बालाघाट। कहते है कि जिनके अंदर काबियत होती है उनके सामने सफलता नत्मस्तक होती है। ऐसी ही सफलताओं में सुमार एमपी के बालाघाट की रहने वाली बेटी सुश्री सुमा उइके भी शामिल है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में सुमा उइके की तरीफ की तो हर कोई सुमा और उनकी सफलता को जानने के लिए उत्साहित हैं। बालाघाट की रहले वाली सुश्री सुमा उइके, जिन्होंने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मशरूम उत्पादन, पशुपालन और ‘दीदी कैंटीन’ जैसे उद्यमों से आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की। इतना ही नही उन्होने अन्य महिलाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करके रोजगार से जोड़ने का काम कर रही है।
सुमा को लेकर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के 123वें एपिसोड में सुमा उईके की बात करते हुए कहा कि बालाघाट जिले की सुमा उईके स्व सहायता समूह से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन का प्रशिक्षण लिया. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी आय बढ़ाई और छोटे-छोटे प्रयासों से न केवल स्वयं को सशक्त बना रही हैं, बल्कि देश को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
ऐसे कर रही सफर
सुमा उईके मध्य प्रदेश के बालाघाट के कटंगी ब्लॉक के छोटे से गांव भजियापार की रहने वाली हैं और वो आजीविका मिशन से जुड़ कर स्वयं सहायता समूह का संचालन करती हैं। वे मशरूम उत्पादन का कार्य करती हैं. उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की है। सुमा वर्ष 2014 में स्व सहायता समूह से जुड़ी, फिर 2017 में आजीविका मिशन से जुड़ी। इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में ट्रेनिंग ली. यहां से ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने की चाहत हुई. इसके लिए वो कई जगहों पर ट्रेनिंग की और थर्मल थेरेपी की स्किल्स सीखी।
2000 लोन लेकर शुरू की मशरूम की खेती
सुमा ने सबसे पहले 2000 लोन लेकर अपने ही घर पर आयस्टर मशरूम की खेती वर्ष 2021 मे शुरू किया था। जिसे उन्होंने एक वर्ष तक लगातार किया और अपने ग्राम स्तर पर एक आजीविका का साधन बनाया, लेकिन लॉकडाउन लगने पर मशरूम की बिक्री कम हो जाने से खेती बंद करना पड़ा. उन्होने 2022 में जनपद पंचायत कटंगी परिसर में दीदी कैंटीन चालू किया।
इसी बीच उन्होने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के लिए अप्लाई किया. लोन मिलते ही उन्होंने कटंगी शहर में अपना आजीविका थर्मल थेरेपी सेंटर शुरू किया, जिससे वो आत्मनिर्भर बनी और दूसरे को रोजगार मुहैया कराया. सुमा उईके आज मशरूम की खेती के साथ-साथ पशुपालन भी कर रही है। बता दें कि सूमा की आय बढ़ी तो उन्होंने अपने काम का विस्तार भी किया. छोटे से प्रयास से शुरू हुआ ये सफर अब दीदी कैंटीन और थर्मल थैरेपी सेंटर तक पहुंच चुका है।