दो साल पहले सरकारी सहायता के बावजूद एमटीएनएल को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, सरकार को ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा
नरेंद्र मोदी सरकार सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल (MTNL) का संचालन बीएसएनएल को सौंपने पर विचार कर रही है। एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में सेवाएं प्रदान करता है। दो साल पहले सरकारी सहायता के बावजूद एमटीएनएल को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
यह महज एक बिजनेस ट्रांसफर
सूत्रों के मुताबिक, सचिवों की समिति (CoS) पहले इस प्रस्ताव पर विचार करेगी। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए मंत्रिपरिषद के पास भेजा जाएगा। एक सूत्र ने कहा, ‘दोनों कंपनियां विलय नहीं कर रही हैं इसलिए एमटीएनएल को डीलिस्ट करने की कोई जरूरत नहीं है। विलय की स्थिति में, MTNL को डीलिस्ट करना होगा और कुछ शेयर वापस खरीदने होंगे। अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि यह महज एक बिजनेस ट्रांसफर है। एमटीएनएल के खराब प्रदर्शन के बावजूद कंपनी के शेयर पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है। भारी घाटे और ग्राहक आधार में गिरावट के बावजूद, पिछले एक साल की अगर बात की जाए तो बीएसई पर एमटीएनएल के शेयरों में 139% की बढ़त हुई है। 12 जुलाई 2014 को जहां यह 19.4 रुपये थी, तो वहीं आज 46.3 रुपये है।
MTNL इसका लाभ नहीं उठा सका
पिछले दशक में दूरसंचार उद्योग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। हालांकि, MTNL इसका लाभ नहीं उठा सका। इसकी बाजार हिस्सेदारी और व्यावसायिक प्रभाव कम हो गया है। बीएसएनएल के मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। ब्रॉडबैंड सहित वायरलाइन उद्योग में एमटीएनएल की हिस्सेदारी में इस साल अप्रैल के अंत में गिरावट आई। अप्रैल 2014 में 12.5% से 6% हो गया। वहीं, मोबाइल उद्योग में कंपनी की हिस्सेदारी घटकर लगभग 0.2% रह गई, जबकि दस साल पहले यह लगभग 0.4% थी।
दोनों कंपनियां संघर्ष कर रही
बीएसएनएल के रोजमर्रा के कामकाज को सौंपने के प्रस्ताव से एमटीएनएल के शेयर पर असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल भूमि और भवन ही एमटीएनएल की संपत्ति के रूप में रहेंगे। दूरसंचार विभाग (DoT) दोनों कंपनियों के एकीकरण में तेजी लाने की जल्दी में है। दोनों कंपनियां संघर्ष कर रही हैं। उनके पुनरुद्धार की कोई उम्मीद नजर नहीं आती।