ञान का अद्वितीय केंद्र हुआ करता था। मानव सभ्यता, संस्कृति, धर्म और दर्शन के इतिहास में नालंदा का अविस्मरणीय योगदान है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर पुनः नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है। एक बार पुनः विश्व के मानचित्र पर नालंदा अपने पुराने गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने के लिए लालाइत है। दरअसल यह सपना पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने देखा था। जो अब साकार होता नज़र आ रहा है। नवीन नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना अब पूर्ण रूप से मूर्त रूप लेती जा रही है। 455 एकड़ में इस यूनिवर्सिटी का निर्माण किया गया है। जिसके परिसर में सैकड़ो बिल्डिंग, मेडिटेशन हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, स्टडी रूम, दर्जनों तालाब एवं आवासीय परिसर सहित अन्य निर्माण कार्य किया गया है।

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821 साल बाद फिर से शुरू हुआ पठन पाठन
1 सितंबर 2014 से 11 संकाय सदस्यों और 15 छात्रों के साथ पुनः नालंदा विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत की गई थी। उस वक्त विश्वविद्यालय का अपना कोई भवन नहीं होने की वजह से शहर के एक सरकारी होटल और एक सरकारी भवन में कक्षाएं शुरू की गई थीं। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत ‘पर्यावरण अध्ययन’ विषय से हुई थी। इस तरह से 821 साल बाद प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित कर पठन-पाठन शुरू किया गया। नालंदा विश्वविद्यालय का शुभारंभ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के हाथों हुआ था। जिसके बाद बिहार सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित करने के लिए स्थानीय लोगों से 455 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। वर्तमान समय में नालंदा विश्वविद्यालय में मास्टर पाठ्यक्रम और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

पराकाष्ठा पर थी गरिमा
इतिहासकारों के मुताबिक पांचवी से बारहवीं शताब्दी तक प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की गरिमा और महत्ता पराकाष्ठा के स्तर पर थी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना साल 450 ईस्वी कुमार गुप्त के काल में मानी जाती है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल में अपने ज्ञान दर्शन, साहित्य चिंतन और विश्व बंधुत्व के सार्वभौमिक भाव के लिए दुनिया में विख्यात था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय परिसर काफी विशाल था, जिसमें 2000 शिक्षकों के साथ 10000 छात्रों के अध्ययन और अध्यापन की सुविधा थी। यहां पर विद्या अध्ययन करने देश-विदेश से लोग आते थे। लेकिन 12वीं सदी के अंतिम दशक में बख्तियार खिलजी ने इस विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया।

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