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प्रोटीन पूरक चूर्ण के मिथक और जोखिम~ डॉ. रामानुज पाठक

Myths and Risks of Protein Supplement Powders

Myths and Risks of Protein Supplement Powders

Myths and Risks of Protein Supplement Powder: कई अध्ययनों में इस बात को लेकर चिंता जताई जाती रही है कि देश के अधिकतर लोगों को शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन नहीं मिल पाता है। प्रोटीन की कमी से कई व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं,जैसे प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण,तथा क्वाशियोरकर।प्रोटीन मांसपेशियों, हड्डियों की मजबूती और शरीर के टूटे फूटे अंगों की मरम्मत सहित कई कार्यों के लिए आवश्यक है। धावकों,खिलाड़ियों, व्यायाम करने वाले लोगों में प्रोटीन की जरूरत भी अधिक होती है।

इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाजार में प्रोटीन पाउडर बेचे जाते रहे हैं जिनका दावा है कि इससे हम प्रोटीन की दैनिक जरूरतों की आसानी से पूर्ति कर सकते हैं।आजकल व्यायामशालाओं(जिम) जाने वाले लोगों से लेकर उम्रदराज लोग सेहत के लिए प्रोटीनपूरक चूर्ण (पाउडर) का सेवन करते हैं। पिछले कुछ सालों में प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है। बलिष्ठ मांसपेशियों और बेहतर शारीरिक बनावट की इच्छा रखने वाले युवाओं के बीच बढ़ती प्रोटीन पूरक/ सप्लीमेंट्स की मांग को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। प्रोटीन पाउडर को लेकर कई चौंकाने वाले अध्ययन सामने आए हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान (आई सी एम आर एन आई एन) ने पिछले दिनों पोषक तत्वों की कमी को रोकने के साथ-साथ भारत में मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम को कम करने के लिए 17 आहार संबंधी दिशानिर्देश जारी किए थे।इन नए दिशानिर्देशों में, जिनमें साक्ष्य-आधारित भोजन और जीवनशैली से जुड़ी सिफारिशें शामिल हैं, प्रोटीन पूरक चूर्ण(प्रोटीन सप्लीमेंट पाउडर) की आवश्यकता को खारिज कर दिया गया है।दिशानिर्देशों में बताया गया है कि स्वस्थ और उचित आहार सभी व्यक्तियों की प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार,प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता 0.83 ग्राम/किलोग्राम है,और अनुमानित औसत खपत 0.66 ग्राम /किलोग्राम है।एक नए अध्ययन से भारत में लोकप्रिय प्रोटीन पाउडर के बारे में एक परेशान करने वाली सच्चाई सामने आई है।

मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित विश्लेषण में पाया गया कि परीक्षण किए गए 36 प्रोटीन पूरक चूर्ण/सप्लीमेंट्स में से 70 फीसद में प्रोटीन की जानकारी गलत थी।कुछ मामलों में, ब्रांड ने अपने विज्ञापन में बताई गई मात्रा से आधी ही प्रोटीन सामग्री पेश की। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि 14 फीसद नमूनों में हानिकारक फंगल एफ़्लैटॉक्सिन ( कवक संक्रमण)पाए गए, और 8 फीसद में कीटनाशक अवशेषों के निशान पाए गए। प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट्स के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद ने चेताया है।

विशेषज्ञों ने कहा है कि सौष्ठव शरीर बनाने की चाहत में युवा प्रोटीन पाउडर के नाम पर जाने अनजाने शरीर के लिए हानिकारक चीजों का सेवन कर रहे हैं।इसके कारण फिटनेस तो ठीक होता नहीं बल्कि मधुमेह (डायबिटीज) ह्रदय रोग और मोटापे और गुर्दे(किडनी)और यकृत (लीवर)खराब होने जैसी बीमारियों का जोखिम अवश्य बढ़ जाता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं बाजार में बिक रहे प्रोटीन पाउडर में अतिरिक्त शर्करा और कृत्रिम स्वाद के लिए कृत्रिम रासायनिक रंग मिलाया जाता है। नतीजतन हर प्रोटीन पाउडर की चम्मच के साथ हमारे शरीर में अधिक मात्रा में शर्करा जा रही होती है। शर्करा और कैलोरी की अधिकता को वजन बढ़ाने और कई प्रकार की क्रोनिक(ह्रदय संबंधित )बीमारियों का कारण माना जाता है।

