रिदम किंग और ताल के बादशाह कहे जाने वाले ओपी नैय्यर की जानिए कुछ खास बातें

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न्याजिया बेगम

music director op nayyar: साज़ों में खनक कहां से लाते थे तुम ,झूम जाता है ज़माना जिस तर्ज़ से, वो धुन कैसे बनाते थे तुम, थिरकते है क़दम जिन नग़्मों से आज भी ,मौसिकी का ये जादू कैसे चलाते थे तुम जी हां हम बात कर रहे हैं , रिदम किंग और ताल के बादशाह कहे जाने वाले ओपी नैय्यर की। ओंकार प्रसाद नैयर की जो सिर्फ संगीतकार नहीं थे बल्कि गायक और गीतकार भी थे। उन्हें हिंदी फिल्म उद्योग के सबसे लयबद्ध और मधुर संगीत निर्देशकों में से एक माना जाता है ।उन्होंने नया दौर के लिए 1958 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता । नैय्यर साहब ने गायिका गीता दत्त , आशा भोंसले , मोहम्मद रफी के साथ बड़े पैमाने पर काम किया , हालांकि स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ काम नहीं किया , इसकी वजह पर ग़ौर करें तो 60 और 70 के दशक में ओ पी नय्यर अपने संगीत के बल पर फिल्म हिट को कराने का मद्दा रखते थे और अपनी शर्तों पर काम करने वाले कलाकार थे इसी ज़िद और जुनून में वो फिल्म आसमान का संगीत तैयार कर रहे थे जिसमें एक गाना सहअभिनेत्री के लिए बनाया और लता मंगेशकर से गाने के लिए कहा पर लता जी को ये बात बुरी लगी कि उन्हें सह अभिनेत्री के लिए गीत गाने के लिए कहा गया है और उन्होंने गाने से इनकार कर दिया जिसके बाद ओ पी नय्यर को भी उनका मना करना बुरा लग गया और फिर उन्होंने ठान लिया कि अब वो उनके साथ काम नहीं करेंगे ।


कहते हैं कभी न भुलाया जा सकने वाला संगीत देने वाले ओ पी नैय्यर फिल्मी दुनिया में संगीतकार बनने नहीं बल्कि हीरो बनने आए थे। लेकिन उनको रिजेक्शन मिलता गया। रिजेक्शन के साथ उनको सलाह मिली कि कुछ और करो, कुछ और के नाम पर एक संगीत था जो वह जानते थे। तो हरमोनियम से दोस्ती बढ़ाते हुए उन्होंने संगीत का जादू चलाना शुरू किया। फिर उन्हे मिली गुरुदत्त की फिल्में जिनके गीतों ‘कभी आर कभी पार लागा तीरे नज़र’, ‘ऐ लो मैं हारी पिया’ और ‘बाबूजी धीरे चलना… बड़े धोखे हैं इस राह में’ ने धूम मचा दी और ओपी का नाम फिल्म जगत में चल निकला।


इन सबके बाद ओपी नैय्यर की मुलाकात आशा भोंसले से हुई। आशा ताई को इतनी कामयाब गायिका बनाने का श्रेय अगर किसी को दिया जा सकता है तो वो थे ओ पी नैय्यर। उन्होंने आशा की आवाज़ की रेंज का पूरा इस्तेमाल अपने गीतों की खनक में किया,आप दोनो ने कई फिल्मों में एक साथ काम किया ओपी नैय्यर ने किशोर कुमार की काबिलियत को उनके लोकप्रिय गायक बनने से बहुत पहले ही पहचान लिया था जिसकी वजह से 1955 की फिल्म बाप रे बाप और 1958 की फिल्म रागिनी में आप उन्हें खास “ओपी” शैली में गाते हुए सुन सकते हैं । नैय्यर का जन्म लाहौर , ब्रिटिश भारत यानी अब के पाकिस्तान में 16 जनवरी 1926 को आज के ही दिन हुआ था ।संगीत को बड़ी संजीदगी और शिद्दत से सीखने के बाद उन्होंने 1949 की फिल्म कनीज़ के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक तैयार किया , 1952 की फिल्म आसमान , बतौर संगीत निर्देशक उनकी पहली फिल्म थी।
इसके बाद नैय्यर ने छम छमा छम और 1953 की फिल्म बाज़ के लिए संगीत तैयार किया ।


फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता गुरु दत्त के लिए उन्होंने 1954 की आर पार ,1955 की मिस्टर एंड मिसेज ’55 और सीआईडी ​​ के लिए संगीत रचा नैय्यर साहब ने शुरुआत में शमशाद बेगम, गीता दत्त और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में आए बेहद दिलकश नग़्मों की धुन बनाई तो सीआईडी ​​में आशा भोंसले को पेश किया गया । यहां हम आपको ये भी बता दें कि नैय्यर जी का पसंदीदा राग हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पीलू है , कर्नाटक संगीत में इसका समकक्ष कपि (राग) है जो अंततः उनकी अधिकांश रचनाओं का स्रोत बना रहा, लेकिन उनकी खासियत थी कि किसी को इन धुनों में रागों की भनक भी नहीं लगती थी और इसे सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे । 1957 में नासिर हुसैन ने नवागंतुक शम्मी कपूर और अमिता के लिए रोमांटिक धुनों को बनाने के लिए नैय्यर जी को चुना फ़िल्म थी तुमसा नहीं देखा और 1964 में आई ,फिर वही दिल लाया हूँ इस दशक के दौरान, राज्य-नियंत्रित ऑल इंडिया रेडियो ने नैय्यर के अधिकांश गानों पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि ब्रॉडकास्टर ने उन्हें बहुत “ट्रेंडी” माना।


