‘नगीना’ वह फिल्म जिसने श्रीदेवी को सुपरस्टार बनाया

Story Of The Movie ‘Nagina’ | न्याज़िया बेगम: हम भारतीयों के मन में जहां एक ओर भगवान के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है, तो वहीं नाग – नागिनों के लिए भी भरपूर श्रद्धा है और इसी का नतीजा है कि हमारे मन में नाग-नागिनों की कहानियां और फिल्में अलग ही रोमांच पैदा करती है। शायद इसीलिए हमारे लिए फिल्म नगीना को भूलना आसान नहीं भले ही आपने इसे एक बार ही देखा हो तो चलिए आज बात करते हैं इसी इसे फंतासी रोमांस फिल्म की। 1986 में बनीं फिल्म नगीना का निर्माण और निर्देशन हरमेश मल्होत्रा ​​ने किया है, पटकथा लिखी है रवि कपूर ने और कहानी है जगमोहन कपूर की, संवाद लिखे हैं डॉ. अचला नागर ने।

कहानी और मुख्य किरदार

फिल्म में श्रीदेवी ने नागिन रजनी का किरदार निभाया है, जो एक दुष्ट मगर सिद्धि प्राप्त सपेरे या तांत्रिक के हाथों अपने पति को खो देती है, वो ऐसे कि एक बच्चा राजीव अपनी मां यानि की सुषमा सेठ के साथ कुल देवता के मंदिर आता है, और वहीं उसे सांप काट लेता है। जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है पर वहीं मौजूद इस सपेरे यानी अमरीश पुरी ने, उसकी मां की पुकार सुन उस बच्चे को बचाने के लिए, उसी डस कर गए नाग को बुला कर अपनी सिद्धियों से राजीव के अंदर नाग के प्राण डाल दिए। बाद में उन्हें ये पता चला कि ये तो वहीं इच्छा धारी मणि धारण करने वाला नाग था जिसकी तलाश उन्हें बरसों से थी। वो उसकी खोज में निकलते हैं, पर तब तक उसकी पत्नी उसे सुरक्षित स्थान में छुपा देती है। नागिन जानती है कि राजीव के तन में उसके पति के प्राण हैं, लेकिन वो उस सपेरे से भी टकराने की हिम्मत नहीं करती, क्योंकि उसे पता था कि सपेरे की नज़र उसकी मणि पर है। हालांकि जब नाग राजीव के पास सपेरे के बुलाने पे गया था तो वो मणि छुपा कर गया था, फिर भी सपेरे को भनक लग गई कि उसका पति इच्छाधारी नाग था।

इधर राजीव को भी पढ़ने के लिए दूर भेज दिया गया। अब रजनी, राजीव के आने का इंतज़ार करती है और बरसों बाद जब वो लंदन से वापस आता है, तो उसके प्राण लेने की कोशिश करती है। पर ये सोचकर कि उसमें उसके पति के प्राण हैं, वो अपनी मां का एकलौता सहारा है, तो वो उससे उसी रूप में उसे प्यार करने लगती है और राजीव को सुंदर नारी रूप में मिलती है। राजीव यानी ऋषि कपूर भी उस पर फिदा हो जाता है और दिल ओ जान से उसे चाहने लगता है। हालांकि राजीव की मां ने, ठाकुर अजय सिंह यानी प्रेम चोपड़ा की इकलौती बेटी विजया को राजीव के लिए पसंद करके रखा था। लेकिन वो अपने बेटे की पसंद की दाद दिए बिना नहीं रह सकीं फिर दोनों की शादी हो जाती है।

शादी तो हो गई, पर ठाकुर अजय सिंह जिनके नाम पर पॉवर ऑफ एटर्नी थी, वह राजीव को उसकी संपत्ति लौटाने से इंकार कर देते हैं। क्योंकि राजीव ने उसकी बेटी से शादी से इंकार किया था। इसी लिए वो राजीव को मारने की साज़िश करने लगते हैं और उनकी तमाम कोशिशों को रजनी भाप कर नाकाम करती रहती राजीव को हर खतरे से बचाती रहती है। इसी कोशिश में वो गाना भी गाती है- “बलमा ओ, बालमा तुम बालमा हो मेरे खाली नाम के”