वजन और रक्त शर्करा(ब्लड शुगर) बढ़ने की स्थिति समय के साथ हृदय रोगों के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। यही कारण है कि आहार विशेषज्ञ प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट्स की जगह प्राकृतिक स्रोतों से प्रोटीन प्राप्त करने की सलाह देते हैं।प्रोटीन पाउडर की आवश्यकता नहीं है,क्योंकि स्वस्थ और उचित आहार सभी व्यक्तियों की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है। अतिरिक्त शर्करा और योजक वाले प्रोटीन पाउडर किडनी(गुर्दा) और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं ।प्रोटीन आपूर्ति के लिए प्रोटीन पाउडर, प्रोटीन पूरक, अन्य कृत्रिम पोषण पूरक आदि का सहारा लेना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

ये प्रोटीन पाउडर आमतौर पर अंडे, दूध, मट्ठा, या सोया, मटर, या चावल जैसे वनस्पति स्रोतों से बनाए जाते हैं, कभी-कभी इन स्रोतों के मिश्रण से भी बनते हैं।चिकित्सा विज्ञान की शोध पत्रिका (जर्नल मेडिसिन) में प्रकाशित एक नए अध्ययन के
अनुसार,प्रोटीन पाउडर,जिनमें विटामिन,खनिज(मिनरल)और अन्य प्राकृतिक या कृत्रिम तत्वों वाले हर्बल और डाइटरी सप्लीमेंट शामिल हैं, से यकृत (लिवर) खराब होने का खतरा हो सकता है।अध्ययन में पाया गया कि “प्रोटीन पाउडर में अक्सर गलत जानकारी दी जाती है और इनमें क्या होता है, यह छिपाया जाता है।

एक स्व-वित्त पोषित पारदर्शी अध्ययन में, भारत में लोकप्रिय प्रोटीन पाउडर का बड़े पैमाने पर विश्लेषण किया ताकि औद्योगिक मानकों के आधार पर संभावित रूप से यकृत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों की पहचान की जा सके।अध्ययन में पाया गया है कि कई बड़े ब्रांडों के प्रोटीन पाउडर में शीशा (लेड )और आर्सेनिक जैसे हानिकारक भारी धातु/तत्व पाए गए, और कुछ में यकृत को नुकसान पहुंचाने वाले हर्बल अर्क भी शामिल थे।नियमित संतुलित आहार से आसानी से प्रोटीन प्राप्त किए जा सकते हैं।

दाल, अनाज, मेवे, बीज, अंडे, मुर्गी,मछली आदि प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।तीन अनुपात एक के अनुपात में अनाज के साथ दाल का मिश्रण शरीर में आवश्यक अमीनो अम्लों(प्रोटीन अमीनों अम्लों के बहुलक हैं) को पूरा करने में मदद करता है।चिकित्सकों के अनुसार ये प्रोटीन पूरक, अतिरिक्त शर्करा और योजक के साथ, संतुलित आहार लेने के उद्देश्य को विफल कर देते हैं, जिससे हमारे गुर्दे और हड्डियों के स्वास्थ्य को गंभीर या अधिक नुकसान पहुंचता है।

केवल गंभीर रूप से बीमार या अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्रोटीन पूरक चूर्ण (सप्लीमेंट पाउडर )की आवश्यकता हो सकती है। किसी भी प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट लेने से पहले विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह आवश्यक होती है।
किसी भी प्रकार का प्रोटीन पाउडर / पूरक देने से पहले व्यक्ति के प्रोटीन सेवन का मूल्यांकन और जांच एक योग्य पोषण आहार विशेषज्ञ (क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट) द्वारा किया जाना चाहिए।विशेषज्ञ चिकित्सक प्रोटीन के उपयोग को बढ़ाने और मांसपेशियों को कम होने से बचाने के लिए शारीरिक गतिविधि की सलाह देते हैं, साथ ही साथ खपत किए गए प्रोटीन के प्रभावी उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स और वसा का सेवन करने की भी सलाह देते हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि प्रोटीन पाउडर के अधिक सेवन के कारण पाचन से संबंधित दुष्प्रभावों का खतरा बढ़ जाता है।

