Munshi Premchand story drama : प्रेमचंद की कहानी “आगा पीछा” का मंचन

मंच पर प्रेमचंद की कहानी ‘आगा पीछा’ पर आधारित नाटक का दृश्य, जहां कलाकार संवाद के माध्यम से सामाजिक संदेश प्रस्तुत कर रहे हैं।


Munshi Premchand story drama : प्रेमचंद की कहानी “आगा पीछा” का मंचन-कलम के सिपाही कहे जाने वाले महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘आगा पीछा’ आज भी सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से उजागर करती है। इसी कहानी पर आधारित नाटक का भव्य एवं भावनात्मक मंचन इन्द्रवती नाट्य समिति, सीधी के आयोजकत्व में टाटा कॉलेज, सीधी के विवेकानंद सभागार में किया गया। दोपहर 01 बजे शुरू हुए इस मंचन ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन दिया, बल्कि समाज के कठोर सच से भी रूबरू कराया।टाटा कॉलेज के विवेकानंद सभागार में इन्द्रवती नाट्य समिति सीधी द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘आगा पीछा’ पर आधारित नाटक का प्रभावशाली मंचन किया गया। युवा रंग निर्देशक रोशनी प्रसाद मिश्र के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक ने सामाजिक भेदभाव, प्रेम और स्त्री संघर्ष की मार्मिक कथा को जीवंत कर दिया।

गरिमामई उपस्थिति और कार्यक्रम का शुभारंभ

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में इंद्रशरण सिंह चौहान (भूतपूर्व जिलाध्यक्ष, भाजपा), विशिष्ट अतिथि जिला प्रचारक शुभम भाई साहब, तथा अध्यक्षता इंजी. आर. बी. सिंह ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां वीणावादिनी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया, जिसके बाद गणेश वंदना से नाटक की शुरुआत हुई।

नाटक की कथा-समाज के दोहरे चरित्र पर करारा प्रहार

नाटक की कहानी कोकिला नामक एक वैश्या के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे परिस्थितिवश वेश्यालय में बेच दिया जाता है। कोकिला का संबंध जनार्दन सेठ से बनता है और उससे एक पुत्री श्रद्धा का जन्म होता है। जब श्रद्धा कॉलेज में पढ़ने जाती है, तो उसे समाज की घृणा और अपमान का सामना करना पड़ता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात भगतराम से होती है, जो स्वयं जातीय भेदभाव का शिकार है। समान पीड़ा और विचारधारा दोनों को एक-दूसरे के करीब ले आती है और उनका संबंध प्रेम में बदल जाता है। विवाह की तिथि तय होने के बावजूद सामाजिक भय भगतराम को मानसिक रूप से तोड़ देता है और अंततः उसकी मृत्यु हो जाती है। श्रद्धा जीवन भर उसके साथ अपने रिश्ते को निभाने का संकल्प लेते हुए विवाह न करने का निर्णय लेती है। यह अंत दर्शकों को गहरी संवेदना में डुबो देता है।

निर्देशन, संगीत और लोक रंगों का प्रभावी संगम

युवा रंग निर्देशक रोशनी प्रसाद मिश्र ने उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए नाटक में भोजपुरी लोकधुनों और बिहार के लौंडा नाच को शामिल किया, जिसने प्रस्तुति को अत्यंत जीवंत और प्रामाणिक बना दिया। शुरुआती दृश्यों में संगीत पर दर्शक झूमते नजर आए, वहीं अंतिम दृश्य में कलाकारों के सात्विक अभिनय ने पूरे सभागार को भावुक कर दिया।

कलाकारों और तकनीकी टीम का सराहनीय योगदान

  • कोकिला-राहुल सेन,श्रद्धा-यश कुमार,भगतराम व सूत्रधार-सूर्यकांत,चौधरी, जनार्दन सेठ व सूत्रधार-अभोर
  • चौधराइन व सूत्रधार-मनीष कुमार,प्रकाश परिकल्पना-रजनीश कुमार जायसवाल,संगीत संयोजन-प्रजीत कुमार साकेत,तबला संगत-सजल मिश्र,कार्यशाला परिकल्पना-नीरज कुंदेर,मंच संचालन एवं स्थानीय प्रबंधन-अंकुश सिंह की रही।
  • विशिष्ट जनों की उपस्थिति-कार्यक्रम में रचना राजे सिंह, राजेश वर्मा, राघवेंद्र द्विवेदी, सौरभ सिंह सहित अनेक प्राध्यापक, रंगकर्मी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

    निष्कर्ष (Conclusion)-नाटक ‘आगा पीछा’ का यह मंचन केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि समाज के भीतर मौजूद स्त्री शोषण, जातीय भेदभाव और नैतिक दोहरेपन पर गहन विमर्श था। इन्द्रवती नाट्य समिति और निर्देशक रोशनी प्रसाद मिश्र की यह प्रस्तुति दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ने में पूरी तरह सफल रही। उल्लेखनीय है कि आज शाम 07 बजे बैजनाथ सभागार, इन्द्रवती नाट्य समिति कार्यालय, सीधी में इसका पुनः मंचन किया जाएगा, जो रंगमंच प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा।

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