कुछ दिनों बाद राजीव की मां को, वही तपस्वी सपेरा यानी भैरो नाथ मिलते हैं। और वो उन्हें घर आने को कहती है और एक दिन वो मणि की तलाश में रजनी तक पहुंचने की दिशा में निकलते हैं। और राजीव के घर पहुंच जाते हैं। फिर उन्हें समझते देर नहीं लगती कि रजनी ही इच्छाधारी नागिन है वो राजीव की माँ को बताते हैं कि रजनी एक इच्छाधारी नागिन है। ये सुनकर मां भी डर जाती हैं। जिसके बाद भैरो और उसके शिष्य बीन की धुन से रजनी को इतना कमज़ोर करने की कोशिश करते हैं कि वो खुद ही सांप का रूप धर ले। रजनी अपना संयम खोने ही वाली थी कि राजीव घर में आ जाता है और ये कहते हुए भैरव बाबा को भगा देता है कि वो इन बातों को नहीं मानता।

रजनी उस वक्त तो बच जाती है लेकिन मां को बाबा की बातों पे भरोसा सा लगता है। तो वो रजनी पर नज़र रखने लगती है और एक दिन उसे नागिन बनते हुए देख लेती है। रजनी उन्हें समझाती है कि अगर आपके घर का विनाश हुआ तो सिर्फ बाबा के हाथों से ही होगा। वो नागिन है, लेकिन वो विवश होकर उनके पास आई है वो बताती है कि “जब बचपन में इनके बेटे को इसी तांत्रिक ने बचाया था। तो उसने मेरे पति के प्राण उनके बेटे में डाल दिए थे और वो तबसे प्रतीक्षा कर रही है कि जब राजीव आयेगा, तब वो उसे डसेगी और उसके पति के प्राण उसके शरीर में फिर लौट आएंगे। जिसे उसने अब तक सम्भाल कर रखा है। वो गई भी थी यही करने, पर पहले उसने राजीव को देखते ही उसके पैर छुए, फिर एक बेटे के लिए मां की यानी उनकी ममता को देखा तो उसे लगा, कि वो कुछ ऐसा करे कि उनका बेटा भी न मरे और मुझे मेरा सोहाग भी मिल जाए। इसलिए मुझे ये करना पड़ा”।

लेकिन मां, रजनी की बात नहीं समझती और रजनी को घर से निकालने के लिए फिर बाबा को बुला लेती है, भैरो बाबा फिर उसकी हवेली आते हैं उसे वश में करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर ऐन वक्त पर राजीव आ जाता है और उसकी साधना भंग हो जाती है। फिर भी भैरव रजनी का पीछा करता है, रजनी अपने रक्षक नागों के पास अपने मंदिर पहुंचती है और भैरव से पूछती है, कि वो क्या चाहता है? तो वो कहता है कि- उसे सिर्फ मणि चाहिए, जिससे वो सारे संसार पर नियंत्रण कर सके। सबसे शक्तिशाली बन सके, वो उसे बस वो पवित्र मणि दे दे, लेकिन रजनी नहीं मानती। इस पर भैरव बाबा कहता है कि, अब वो राजीव को मार देगा, जिससे उसका नाग पति जीवित हो जाएगा और फिर वो उसे वश में करके मणि हासिल कर लेगा। इतने कहते ही वो राजीव पर प्रहार करते हैं, ये देख रजनी अपने नाग का अंतिम संस्कार करते हुए उसे अग्नि के हवाले कर देती है। क्योंकि अगर राजीव मर गया, तो अब राजीव का खानदान ही खत्म हो जाएगा। वो अपने घर का आखिरी चराग जो है इस दौरान राजीव और बाबा की लड़ाई के बीच में मां आ जाती है, और भैरव बाबा का त्रिशूल राजीव की जगह उसकी मां को लग जाता है।

अब भैरव रजनी को मारना चाहता है कि, इतने में रजनी और उसके पति के रक्षक नाग भैरव बाबा की आंखों में डस लेते हैं। लेकिन रजनी उन्हें ये याद दिलाते हुए बचाने की कोशिश करती है, कि वो एक सिद्ध पुरुष हैं, वो चाहे तो अपनी विद्या से जग का उद्धार कर सकते हैं। दुखियारे लोगों को उनकी ज़रूरत है, लेकिन भैरव बाबा उसकी दी हुई दवा स्वरूप पत्तियां नहीं खाते। वह कहते हैं, अब देर हो गई है। और भैरव बाबा अपनी भूल स्वीकारते हुए भगवान भोले नाथ से अपनी 40 साल की तपस्या के फल के रूप में प्रार्थना करते हैं कि वो रजनी को नाग योनि से मुक्त कर दें। ताकि वो राजीव के साथ खुशी खुशी आगे का जीवन बीता सके। उनकी प्रार्थना भगवान सुन लेते हैं और रजनी सदा के लिए मनुष्य रूप धारण कर लेती है। यही है नागिन से जुड़ी इस फिल्म का सुखद अंत और अगली फिल्म की शुरुआत।

