यूपी के नक्शे कदम पर एमपी की राजनीति!

CM Mohan Yadav Cabinet

CM Mohan Yadav Cabinet: मध्य प्रदेश की राजनीति अब उतर प्रदेश के नक्शे कदम में चल पड़ी है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उतर प्रदेश की तरह डिप्टी सीएम का फार्मूला लागू करने के बाद प्रदेश में अब मंत्रियों के विभाग बंटबारे में भी यूपी का फार्मूला नजर आया है. उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी गृह विभाग अपने पास रखा है. खैर यूपी में क्राइम कंट्रोल की भी एक बड़ी वजह इसे ही माना जाता है.

MP Politics: मध्य प्रदेश की राजनितिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही है. इससे पहले उमा भारती, बाबू लाल गौर, शिवराज सिंघी चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस विभाग को अपने पास नहीं रखा था. इस बार के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान में उतरा था. जिस वजह विभाग बटवारे में काफी दिक्कतें आ रही थी. कौनसा विभाग किसे देना है,यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, प्रह्लाद पटेल जैसे कद्दावर नेताओं की वजह से विभागों का बटवारा दिल्ली से हुआ देरी होने की मुख्य वजह यही है.

केंद्रीय नेतृत्व ने भी विभागों के बटवारे में नेताओं के अनुभवों को ध्यान में रखा, लेकिन चार बड़े पद मुख्यमंत्री को देकर यह संदेश भी दे दिया है कि डॉ मोहन यादव ही सबसे ताकतवर रहेंगे। सामान्य प्रशासन, गृह, उद्योग निति एवं निवेश, जनसम्पर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन, खनिज, लोकप्रबंधन, प्रवासी भारतीय जैसे ताकतवर विभाग मुख्य मंत्री मोहन यादव के पास रहेंगे।

इन तीन मंत्रियों को प्रमोशन, जानिए वजह

MP Ministers Portfolio: पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रहे जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को डिप्टी सीएम बनाकर पहले सोशल इंजीनियरिंग को साधा गया और अब विभाग के बंटवारे में भी दोनों का कद कम नहीं किया गया। देवड़ा को संघ की पसंद हैं, उन्हें वित्त, वाणिज्य कर, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजेंद्र शुक्ल से भले ही जनसंपर्क विभाग वापस ले लिया गया है, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले कार्यकाल में दोनों ही मंत्री किसी भी कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं रहे। इसी तरह स्कूल शिक्षा मंत्री रहे इंदर सिंह परमार को अब उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिवराज सरकार में यह विभाग डॉ. मोहन यादव के पास था। वे भी संघ के करीबी माने जाते हैं।

इन दो मंत्रियों का कद घटा

सिंधिया गुट से आने वाले गोविंद सिंह राजपूत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। शिवराज सरकार में उनके पास दो बड़े विभाग परिवहन व राजस्व थे। इसी तरह 8 बार के विधायक विजय शाह के पास पिछले कार्यकाल में वन जैसा बड़ा महकमा था, लेकिन इस बार उन्हें जनजातीय कार्य और लोक परिसम्पत्ति एवं प्रबंधन विभाग दिया गया है। विजय शाह पिछले कार्यकाल में कई मौकों पर विवाद में भी रहे। हाल ही में चिकन पार्टी को लेकर वे विवाद में आए थे।

ज्योतिरादित्य समर्थक इन मंत्रियों का विभाग यथावत

विभागों के बंटवारे में मंत्रियों के पिछले कार्यकाल की परफॉर्मेंस को भी आधार बनाया गया है। यही वजह है कि सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट को जल संसाधन और प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा विभाग दिए गए हैं। शिवराज सरकार में भी दोनों मंत्रियों के पास यही विभाग थे।

एक मंत्री का विभाग बदला, लेकिन कद बरकरार

विश्वास सारंग, शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा व गैस राहत मंत्री थे। चार बार के विधायक विश्वास सारंग का विभाग भले ही बदल दिया गया है, लेकिन उनके कद के हिसाब से विभाग दिया गया है। उन्हें सहकारिता और खेल एवं युवा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पूर्व सांसदों को भी बड़े विभाग

चार बार के सांसद एवं BJP के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को PWD जैसा भारी भरकम विभाग दिया गया है। यह विभाग लगातार 8 बार विधानसभा का चुनाव जीते (अब 9वीं बार) सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव के पास था। इसी तरह राव उदयप्रताप सिंह को परिवहन के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षा विभाग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी मंत्री को दिया जाता है। साफ है कि पहली बार विधायक बने दोनों पूर्व सांसदों पर पार्टी ने भरोसा जताया है।

जाति के हिसाब से विभाग बटवारा

दो मंत्री विजय शाह को जनजाति कल्याण और कृष्णा गौर (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग दिया गया है। शाह खुद जनजाति समुदाय और गौर (यादव) ओबीसी वर्ग से आती हैं।

10 नए चेहरों में से 6 को स्वतंत्र प्रभार

डॉ. मोहन कैबिनेट में 10 नए चेहरों को जगह मिली है। सभी को राज्यमंत्री बनाया गया है। इनमें से 6 मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। कृष्णा गौर और धर्मेंद्र लोधी को बड़े विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

गौर को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्धघुमन्तू विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से ओबीसी मुद्दे के कारण यह अहम है। धर्मेंद्र लोधी को संस्कृति, पर्यटन एवं धार्मिक न्यास जैसा विभाग सौंपा गया है। इस विभाग पर संघ की नजर रहती है। पहले यह विभाग संघ की करीबी उषा ठाकुर के पास था।

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