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मिथक बनाम तथ्य – महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के बारे में : Myths vs Facts About Hormonal Changes

Myths vs Facts About Hormonal Changes – महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव जीवन के विभिन्न चरणों जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव और रजोनिवृत्ति में स्वाभाविक रूप से होते हैं, लेकिन इन बदलावों को लेकर समाज में कई मिथक (Myths) फैले हुए हैं, जिनका महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ सकता है। आज के इस लेख में हम हार्मोनल बदलावों को लेकर प्रचलित कुछ सामान्य मिथकों और उनके पीछे छिपे तथ्यों की चर्चा करेंगे, ताकि जागरूकता बढ़े और महिलाएं अपनी सेहत को लेकर सही निर्णय ले सकें।

मिथक – 1 : पीरियड्स का दर्द सामान्य है, इसका इलाज नहीं होता – Period pain is normal and needs no treatment
तथ्य – Fact – हल्का दर्द सामान्य हो सकता है, लेकिन तीव्र पीरियड्स दर्द यानी Dysmenorrhea का इलाज संभव है। यदि दर्द रोज़मर्रा की गतिविधियों को प्रभावित करता है तो यह एंडोमेट्रियोसिस या पीसीओएस का संकेत हो सकता है जिसका बकायदा इलाज होता है।

मिथक – 2 : हार्मोनल दवाएं हमेशा नुकसानदायक होती हैं – Hormonal medicines are always harmful ?
तथ्य – Fact – हर हार्मोनल दवा नुकसानदायक नहीं होती। डॉक्टर की सलाह से ली गई हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स कई बार फायदेमंद होती हैं,जैसे कि अनियमित पीरियड्स या हार्मोनल इम्बैलेंस को नियंत्रित करने में।

मिथक – 3 : मूड स्विंग्स सिर्फ बहाना है, हार्मोन से इसका कोई लेना-देना नहीं – Mood swings are just an excuse and not hormone-related
तथ्य – Fact – हार्मोन, विशेषकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का महिलाओं के मूड, चिंता और अवसाद से सीधा संबंध है। PMS, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज़ के दौरान मूड स्विंग्स एक वास्तविक बायोलॉजिकल प्रतिक्रिया होती है।

मिथक – 4 : मेनोपॉज़ का मतलब है उम्र भर की कमजोरी-Menopause means lifelong weakness
तथ्य – Fact – मेनोपॉज़ कोई बीमारी नहीं बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। खानपान, एक्सरसाइज़ और डॉक्टर की सलाह से इस चरण में भी महिलाएं स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकती हैं।

मिथक – 5 : सिर्फ प्रेग्नेंसी के समय हार्मोन बदलते हैं – Hormonal changes happen only during pregnancy
तथ्य – Fact – यूं देखा जाए तो हमारे शरीर में हार्मोनल बदलाव जीवनभर होते हैं। मासिक धर्म से लेकर मेनोपॉज़ तक। तनाव, नींद की कमी, थायरॉइड गड़बड़ी, और जीवनशैली भी हार्मोन को प्रभावित करते हैं।

विशेष – Conclusion
हार्मोनल बदलाव महिलाओं के शरीर में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़ी भ्रांतियां महिलाओं की सेहत को लेकर निर्णय लेने में रुकावट बन सकती हैं। जरूरत है सही जानकारी, समय पर जांच और डॉक्टर की सलाह लेने की। महिलाएं जितना अपनी बॉडी और हार्मोन के बारे में जानेंगी, उतना ही वे हेल्दी और आत्मविश्वासी बन सकेंगी।

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