कुछ लोगों को लैक्टोज को पचाने में समस्या होती है, जिससे उनमें पेट में सूजन, गैस, पेट में ऐंठन और दस्त जैसे लक्षण हो सकते हैं।इतना ही नहीं उच्च-प्रोटीन आहार से व्यक्ति की किडनी(गुर्दा) की रक्त शोधन (फिल्टर) करने की क्षमता पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। संतुलित आहार में शरीर के कार्यों के लिए सभी 20 आवश्यक अमीनो अम्ल की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए। इनमें से कुछ अमीनो अम्ल (एसिड) प्राप्त करने के लिए, जिनका हमारे शरीर में संश्लेषण नहीं हो सकता है, कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन जैसे विविध खाद्य समूहों का सेवन करना महत्वपूर्ण है।

चिकित्सक प्रोटीन की बाहरी खुराक स्वस्थ लोगों के लिए न लेने की सलाह देते हैं।आहार विशेषज्ञ के अनुसार प्रोटीन पाउडर की जगह पर प्राकृतिक स्रोतों से प्रोटीन प्राप्त करना सुरक्षित होता है। शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के आहार में कई ऐसी चीजें हैं जिनसे दैनिक प्रोटीन आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। वयस्कों के लिए शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम 0.8 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, जिस व्यक्ति का वजन 75 किलोग्राम है, उसे प्रतिदिन 60 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। वर्तमान में 3 से 8 हजार कीमत के प्रोटीन पूरक पाउडर बाजार में भरे पड़े हैं।इसके उपयोग से मांशपेशियों(मसल्स )को आराम(रिलेक्स) मिलता है।ऐसोचैम के एक सर्वे के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि तकरीबन 78 फीसद शहरी युवा प्रोटीन पाउडर का सेवन कर रहे हैं।

भारी संख्या में युवाओं के द्वारा डायट्री सप्लीमेंट का सेवन किया जा रहा है। एक आंकड़े के अनुसार 47 फीसद बच्चे, बड़े ,बुजुर्ग प्रोटीन पाउडर का प्रयोग करते हैं। 85 फीसद जिम के कोच व ट्रेनर उन्हें प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट्स की सलाह देते हैं। प्रोटीन पाउडर के असली उत्पादों में कम फायदा होने के कारण विभिन्न कंपनियों के नकली प्रोटीन पाउडर छोटे बड़े शहरों में कई व्यायाम शालाओं(जिम) में बेचे जा रहे हैं। अवैध कारोबार के दौरान कुछ जिम, दुकानों और यहां तक कि ऑनलाइन कंपनियों द्वारा भी प्रोटीन पाउडर की बिक्री की जा रही है।प्रोटीन पाउडर का पिछले एक दशक में आठ गुना व्यापार बढ़ा है। प्रोटीन पूरक चूर्ण (प्रोटीन सप्लीमेंट पाउडर)की मांग लगातार बढ़ रही है।

ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, वैश्विक प्रोटीन पूरक/ सप्लीमेंट बाजार का मूल्य 2022 में 5.8 अरब डॉलर का था, जिसमें 2030 तक 8 फीसद चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर का अनुमान है।कुछ साल पहले देश में प्रोटीन पाउडर का कारोबार कुछ लाख का था,लेकिन आज यह कई करोड़ से अधिक अरबों डालर में हो गया है। इसमें से अधिक टर्नओवर ऑनलाइन खरीदने से आता है।एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ हेल्थ सॉल्यूशंस में पंजीकृत आहार विशेषज्ञ और क्लीनिकल प्रोफेसर सिमिन लेविंसन, एमएस बताते हैं कि वसा और कार्बोहाइड्रेट के विपरीत, अन्य दो पोषक तत्व जिनकी आपको सबसे अधिक आवश्यकता होती है प्रोटीन और विटामिन हैं।

प्रोटीन हमारे शरीर में जमा नहीं होता है।हमारे शरीर की हर कोशिका में प्रोटीन होता है, जो अमीनो अम्ल की शृंखलाओं से बना एक वृहद पोषक (मैक्रोन्यूट्रिएंट) है, जिसे जीवन के निर्माण खंड कहा जाता है।यह हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है , पाचन में सहायता करने और हार्मोन को विनियमित करने से लेकर व्यायाम की पूर्ति (रिकवरी) में तेजी लाने और रक्त को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने तक के कार्य करता है।जब भी संभव हो प्रोटीन पाउडर की बजाय प्रोटीन युक्त संपूर्ण खाद्य पदार्थ को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के प्रोटीन प्रदान नहीं कर सकता है जो संपूर्ण खाद्य पदार्थों के संतुलित आहार से प्राप्त होते हैं।वैज्ञानिक लेविंसन कहते हैं,हमारे पास संतुलित आहार में प्रोटीन के कई बेहतरीन स्रोत उपलब्ध हैं।बीस अलग-अलग अमीनो अम्लों में से नौ को ज़रूरी माना जाता है, जिसका मतलब है कि हमारा शरीर उन्हें खुद नहीं बना सकता और उन्हें भोजन के ज़रिए प्राप्त करना होगा। जिन खाद्य पदार्थों में सभी ज़रूरी अमीनो अम्ल होते हैं उन्हें पूर्ण प्रोटीन कहा जाता है और वे आम तौर पर पशु-आधारित होते हैं। सोया, क्विनोआ और भांग के बीज कुछ पौधे-आधारित पूर्ण प्रोटीन में से हैं, जो शाकाहारियों और शाकाहारियों को उनके प्रोटीन सेवन को पूरा करने में मदद कर सकते हैं ।

