26/11 Mumbai Attack | Karambir Singh Kang | Taj Hotel | Mumbai Terror Attack | 26 November 2024 | जब चारों ओर गोलियों की तड़तड़ाहट हो,,,, भस्म कर देने वाली आग लोगों को अपने आगोश में ले रही हो,,,, दर्दनाक चीखों और खौफजदा माहौल ने जिंदा रहने की उम्मीदें लगभग खत्म कर दी हो,,,, ऐसे डरावने समय में अगर आपका परिवार फंसा हो तो आप क्या करेंगे,,,, आपको लग रहा होगा मैं अजीब सा सवाल पूछ रहा हूं,,,, जाहिर सी बात है हर इंसान अपने परिवार को बचाने के लिए जी जान लगा देगा,,,, और ऐसा होना भी चाहिए,,,, मगर शख्सियत सांची के इस भाग में हम उस जांबाज की बात करने जा रहे हैं,,,, जिसने अपनेपन की जगह अपनत्व को तरजीह दी,,,, जिसने कर्म की जगह कर्तव्य को आगे रखा,,,,
हम बात कर रहे हैं मुंबई में हुए 26/11 हमले में आतंकियों के मंसूबे पर पानी फेरने वाले जांबाज करमबीर सिंह कांग की,,,, जी हां ये कोई, सेना का अधिकारी नहीं ,,,, किसी स्पेशल फोर्स का सिपाही नहीं और न ही पुलिसकर्मी था,,,, बल्कि करमबीर सिंह कांग होटल में जरनल मैनेजर थे,,,, इस आम इंसान के कारनामे ने इसे कैसे खास बना दिया आज हम इस सेगमेंट में बात करेंगे,,, साथ ही आपको बताएंगे कि कैसे अपने परिवार को खो देने वाले कांग ने मुसीबत में फंसे सैकड़ों परिवारों को बचाया,,,, तो आईए जानते है,,,
मुंबई में 2008 को हुए 26/11 के आंतकी हमले को मंगलवार के दिन 16 साल पूरे हो रहे हैं,,,, लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस आतंकियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था,,,,, चार दिन तक चले इस आतंक में 160 से अधिक लोग मारे गए थे,,,,, हमलावरों ने मुंबई के दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया,,,, इस हमले में होटल ताज धू-धू कर जल रहा था,,,,
हमले के दौरान होटल के तत्कालीन जनरल मैनेजर करमबीर सिंह कांग ने जो साहस दिखाया,,,,, उसने लोगों के लिए लीडरशिप की एक मिसाल पेश की,,,, आतंकियों ने ताज की छठीं मंजिल पर जिस कमरे में आग लगाई थी,,,, उसी में कांग की पत्नी और उनके 2 बच्चे मौजूद थे,,,,, उनकी चीख-पुकार और मदद के लिए गुहार बाहर तक साफ सुनाई दे रही थी,,,, उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए कांग हर पुलिस वाले और फायर ब्रिगेड कर्मी से हाथ जोड़कर गुजारिश कर रहे थे,,,,
आग की लपटों के बीच कश्मकश
कांग पर उस वक्त दोहरी जिम्मेदारी थी,,,, अपने परिवार को सुरक्षित निकालना भी था और होटल में फंसे बाकी लोगों को बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन भी करना था,,,, ऐसे समय में कांग की मदद से कई लोगों की जिंदगियां बचा ली गईं,,,, लेकिन कांग का परिवार बिखर गया,,,, जब तक फायर ब्रिगेड के जवान आग बुझाकर उस कमरे में पहुंचते,,,,
कांग की पत्नी और दोनों बच्चे राख के ढेर में तब्दील हो चुके थे,,,, पत्नी नीति और दोनों बेटों उदय व समर की लाश देखकर कांग टूट से गए,,,,, इन तीनों की लाश होटल में उनके कमरे के एक टॉयलेट से मिली,,,,
पिता ने बढ़ाया हौंसला
आतंकी हमले की उस रात को जब कांग ने अपने पिता को फोन करके पूरी बात बताई तो उनके पिता ने हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि आप एक बहादुर सिख बने,,,, आप एक आर्मी जनरल के बेटे हैं,,, इसके बाद कांग को बीवी और बच्चों की मौत का ख्वाब हिला नहीं सका,,, उन्होंने इसे नियति मानकर बर्दाश्त किया और अपने कर्तव्य को आगे रखकर लोगों की जान बचाने शुरू कर दी,,,, कर्मवीर सिंह कांग ने अपने नाम के अनुसार ही उसकी सार्थकता को सिद्ध कर दिया था,,,,
अपने एक करीबी संग दर्द बांटते हुए उन्होंने कहा था कि आतंकी हमले जैसी घटना जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण बदल देती हैं साथ ही आपका आत्मचिंतन मजबूत करती है,,,,, बाद में कांग को उनके काम के लिए फोर्ब्स पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था,,,, कांग इस समय अमेरिका में ताज होटल के एरिया डायरेक्टर हैं,,,
जवाब से रतन टाटा हुए हैरान
ताज होटल के मालिक रतन टाटा हमले के बाद खुद जाकर कांग से मिले,,,, अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि ‘मैं कांग के पास गया और उसे बताया कि मुझे कितना दुख है तो उसने कहा, सर हम ताज को पहले की तरह बनाने जा रहे हैं।’ कर्मवीर सिंह कांग का जवाब सुनकर खुद टाटा हैरान रह गए थे,,,,
फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निरोलस सरकोजी ने कांग को हमले के दौरान साहस दिखाने पर ‘ऑफिसर ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट’ का पदक देकर सम्मानित किया,,,, हमले के समय होटल में मौजूद सैकड़ों अतिथियों में फ्रांस के भी नागरिक थे,,,,
जाबांजों को सलाम
मुंबई में हुए 26/11 का हमला आज भी लोगों की जेहन में ताजा है,,,, उसके निशां मिट पाना नामुमकिन है,,,, उस हमले में मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले, मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात अशोक काम्टे, सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जैसे कई जाबांजों की बहादुरी भी भुलाना असंभव है,,,, शब्द सांची ऐसे वीरों और उनकी वीरता को सलाम करता है,,,,,