MPPSC New Interview Format: राज्य सेवा परीक्षा 2023 के इंटरव्यू तय समय पर 7 जुलाई से शुरू होंगे। नए फॉर्मेट को बेहद सरल और छोटा बनाया गया है, जिसमें उम्मीदवारों की कैटेगरी, सरनेम आदि की जानकारी नहीं मांगी जाएगी। इंटरव्यू बोर्ड पर उठने वाले सवालों को दूर करने के लिए आयोग ने फॉर्मेट में बदलाव किया है। अब केवल एक पेज की जानकारी मांगी जाएगी
MPPSC New Interview Format: मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग (PSC) ने इंटरव्यू के दौरान ली जाने वाली जानकारी के फॉर्मेट को सरल और संक्षिप्त कर दिया है। पहले यह फॉर्मेट पांच पन्नों का था, जिसे अब घटाकर एक पेज कर दिया गया है। नए फॉर्मेट के अनुसार, उम्मीदवारों को अब केवल एक पेज का फॉर्म भरना होगा। पिछले कुछ समय से उम्मीदवार इंटरव्यू प्रक्रिया में भेदभाव के आरोप लगा रहे थे। उनका दावा था कि PSC बोर्ड में इंटरव्यू के अंक उम्मीदवारों के सरनेम और कैटेगरी के आधार पर तय किए जाते हैं।
आयोग के ओएसडी डॉ. रविंद्र पंचभाई ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इंटरव्यू के लिए नए फॉर्मेट को जारी कर दिया गया है। राज्य सेवा परीक्षा 2023 के इंटरव्यू तय समय पर 7 जुलाई से शुरू होंगे। नए फॉर्मेट को बेहद सरल और छोटा बनाया गया है, जिसमें उम्मीदवारों की कैटेगरी, सरनेम आदि की जानकारी नहीं मांगी जाएगी। आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है और उम्मीदवारों के सुझावों पर विचार कर समय-समय पर बदलाव करता है।
7 जुलाई से शुरू होंगे इंटरव्यू
PSC के अनुसार, राज्य सेवा परीक्षा 2023 के इंटरव्यू 7 जुलाई से शुरू होंगे। इंटरव्यू बोर्ड पर उठने वाले सवालों को दूर करने के लिए आयोग ने फॉर्मेट में बदलाव किया है। पहले पांच पन्नों के फॉर्म में उम्मीदवारों से कई जानकारियां ली जाती थीं, जैसे पूरा नाम (सरनेम सहित), कैटेगरी आदि। अब केवल एक पेज की जानकारी मांगी जाएगी।
मिडिल और सरनेम हटाए गए
नए फॉर्मेट में प्रत्येक उम्मीदवार को एक कोड दिया जाएगा, जो आयोग फॉर्म पर लिखेगा। उम्मीदवार का नाम बिना मिडिल और सरनेम के होगा। निवास स्थान के लिए केवल शहर का नाम देना होगा। शैक्षणिक योग्यता, एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियां (एनसीसी, एनएसएस), विशेष योग्यता, कार्यानुभव, उपलब्धियां, हॉबीज और शासकीय सेवा में आने का उद्देश्य जैसी जानकारियां देनी होंगी। यह एक पेज की जानकारी ही इंटरव्यू बोर्ड को दी जाएगी।
नेता या अधिकारी के बेटे को अधिक अंक के आरोप
आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि लिखित परीक्षा में अच्छे अंक लाने के बावजूद कई उम्मीदवार इंटरव्यू में कम अंक मिलने के कारण टॉपर नहीं बन पाते। कई बार कम कुल अंकों के कारण डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पदों की बजाय तृतीय श्रेणी के पदों पर चयन होता है। उम्मीदवारों का आरोप था कि PSC बोर्ड भेदभाव करता है और सरनेम, कैटेगरी या प्रभावशाली व्यक्ति, नेता, अधिकारी के बेटे-बेटियों को अधिक अंक दिए जाते हैं। नया फॉर्मेट लागू करने का कदम पारदर्शिता बढ़ाने और भेदभाव के आरोपों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनकी योग्यता और प्रदर्शन के आधार पर होगा।