दुनिया में कोविड के बाद से ऐसी ऐसी जन्म ले रहीं है की जिसका न हमने कभी नाम सुना और नाहीं इनके बारे में। जैसे की अभी ही देख लीजिये इन दिनों अलग अलग बीमारयों का कैसे कोहराम देखने मिल रहा है। एक तरफ HMPV के केस ज्यादातर राज्यों में आ रहे है। तो दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर के राजौरी में Mysterious Disease यानि की एक रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप है…ऐसा प्रकोप की अब तक तक इसने कई लोगों की जान भी ले ली है इसके अलावा उधर महाराष्ट्र के पुणे में भी एक अजीबोगरीब बीमारी फैल गई है, जो लोगों के पैरों की ताकत तक छीन ले रही है
जम्मू कश्मीर के राजौरी में लगतार हो रही मौतें :
बात करें जम्मू-कश्मीर की तो राजौरी के एक ही गांव में कई लोगों की मौत की खबर इन दिनों काफी चर्चा में है. गांव में पिछले 2 महीने से मौतें हो रही हैं. और अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है लेकिन किसी के पास जवाब नहीं कि इसकी वजह क्या है. इस पर सस्पेंस बना हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौत का सिलसिला एक शादी समारोह से शुरू हुआ और अब बारी-बारी से मौतें हो रही हैं.. इस बीमारी को लेकर गांव में अलर्ट जारी किया गया है।
वहीँ एहतियात बरतते हुए सरकार ने पूरे गांव को ही कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है. कंटेनमेंट जोन का ऐलान करने के बाद इस गांव के लोग कोई भी सार्वजनिक या निजी प्रोग्राम्स को न ही ऑर्गनाइज़ कर पाएंगे और न ही कहीं जा पाएंगे। .इसके अलावा डॉक्टर्स की टीम इस रहस्यमयी बीमारी का पता लगाने में जुटी है लेकिन सस्पेंस फिलहाल बना हुआ है. हालांकि, कहा जा रहा है कि राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में पता चला है कि मृतकों के सैंपल में कुछ न्यूरोटॉक्सिन मिले हैं।
क्या है न्यूरोटॉक्सिन?
न्यूरोटॉक्सिन एक तरह का केमिकल है, जो दिमाग और नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है. यह खाने, हैवी मेटल्स, कीटनाशक, किसी जीव के काटने या फिर अन्य तरीकों से शरीर में पहुंच सकता है. इसकी ज्यादा मात्रा खतरनाक हो सकती है. इससे कई जानलेवा बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं.
न्यूरोटॉक्सिन के लक्षण की बात करें तो सिरदर्द, चक्कर आना, थकान और कमजोरी, इसके लक्षण हैं साथ ही इसमें याददाश्त और एकाग्रता में कमी, मूड स्विंग, तनाव, पाचन गड़बड़ी, त्वचा और बालों की दिक्कतें भी हो सकती हैं.
महाराष्ट्र ने एक अलग बीमारी :
इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसी ही अजीबो गरीबो बीमारी ने भी वहां के लोगों हिला के रखा है। दरअसल महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ने वहां चिंता बढ़ा दी है. अब तक 26 लोग इस बीमारी का शिकार बन चुके हैं. जो हाथ पैरो की ताक़त ही छीन ले रही है। मरीजों में गंभीर दस्त, बुखार, शरीर में ज्यादा दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं. यह एक दुर्लभ बीमारी मानी जाती है. जो शरीर की नसों पर अटैक करती है. इसका असर मांसपेशियों पर पड़ता है, कमजोरी महसूस होती है. कुछ मामलों में हाथ-पैर भी सुन्न हो सकते हैं. गंभीर स्थिति में लकवा भी लगने का खतरा रहता है. बोलें तो ये एक तरह की ऑटो इम्यून बीमारी है। जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम ही हमारे शरीर की कोशिकाओं में अटैक करने लगता है।
गुइलेन-बैरी सिंड्रोम अक्सर एक संक्रमण के बाद डेवलप होता है, इसलिए संक्रमण से बचाव करने की कोशिश करें. हाथों को नियमित रूप से धोएं, खांसी और छींक के समय मुंह और नाक को ढकें और संक्रमित लोगों से दूर रहें. फ्लू और हेपेटाइटिस ए जैसे टीकों से इस इंफेक्शन का खतरा कम हो सकता है, हेल्दी डाइट लें और नियमित तौर पर जांच कराएं.