मुशर्रफ ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन अमेरिका को बेच दिए थे: पूर्व सीआईए अधिकारी का दावा

Musharraf sold Pakistan’s nuclear weapons to America: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन (US Controls Pakistan Nuclear Weapons) को अमेरिका को बेच दिया था, ऐसा दावा पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकू (John Kiriakou) ने किया है। 25 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में किरियाकू ने कहा कि मुशर्रफ ने अमेरिका को “मिलियंस ऑफ डॉलर्स की मदद” देकर “खरीद लिया” था, जिसके बदले में उन्होंने न्यूक्लियर वेपन का नियंत्रण सौंपा। यह दावा पाकिस्तान की सुरक्षा और विदेश नीति पर सवाल उठा रहा है।

जॉन किरियाकू, जो 2002 में पाकिस्तान में तैनात थे, ने एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे बताया गया था कि पेंटागन (Pentagon) ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन को नियंत्रित किया, और मुशर्रफ ने इसे बेच दिया क्योंकि अमेरिका ने उन्हें आर्थिक और सैन्य सहायता दी।” उन्होंने आगे कहा, “अमेरिका तानाशाहों के साथ काम करना पसंद करता है, क्योंकि उन्हें जनमत या मीडिया की चिंता नहीं होती।” किरियाकू का यह बयान पाकिस्तान की संप्रभुता और न्यूक्लियर वेपन की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है।

परवेज मुशर्रफ 1999 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे, और इस दौरान अमेरिका के साथ उनका रिश्ता “दोस्ती और दुश्मनी” के बीच रहा। 9/11 अटैक्स (9/11 Attacks) के बाद मुशर्रफ ने अमेरिका का साथ दिया, लेकिन साथ ही पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI ने भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों (Terrorist Activities Against India) को जारी रखा। किरियाकू के अनुसार, मुशर्रफ ने “दोहरा खेल” (Double Game) खेला, जहां एक तरफ उन्होंने अमेरिका को सहायता दी, वहीं दूसरी तरफ भारत के खिलाफ गुप्त ऑपरेशंस जारी रहे।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय (Pakistan Foreign Ministry) ने इस दावे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन कुछ राजनीतिक नेताओं ने इसे “बेबुनियाद अफवाह” (Baseless Rumors) करार दिया है। अमेरिकी प्रवक्ता ने भी इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन किरियाकू के बयान ने पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों (Pakistan-US Relations) पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है।

यह दावा पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन की सुरक्षा (Nuclear Weapons Security) पर सवाल उठा रहा है, खासकर जब आतंकवादी संगठन (Terrorist Organizations) इन हथियारों को हासिल करने की कोशिश में रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह दावा सही है, तो यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए गंभीर खतरा है।

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