फिल्म ने श्रीदेवी को बनाया सुपरस्टार

मुख्य कलाकारों के अलावा अपने अभिनय से फिल्म में चार चांद लगाया है, कोमल महुवाकर और प्रेम चोपड़ा ने फिल्म नगीना को तेलुगु में नागिनी के नाम से डब किया गया। 28 नवंबर 1986 को रिलीज़ हुई फिल्म नगीना ने बॉक्स ऑफिस पर 13 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई के साथ एक व्यापक सफलता अर्जित की थी, और 1986 की दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। ब्लॉकबस्टर साबित हुई नगीना को ही वो फिल्म माना जाता है जिसने श्रीदेवी को 1980 के दशक की सबसे बड़ी महिला स्टार के रूप में स्थापित किया।

सुपरहिट रहे फिल्म के गाने

नगीना इतनी पसंद की गई कि फिल्म का सीक्वल निगाहें और नगीना भाग II (1989), भी रिलीज़ किया गया। लेकिन वो इतनी सफल नहीं रही इसलिए आज भी, नगीना को श्रीदेवी के सबसे बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक माना जाता है। नगीना के गीत भी एक दम मुख्तलिफ जादू जगाते हैं संगीत प्रेमियों के दिलों में, तो आपको बता दें कि नगीना फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था। गीत आनंद बक्शी ने लिखे थे। साउंडट्रैक में कुल पाँच गाने थे, जिनमें से एक युगल गीत था और बाकी सभी एकल गीत थे। बोल के साथ आपको याद दिलाए देते हैं कि, “तूने बेचैन इतना ज़ियादा किया” को गाया है, मोहम्मद अज़ीज़ और अनुराधा पौडवाल ने। “मैं तेरी दुश्मन, दुश्मन तू मेरा” को आवाज़ दी है लता मंगेशकर ने, “बलमा तुम बलमा हो मेरे खाली” को गाया है कविता कृष्णमूर्ति ने। “भूली बिसरी एक कहानी” है अनुराधा पौडवाल की आवाज़ में। “आज कल याद कुछ और रहता नहीं” को गाया है मोहम्मद अज़ीज़ ने।

हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फंतासी फिल्म

इस फिल्म में श्रीदेवी की एक्टिंग को देखकर, बॉक्स ऑफिस इंडिया ने कहा कि श्रीदेवी “निर्विवाद नंबर 1” रहीं हैं। फिल्म को इसकी पटकथा, संवाद और निर्देशन के लिए भी सराहा गया। नगीना को याहू ने सर्वश्रेष्ठ साँप फंतासी फिल्मों में से एक का नाम दिया, तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने नगीना को ‘हिंदी सिनेमा की शीर्ष 10 साँप फिल्मों’ में से एक का दर्जा दिया। तो वहीं श्रीदेवी का क्लाइमेक्स डांस नंबर “मैं तेरी दुश्मन” बॉलीवुड में आज भी सर्वश्रेष्ठ साँप नृत्यों में से एक बना हुआ है। देसी हिट्स ने इसे “श्रीदेवी के सबसे प्रतिष्ठित डांस नंबरों में से एक… माना जो अभी भी दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देता है” और आईडिवा ने इसे ” फिल्म किंवदंतियों का सामान” बताया।

नगीना में अभिनय के लिए श्रीदेवी को मिला था विशेष पुरस्कार

2013 में, श्रीदेवी को नगीना और मिस्टर इंडिया में उनके अभिनय के लिए फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार दिया
गया। नगीना ने लगभग ₹4.75 करोड़ की कमाई की। बंगाली लेखक सुमन सेन के अनुसार, नगीना उनके उपन्यास सर्प मानव: नागमणि रोहोस्यो को लिखने की मुख्य प्रेरणा थी। लेखक ने एक छोटे से हिस्से में फिल्म का नाम भी उल्लेख किया था।

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