Music Director Vijay Kalyanji Shah birthday special: संगीत जब जुनून बन जाता है तो रगों में लहू बनकर दौड़ता है। और जब कोई संगीत साधक जुनून के साथ संगीत के सुर साधता है तो वो संगीतज्ञ बन जाता है। इसके बाद फिर उसे दुनिया की किसी चीज़ से मोह नहीं रह जाता है। क्योंकि संगीत वो साधना है जिसे पाकर मनुष्य परम संतुष्टि की प्राप्ति कर लेता है। संगीत किसी तपस्या से कम नहीं है। इसका आनंद इसमें डूबकर ही प्राप्त होता है। आज एक ऐसे ही संगीत साधक की बात करने जा रहे हैं, जिनका नाम है विजय कल्याणजी शाह जिन्होंने अपनी साधना से संगीत को अपनी रगों में समाकर इस विधा में बुलंदी हासिल की।
संगीत में हो रहे बदलाव को समझा
5 जून 1959 को जन्में कल्याणजी विजय शाह, जो कल्याणजी विरजी शाह के बेटे हैं, जिन्हें हम विजू शाह के नाम से भी जानते हैं। ये मुख्य रूप से की-बोर्ड पर संगीत की रचना करते हैं। उन्हें “सिंथ साउंड का राजा” कहा जाता है। एक संगीतकार के रूप में शाह उस समय फिल्म जगत में आए जब पारंपरिक ऑर्केस्ट्रा व्यवस्था गायब हो रही थी और प्रोग्राम्ड संगीत के लिए रास्ता बन रहा था, तब उन्होंने हिंदी फिल्म संगीत में ध्वनि को इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर ले जाते हुए या धीमे और स्पष्ट बदलाव को होते हुए पहली बार देखा और समझा। जिसके बाद इस विधा को एक नया आयाम दिया। और अपने संगीत के ज़रिये लोगों के दिलों में बस गए।
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ऐसे शुरू हुआ फ़िल्मी करियर
विजय कल्याणजी शाह ने विजू शाह के नाम से राजीव राय की एक्शन थ्रिलर फिल्म त्रिदेव (1989) से अपने करियर की शुरुआत की। जिसका संगीत लोगों ने खूब पसंद किया। 1992 में राजीव राय की ही एक और थ्रिलर फिल्म विश्वात्मा के लिए काम किया। इसके बाद फिर उन्होंने लगातार कई फिल्मों में काम किया जैसे कि हॉरर थ्रिलर जुनून (1992) और संगीतमय कॉमेडी फिल्म अंदाज़ अपना अपना (1994) के लिए पृष्ठभूमि संगीत तैयार किया। उनके करियर को एक नई रफ़्तार 1994 में मिली जब उन्होंने राजीव राय के साथ मिलकर फिल्म मोहरा में दिलकश धुनों को रचा। इस फ़िल्म के गाने “तू चीज़ बड़ी है मस्त” और “टिप टिप बरसा पानी” लोगों की जुबां पर ऐसा छाया कि लोग आज भी इसे रोमांस के मूड में गुनगुनाने से खुद को नहीं रोक पाते। इस क़दर लोगों ने इसे सुनना चाहा कि फिल्म “हम आपके हैं कौन” के बाद ये साल का दूसरा सबसे ज़्यादा बिकने वाला बॉलीवुड साउंडट्रैक एल्बम बन गया। जिसकी 8 मिलियन से ज़्यादा यूनिट बिकीं ।
“मोहरा” के बाद चल पड़ा सिलसिला
मोहरा की सफलता के बाद विजू शाह ने 1995 में रावण राज: ए ट्रू स्टोरी और तेरे मेरे सपने जैसी फ़िल्मों में अपने संगीत से हमारा दिल जीता। राजीव राय के साथ उनकी पांचवीं फिल्म (1997) की गुप्त थी जिसके लिए उन्हें 1998 में फिल्म फेयर में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत पुरस्कार मिला। इसके अलावा भी उन्हें कई फिल्मों में नामांकन प्राप्त हुए हैं। चलते-चलते उनके संगीत से सजी कुछ और फिल्मों को हम याद करें तो डेविड धवन की (1998) में आई कॉमेडी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां के संगीत में उन्होंने कमाल दिखाया। वहीं 2001 में रोमांटिक फ़िल्म प्यार इश्क और मोहब्बत के लिए भी बेमिसाल संगीत तैयार किया।
और 2021 की नेटफ्लिक्स फिल्म क्लास ऑफ ’83 के लिए भी बैकग्राउंड म्यूजिक तैयार किया । हमें आशा है वो आगे भी अपनी दिलकश धुनों से हमें लुत्फ और अंदोज़ करते रहेंगे।
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