Music composer Pritam Chakraborty Birthday: ‘ पीलू तेरी धीमी धीमी सांसों की सरगम पीलूं … और ‘ तुम जो आए ज़िंदगी में…’ , जैसे गानों की धुन आज के शोरगुल वाले तड़कते भड़कते संगीत से थोड़ा अलग है जो मधुरता के साथ संगीत प्रेमियों को अपनी रौ में बहा ले जाती है पर क्या आप सोच सकते हैं कि वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई फिल्म के गीतों को दिलकश धुनों से संवारने वाले ,हम सबको अपनी मौसिकी के फन से दीवाना बनाने वाले प्रीतम चक्रवर्ती को फिल्म संगीत से जुड़ने के लिए घर में बहाना बनाना पड़ा था, उन्होंने साउंड रिकॉर्डिंग इंजीनियरिंग के लिए पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया तो अपने घर वालों को बस ये कहकर कि वो इंजीनियरिंग कर रहे हैं।
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साउंड इंजीनियरिंग के ज़रिए फिल्म म्यूजिक को समझा
हालांकि उनके माता पिता संगीत में रुचि रखते हैं, पिता प्रबोध चक्रवर्ती तो गिटार बजाते और बच्चों को सिखाते भी हैं, प्रीतम संगीत के प्रति अपने रुझान का श्रेय पापा को ही देते हैं , लेकिन जहां म्यूजिक में करियर बनाने की बात आती तो वो कहते कुछ और करो, पर प्रीतम को लौ तो संगीत से ही लग गई थी वो कुछ और करने का सोच भी नहीं सकते थे इसलिए बहाने से उन्होंने साउंड इंजीनियरिंग के ज़रिए फिल्म म्यूजिक को समझा अपने प्रोफेसर आवती जी के साथ बतौर सहायक अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में काम किया इसके बाद वो जिंगल और विज्ञापन के साथ कुछ टी वी धारावाहिकों के लिए भी संगीत बनाने लगे । ये मेहनत तब रंग लाई जब उनकी मुलाक़ात संजय गढ़वी से हुई जिन्हें प्रीतम का काम और लगन बेहद पसंद आई और उन्होंने प्रीतम को पहली फिल्म ‘ तेरे लिए ‘ दी पर इस फिल्म के पहले से संगीतकार थे जीत गांगुली लिहाज़ा जब म्यूजिक बना तो जीत, प्रीतम के नाम से पर कुछ ही दिनों बाद यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म ‘ मेरे यार की शादी है ‘ मिल गई फिर आपने धूम का शीर्षक संगीत बनाया जिसने अपने नाम की तरह धूम मचा दी, बस फिर क्या था ये सिलसिला चल निकला और गरम मसाला, गैंगस्टर जैसी फिल्मों के संगीत से आपने बतौर संगीतकार फिल्म जगत में अपनी जगह बना ली।
शास्त्रीय संगीत में पाश्चात्य संगीत के मिश्रण में महारथ
14 जून को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में जन्में प्रीतम अब संगीत निर्देशक, संगीतकार, गायक, वादक और रिकार्ड निर्माता भी हैं। प्रीतम रॉक बैंड बजाते हैं वेस्टर्न म्यूजिक भी सुनते हैं पर पुराने फिल्म संगीत से उन्हें कुछ ख़ास लगाव है और शायद इसीलिए अपने संगीत में वो मेलोडी को बरक़रार रखते हुए दिलकश धुनों को संजोते हैं और शास्त्रीय संगीत में पाश्चात्य संगीत के मिश्रण में तो उन्हें महारथ हासिल है, वो कहते हैं की उनकी हर धुन एक दूसरे से अलग होती है क्योंकि हर किरदार एक दूसरे से अलग होता है, उन्होंने “जोतुग्रीहर पाखी” नाम का एक बैंड बनाया है और संगीत से जुड़े कई रियल्टी शोज़ में वो हमें बतौर जज भी नज़र आते रहते हैं ,आपको भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार,अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार और फिल्म फेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के खेताब से नवाज़ा गया इसके अलावा भी कई अन्य अवॉर्ड आपके नाम हैं , आपके संगीत निर्देशन में आई कुछ खास फिल्मों का हम नाम ले तो सबसे पहले याद आती हैं ,लाइफ इन अ मेट्रो,बर्फी ,जन्नत ,किस्मत कनेक्शन ,जब वी मेट,लव आजकल, रेस,अजब प्रेम की गज़ब कहानी, कॉकटेल ,ये जवानी है दीवानी, बॉडीगॉर्ड,और रेडी,इनके गीतों के साथ मौसम का गीत रब्बा मैं तो मर गया भी खूब पसंद किया गया ,हमें उम्मीद है इसी तरह वो दिलनशीन धुनों के साथ नई ऊंचाइयों को हासिल करेंगे ।
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