इसके बाद भी नैय्यर साहब के संगीत निर्देशन में फिल्म बहारें फिर भी आएंगी में ,महेंद्र कपूर का गाया गीत “बदल जाए अगर माली, चमन होता नहीं खाली” बहोत लोकप्रिय हुआ और आज भी सदाबहार नग़्मों की फेहरिस्त में शामिल है आपने ,रवीन्द्रनाथ टैगोर की बंगाली कृति पर आधारित “चल अकेला, चल अकेला” का संगीत भी रचा जिसे मुकेश ने गाया, मेरे सनम में अपने संगीत को एक नयी ऊंचाईयों पर ले गए जब उन्होंने जाईये आप कहाँ जायेंगे तथा पुकारता चला हूं मैं जैसे गाने दिये।
“कजरा मोहब्बतवाला” तो आपको याद ही होगा वो अपने चुलबुले संगीत के लिये आज भी याद किए जाते हैं । आपके संगीत निर्देशन में आशा जी ने बहोत से गाने गाए पर 1974 में नैय्यर और भोसले अलग हो गए और फिर उन्होंने दिलराज कौर, कृष्णा कलले, वाणी जयराम और कविता कृष्णमूर्ति के साथ भी काम किया कहते हैं कि आशा जी के लिए उनके इश्क़ की दीवानगी इस क़दर थी कि आशा जी के अलावा न कुछ उन्हें दिखाई देता था न सुनाई।


आशा भोंसले ने आखिरी दफा नय्यर साहब के संगीत निर्देशन में गीत गाया “चैन से हमको कभी” फिल्म प्राण जाए पर वचन ना जाए के लिए और इस गीत के लिए आशा जी को 1975 में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला ।
नैय्यर साहब को 1957 की नया दौर के गीत “ये देश है वीर जवानों का” संगीत देने के लिए 1958 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार दिया गया। ओ पी नय्यर जी ने ही सबसे पहले हास्य कलाकारों को पूरे तीन मिनट के गाने सौंपने की परंपरा शुरू की जिसके तहत ओम प्रकाश ने जाली नोट में नैय्यर का “चूड़ी बने कांटा बने” और हावड़ा ब्रिज में,” ईंट की दुखी पान का इक्का “गाया और जॉनी वॉकर ने सीआईडी ​​में “ऐ दिल है मुश्किल जीना यहां” , मिस्टर एंड मिसेज 55 में “जाने कहां मेरा जिगर गया जी” के साथ अभिनय किया ।


1970 के दशक में नैय्यर कम सक्रिय थे ,हिंदी फिल्मों के अलावा, नैय्यर ने 1989 में तेलुगु में नीरजनम फिल्म के लिए संगीत दिया । उन्होंने 1990 के दशक में 1992 में मंगनी और निश्चय और 1994 में ज़िद के साथ वापसी की। ओपी नैय्यर ने आशा भोसले का करियर बनाने में एक अहम भूमिका निभाई,पर 1974 में ओपी और आशा क्यों अलग हो गए, इस पर दोनों में से किसी ने कभी बात नहीं की.और बड़ी खामोशी से नई सुर लहरियां को तलाशते हुए 28 जनवरी 2007 को ओ पी नय्यर इस दुनिया से दूर चले गए पर अपने चाहने वालों के दिलों में वो हमेशा जावेदा रहेंगे अपनी मौसिकी के ज़रिए वो हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में राज करेंगे और अपने सदाबहार संगीत से संवरे नग़्मों से हमें लुत्फ अन्दोज़ करते रहेंगे । हम आपको बता दें कि उनकी पोती निहारिका रायज़ादा भी एक अभिनेत्री हैं। उनके संगीत से सजी फिल्मों कि बात करे तो ये फेहरिस्त थोड़ी लम्बी हो जायेगी फिर भी हम कुछ खास फिल्मों का ज़िक्र ज़रूर करना चाहेंगे जैसे – फागुन ,दो उस्ताद ,जाली नोट ,बसंत ,हांगकांग ,एक मुसाफिर एक हसीना ,फिर वही दिल लाया हूँ ,कश्मीर की कली मेरे सनम ,बहारें फिर भी आएंगी ,मोहब्बत जिंदगी है ,सावन की घटा ,ये रात फिर ना आएगी ,हमसाया ,किस्मत,एक बार मुस्कुरा दो ,टैक्सी ड्राइवर और ज़िद इनके गीतों में जो खनक है वो नायाब है बेमिसाल है एक बार इन धुनों को गुनगुना के देखिए इसके रौ में बहने से रोक नहीं पाएंगे खुद को ,कुछ हम और याद दिलाए तो कहेंगे ,” एक तू है पिया जिसपे दिल आ गया …” दिलनशीं मौसिकी़ के जादूगर को सलाम ।

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