Musical evening in memory of tabla player Ustad Zakir Hussain: रीवा के टी.आर.एस कॉलेज में आयोजित एक शानदार संगीत संध्या में मुम्बई से पधारीं किराना घराने की पद्मविभूषण प्रभा अत्रे की पट्ट शिष्या अंतर्राष्ट्रीय कलाकार प्रो. डॉ. चेतना पाठक एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध तबला वादक यशवंत वैष्णव ने तबला नवाज़ पद्मविभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित की। मंगलवार को आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी को याद किया गया, जिनकी अद्वितीय महारत ने दुनिया भर के तबला वादकों और संगीतकारों को प्रेरित किया है। शास्त्रीय संगीत में अपनी महारत के लिए जानी जाने वाली डॉ. चेतना पाठक ने राग बागेश्वरी से अपना गायन आरम्भ करते हुये राग दुर्गा में ख्याल गायकी के साथ विलुप्त प्राय टप्पा गायकी के साथ राग काफी में अभूतपूर्व प्रदर्शन के साथ कुछ उपशास्त्रीय रचनाओं मेंअपनी जटिल रचनाओं और गायन प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए एक असाधारण प्रदर्शन किया। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें भारतीय शास्त्रीय परंपराओं का सार उजागर हुआ। उन्होने अपनी गुरु पद्मविभूषण प्रभा अत्रे की सुंदर रचनाओं के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। उनके साथ-साथ यशवंत वैष्णव ने अपने तबला वादन मे अपनी विशिष्ट रचनाओं कोशामिल किया, जिनके बेजोड़ तबला कौशल ने प्रदर्शन में गहराई, लय जोड़ी और तैयारीजिससे उस्ताद जाकिर हुसैन की शैली की जटिल धड़कनें जीवंत हो उठीं। पारंपरिक तालों और रचनाओं के संयोजन वाली इस प्रस्तुति से उन्होनें उस्ताद जाकिर हुसैन को दिल से श्रद्धांजलि दी। जहाँ उन्होंने तबले और शास्त्रीय धुनों के बीचबेहतरीन तालमेल का अनुभव कराया। यह कार्यक्रम समस्त संगीत प्रेमियों और छात्रों से भरे सभाग्रह को एक अलग ही संगीतमय यात्रा पर ले गया। डॉ. चेतना पाठक के साथ तबले पर यशवंत वैष्णव और हार्मोनियम पर इंदौर के दीपक खसरावल जी ने संगत की।
इस श्रद्धांजलि समारोह में न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत में उस्ताद जाकिर हुसैन के योगदान का जश्न मनाया गया, बल्कि रीवा के लोगों को वर्तमान समय के दो बेहतरीन शास्त्रीय संगीतकारों की प्रतिभा को सुनने का अवसर भी मिला। इस कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित संगीतकार, युवा विद्यार्थी एवं कला प्रेमी मौजूद रहे।
टी.आर.एस कॉलेज के दरबार सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम को काफ़ी सराहना मिली और आयोजन का समापन आखिर में खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हुआ, जिससे दर्शक भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अभिभूत और प्रेरित हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रो. वनिता धुर्वे, प्रो. आर. के. धुर्वे एवं युवा तबला वादक प्रियेश पांडेय और उनकी टीम द्वारा टी.आर.एस कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान से आयोजित किया गया।