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में खाद्य विज्ञान और मानव पोषण विभाग में सहायक प्रोफेसर टायलर बेकर, जोर देकर कहते हैं कि ध्यान रखें कि प्रोटीन पाउडर एक आहार पूरक है, न कि एक विकल्प,और क्योंकि यह एक पूरक है, इसलिए खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) को आपके पेंट्री में पहुंचने से पहले सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिए इसे मंजूरी देने का अधिकार नहीं है। वास्तव में बाहर से प्रोटीन पाउडर लेने की ज़रूरत नहीं है; औसत व्यक्ति को इसकी ज़रूरत नहीं है।

कुछ प्रोटीन पाउडर बहुत सस्ते में मिलते हैं, जो दवा की दुकानों, किराने की दुकानों, थोक विक्रेताओं और ऑनलाइन बाज़ारों में अनगिनत स्वादों, आकारों और प्रोटीन स्रोतों में बेचे जाते हैं। प्रोटीन पाउडर उपभोक्ताओं को सावधान रहने की आवश्कता है क्योंकि,स्वाद जितना अधिक जिह्वा प्रिय होगा, उतनी ही अधिक संभावना है कि पाउडर में अतिरिक्त चीनी या कृत्रिम मिठास मिली हो सकती है। आजकल, कुछ ऐसे पादप आधारित (प्लांट बेस्ड)प्रोटीन पाउडर भी उपलब्ध हैं जो इतने अच्छे तरीके से तैयार किए गए हैं कि वे प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत और समान मात्रा प्रदान करते हैं ।

आजकल धावकों( एथलीटों) द्वारा अपने भोजन और उनके पोषण पूरक(सप्लीमेंट्स) के लिए ज़्यादा पादप आधारित (प्लांट-बेस्ड) विकल्प चुनने का चलन है। खाद्य और औषधि प्रशासन ऐसे प्रोटीन पूरक/सप्लीमेंट्स को नियंत्रित करता है, लेकिन आम तौर पर बाज़ार में आने के बाद, सटीक लेबलिंग का दायित्व निर्माताओं पर छोड़ देता है।

सामूहिक मुकदमों में कुछ कंपनियों पर “प्रोटीन स्पाइकिंग” का आरोप लगाया गया है, जिसमें विज्ञापित प्रोटीन के बजाय सस्ते, मुक्त-रूप वाले अमीनो अम्ल का उपयोग किया गया है। खाद्य और औषधि प्रशासन ने कई कंपनियों को चेतावनी पत्र भी भेजे हैं, जिसमें उनके प्रोटीन उत्पादों को “मिलावटी आहार पूरक” माना गया है।टफ्ट्स यूनिवर्सिटी फ्रीडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रिशन साइंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर रोजर फील्डिंग, कहते हैं कि बाजार में उपलब्ध अधिकांश प्रोटीन पाउडर में सदैव उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन नहीं होते हैं। कभी कभी प्रोटीन पाउडर में महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं होते हैं।

उदाहरण के लिए, मट्ठा, पनीर बनाने का एक उपोत्पाद है। आहार विशेषज्ञ बताते हैं कि मट्ठा प्रोटीन सप्लीमेंट को अकेले पीने से आपको दूध प्रोटीन मिल सकता है, लेकिन इसके बजाय एक गिलास दूध पीने से कैल्शियम और विटामिन डी भी मिलेगा। प्रोटीन की आवश्यक मात्रा संतुलित आहार से ही प्राप्त करना सर्वथा उचित है। प्रोटीन पूरक/ सप्लीमेंट्स पाउडर खाने से सेहत, स्वास्थ्य के लिए जोखिम बहुत हैं, जो जानलेवा भी हो सकते हैं।

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