माफिया मुख़्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. बांदा जेल में मुख्तार को हार्ट अटैक आया था, इसके बाद मुख़्तार को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. बता दें कि मुख़्तार अंसारी की तबियत रात में अचानक ख़राब हो जाने और शौचालय में गिर जाने के कारण उसे तत्काल जेल डॉक्टर द्वारा उपचार दिया गया. इसके बाद जिला प्रशासन को अवगत कराकर डॉक्टर की टीम बुलाई गई थी. इसके बाद मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, वहां पहुंचने के बाद इलाज के दौरान मुख़्तार की मौत हो गई. आइए जानते है मुख़्तार की कहानी….
Date of Birth of Mukhtar Ansari, Mukhtar Ansari Ka Janm Kab Hua, Mukhtar Ansari Ka Janm Kahan Hua What was the name of Mukhtar Ansari’s father, Mukhtar Ansari Ke Pita Ka Kya Naam Tha, Mukhtar Ansari Ke Beton Ka Kya Naam Hai, Mukhtar Ansari Kaun Tha माफिया मुख़्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. बांदा जेल में मुख्तार को हार्ट अटैक आया था, इसके बाद मुख़्तार को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. बता दें कि मुख़्तार अंसारी की तबियत रात में अचानक ख़राब हो जाने और शौचालय में गिर जाने के कारण उसे तत्काल जेल डॉक्टर द्वारा उपचार दिया गया. इसके बाद जिला प्रशासन को अवगत कराकर डॉक्टर की टीम बुलाई गई थी. इसके बाद मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, वहां पहुंचने के बाद इलाज के दौरान मुख़्तार की मौत हो गई. यूपी में मुख़्तार के खिलाफ 60 से ज्यादा केस दर्ज थे. मऊ से पांच बार विधायक रहा अंसारी 16 साल से ज्यादा समय से जेल में था.
मुख़्तार अंसारी का जन्म
मुख़्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. मुख़्तार अंसारी की पत्नी का नाम अफशां अंसारी है. तीन भाइयों में वह सबसे छोटा था. उसके दो बेटे अब्बास और उमर अंसारी हैं.
कॉलेज स्टूडेंट से कैसे माफिया बना मुख़्तार?
90 के दशक में ये वो दौर था जब पूर्वांचल में एक नए तरह का अपराध सिर उठा रहा था. रेलवे शराब और दूसरे सरकारी ठेके हासिल करने की रेस में अपराधियों के गैंग उभरने लगे थे. पूर्वांचल में माफिया डॉन और बाहुबली तेजी से उभर रहे थे. गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे मुख़्तार को इस ताकत का अंदाजा लग चुका था. उन्हीं दिनों मुख़्तार ने एक बाहुबली मखून सिंह से हाथ मिला लिया। मखून सिंह पूर्वांचल के दिग्गज नेता हरिशंकर तिवारी का खास हुआ करता था. तभी मखून सिंह की त्रिभुवन सिंह के साथ एक जमीन कब्जे को लेकर गैंगवार में लाशें गिरने का सिलसिला शुरू हो गया.
उसी समय कोर्ट परिसर में हुए गोलीकाण्ड में एक और नाम उभर कर सामने आया ये नाम था ‘मुख़्तार अंसारी’ का. लोगों का कहना था कि ये हत्या मुख़्तार ने ही की थी. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की हत्या हुई थी वह मखून सिंह का दुश्मन साहिब सिंह था। इसके कुछ दिन बाद पुलिस लाइन के अंदर खड़े हुए दीवान की राजेंद्र सिंह की हत्या भी इसी अंदाज में हुई थी. इसमें भी मुख़्तार का नाम सामने आया था. यहीं दे शुरू हुआ मुख़्तार अंसारी के पूर्वांचल के बाहुबली और यूपी के माफिया डॉन बनने का सिलसिला।
मुख़्तार का राजनीतिक सफर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सियासत में मुख़्तार की एंट्री बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से हुई. 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख़्तार ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. आखिरी तीन चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े. 2010 में बसपा प्रमुख मायावती ने उसे पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद उसने कौमी एकता दल नाम से अपनी पार्टी बनाई। हालांकि 2017 में एक बार फिर बसपा में उसकी वापसी हुई. 2009 में लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के राष्ट्रीय नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ वाराणसी से उम्मीदवार रहा। हालांकि वह 17,211 वोटों से हार गया था. 2014 के लोकसभा में भी वह वाराणसी पीएम कैंडिडेट रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन हार गया.
मुख़्तार के परिवार का गौरवशाली इतिहास
मुख़्तार अंसारी भले ही संगठित अपराध का चेहरा बन चुका था. लेकिन गाजीपुर में उसके परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. सिर्फ डर की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से भी इलाके के गरीब गुरबों में मुख्तार के परिवार का सम्मान है. बता दें कि मुख़्तार के दादा डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और वे गांधी जी के बेहद करीबी माने जाते थे. इसके अलावा मुख़्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी भी कम्युनिस्ट नेता थे. राजनीति में उनकी साफ़-सुथरी छवि होने कारण 1971 में नगर पालिका चुनाव में उन्हें निर्विरोध चुना गया था. इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी रिश्ते में मुख़्तार के चाचा लगते हैं.
कृष्णानंद राय हत्याकांड में सामने आया था मुख़्तार का नाम
2002 के विधानसभा चुनाव में मुख़्तार अंसारी का भाई अफजाल मोहम्मदाबाद सीट से भाजपा के कृष्णानंद राय से चुनाव हार गया. यह बात मुख़्तार को नहीं पची उसने विधायक की ही हत्या करवा दी. दरअसल विधायक कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमला ऐसी सड़क पर हुआ. जहां दाएं-बाएं गाड़ी मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने AK-47 से लगभग 500 गोलियां चलाईं और कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। लेकिन गवाहों के मुकर जाने से ये मामला नतीजे पर न पहुंच सका.
योगी सरकार ने कसा शिकंजा
मुख़्तार अंसारी पर यूपी में 52 केस दर्ज हैं. यूपी सरकार की कोशिश 15 केस में मुख़्तार को जल्द सजा दिलाने की थी. यूपी सरकार अब तक उसके गैंग की 192 करोड़ से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर ली है. मुख़्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है.