MP Salry Scam : मध्य प्रदेश में शुक्रवार को हड़कंप तब मच गया जब एक प्रशासनिक दस्तावेज ने पूरे महकमे में सभी की नींद उड़ा दी। ये दस्तावेज एक मीडिया संस्थान के हाथ लगे हैं, जिसमें ₹230 करोड़ का घोटाले की बात की गई है। ये घोटाला 50,000 ऐसे कर्मचारियों से जुड़ा है, जो फाईलों में तो दर्ज हैं मगर दफ्तर में दिखाई नहीं देते। इन कर्मचारियों के नाम वेतन तो जारी होता है, मगर उन कर्मियों की न तो कोई पहचान है और न कोई मौजूदगी है, बस केवल कागजों में ही जिंदा है। राज्य सरकार इन भूत कर्मियों को वेतन देने में 230 करोड़ रूपये खर्च कर रही है। अगर, इस मामले में जाँच होती है और जाँच में उठ रहें आरोप सही निकलते हैं तो मध्य प्रदेश के इतिहास में यह पहला इतना बड़ा घोटाला होगा।
एमपी में तहखाने में दबी सरकारी फाईलें | Madhya Pradesh salry News
मध्य प्रदेश में सरकारी फाइलों के तहखाने में दबी एक ऐसे रहस्य का खुलासा (MP Salry Scam) हुआ है जिसे राज्य सरकार की रातों की नींदे उड़ा दी है। मध्य प्रदेश के सरकारी डेटा में 50,000 कर्मचारी ऐसे दर्ज हैं, जिनके नाम पर सक्रिय एम्प्लॉयी कोड तो हैं लेकिन उनकी जमीनी उपस्थिति, पहचान या पदस्थापन का कोई रिकॉर्ड नहीं। यानी वो कागजो में ही केवल जिंदा है, वास्तव में वो हैं ही नहीं।
कांग्रेस ने उठाया ‘भूत कर्मचारियों’ पर से पर्दा
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य में 50000 से ज्यादा ऐसे कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया जा रहा है जो वास्तव में कहीं है ही नहीं। मध्य प्रदेश में 50000 खुद कर्मचारियों के वेतन से जुड़े घोटाले को कांग्रेस ने उजागर किया है। कांग्रेस ने दावा किया कि राज्य सरकार 12,000 करोड़ रुपये की राशि का गबन हो गया।
मध्य प्रदेश ने जारी किये जाँच के आदेश | what is MP Salry scam
राजनीति में 230 करोड़ रुपये के घोटाले की आंच पहुंचते ही मध्य प्रदेश सरकार ने मामले में जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि निष्पक्ष जाँच होगी, लेकिन विपक्षी पार्टी सीबीआई जांच की मांग कर रही है। कांग्रेस के इस आरोप के बाद, मध्य प्रदेश में सरकारी वेतन प्रणाली को लेकर अविश्वसनीयता का एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इसी को लेकर कांग्रेस ने 12,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप लगाते हुए का यह मध्य प्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है।
MP Salry Scam क्या है?
मध्य प्रदेश सरकार के HRMS सिस्टम में 40,000 रेगुलर कर्मचारी 10,000 टेम्परेरी स्टाफ हैं। इन 50,000 कर्मचारियों की सैलरी दिसंबर 2024 के बाद से जारी नहीं हुई, लेकिन इनके एम्प्लॉयी कोड आज भी एक्टिव हैं। यानी ये कोड किसी भी दिन फिर से सैलरी निकालने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। ₹230 करोड़ की सैलरी फ्रीज़ है लेकिन शक कहीं ज्यादा बड़े नेटवर्क पर है। 6,000 से अधिक DDOs (Drawing and Disbursing Officers) की भूमिका जांच के दायरे में है।
यह भी पढ़े : Elon Mask Trump Breakup : मदद, चुनाव, दोस्ती, धोखा! कितने साल चली ट्रंप और मस्क की दोस्ती? पॉइंट्स में समझे