MP NEWS:सरकार विकास के बड़े -बड़े दावे करती है. लेकिन जमीन पर हकीकत यह है कि लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है. बैतूल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है। यहाँ दूर दराज तक कोई पक्की सड़क नहीं है. जिससे लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहरों की चमचमाती सड़कों को देखकर हम सबको ये लगता है कि हमारा प्रदेश तरक्की के पथ पर है. लेकिन गांवों से आने वाली तस्वीरें ऐसे सारे दावों की पोल खोल रही हैं. गुरुवार को एक ऐसी ही तस्वीर आई है एमपी के बैतूल जिले से. जहां एक गांव में सड़क न होने की वजह से गर्भवती महिला को बैलगाड़ी की मदद लेनी पड़ी. स्थानीय महिलाओं ने कड़ी मशक्कत के बाद पीड़िता को जननी एक्सप्रेस तक लेकर पहुंची.
इस बीच प्रसव पीड़ा होने पर एम्बुलेंस में ही महिला का प्रसव कराया गया। बता दें, शाहपुर ब्लॉक के धांसई गांव निवासी महिला को प्रसव पीड़ा होने पर ग्रामीण अस्पताल ले जा रहे थे. लेकिन सड़क नहीं होने की वजह से गर्भवती महिला को बैलगाड़ी से एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. जहां रास्ते में ही महिला को प्रसव पीड़ा हो गई, जिससे 108 एंबुलेंस के टेक्निकल स्टाफ ने सुरक्षित डिलीवरी करवाई. दोनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. जहां जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित है.
ये मामला बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी विधानसभा के धांसई गांव का है. ये गांव बैतूल जिले की सीमा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लगा है. शाहपुर ब्लॉक के इन गांव से सबसे ज़्यादा खनिज निकलता है, लेकिन खनिज मद का पैसा अन्य गांवों के विकास कार्य पर खर्च हो रहा है..