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वाह एमपी सरकार! शराब कंपनियों को बेच रहे गरीबों का निवाला

मध्य प्रदेश से एक बड़ी लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. जहां 26 जिलों के गोदामों में रखा हुआ एक लाख 18 हजार 741 क्विंटल अनाज सड़ गया. और हैरानी की बात ये है कि विभागीय मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत को इतनी भारी मात्रा में अनाज सड़ जाने की जानकारी नहीं है. प्रदेश में अनाज भण्डारण का जिम्मा नागरिक आपूर्ति निगम का है जिन्हे कायदे से विभाग में होने वाली हर गतिविधि का ब्यौरा मंत्रियों को देना होता है लेकिन करोड़ों रुपए का अनाज रखे – रखे सड़ गया और मंत्री को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक अनाज की स्थिति ऐसी हो गई है कि ये पशुआहार भी नहीं बन सकता। लापरवाह विभागीय अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को राजी नहीं है ,उनपर कार्रवाई की तलवार लटक रही है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस सड़े हुए अनाज भंडार का क्या होगा ? और जो राजस्व घाटा हुआ है उसकी भरपाई कैसे होगी?

एमपी में सड़ गया 1 लाख 18 हजार क्विंटल अनाज


गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने साल 2015 से 2023 तक, किसानों से खरीदा गया अनाज, जैसे चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, और मक्का, राज्य के 26 जिलों के 170 गोदामों में स्टोर किया था. इन्हे स्टोर करने से लेकर बेचने तक की जिम्मेदारी नागरिक आपूर्ति निगम की थी. गोदामों में ये 1 लाख 18 हजार 741 क्विंटल अनाज को बेचने के लिए, नागरिक आपूर्ति निगम ने 6 बार टेंडर जारी किया मगर कोई खरीदार मिला ही नहीं। नान ने पहले 2021 में 6 और 16 दिसंबर को टेंडर जारी किया, इसके बाद 2023 में 25 मई और 8 अगस्त को, फिर इसके बाद चालु वर्ष यानी 2024 में 21 मार्च और 23 अगस्त को टेंडर प्रकाशित किया गया मगर स्टॉक क्लियरेंस नहीं हो पाया। अनाज वक़्त पर बिना नहीं, उसका रखरखवाव सही ढंग से नहीं किया गया और अनाज सड़ गया. ये अनाज भंडारण, रीवा, शहडोल, भोपाल, भिंड, श्योपुर, दमोह, अनूपपुर, रायसेन, भिड़वानी, मुरैना जैसे 26 जिलों में रखा गया था।

मंत्री को खबर तक नहीं

ये बड़ी अफ़सोस की बात है कि एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार लोगों को मुफ्त राशन बंटाने का काम करती है, समर्थन मूल्य में बाजार की कीमत से ज्यादा पैसे देकर किसानों से अनाज खरीदती है और वो गोदाम में पड़े – पड़े सड़ जाता है. और इससे भी ज्यादा अफ़सोस की बात ये है कि प्रदेश सरकार के मंत्रियों को इतनी बड़ी लापरवाही होने की भनक तक नहीं लगने दी जाती है। इस पूरे मामले में विभागीय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी तक नहीं! मंत्री राजपूत, जो खुद निगम के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें न टेंडर की जानकारी दी गई और न ही खराब अनाज की रिपोर्ट।

कुपोषण में टॉप पर है एमपी

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पोषण ट्रैकर जून 2024 के आंकड़ों के अनुसार एमपी में 27 % बच्चे कुपोषित हैं जो देश में सर्वाधिक है, फिर भी अनाज सड़ रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एमपी सरकार को यही एक किलो गेंहू 30 रुपए का पड़ता है. समर्थन मूल पर खरीदी, परिवहन फिर भंडारण और इसके सड़ने के बाद इसे 2 रुपए से 16 रुपए तक बेचा जाता है. और इस राजस्व घाटे की भरपाई करना नामुमकिन होता है.

भोपाल अनाज सड़ाने में सबसे आगे

खाद्य विभाग के आंकड़े ये बताते हैं कि 2020 – 21 से लेकर 2023-24 तक 16 . 34 लाख तन अनाज खराब होने की वजह से FCI इसे लेने से मना कर चुका है. ये अनाज के सड़ने की कोई पहली घटना नहीं है हर साल यही होता है, कुछ नहीं होता है तो वो है सुधार। राजधानी भोपाल अनाज सड़ने के नाम पर टॉप में है. यहां पिछले चार सालों में 9 लाख 84 हजार टन अनाज की बर्बादी हुई है. इसके बाद जबलपुर फिर उज्जैन, इंदौर और सतना , सागर ग्वालियर का नाम आता है. आश्चर्य की बात ये है कि इतने बड़े – बड़े नुकसान होने के बाद भी एक भी अफसर को दोषी नहीं पाया जाता, कार्रवाई की मार सिर्फ गोदाम सहायकों पर पड़ती है.

अब शराब कंपनियों को लुभाने में लगे

सवाल ये है कि इतनी बड़ी संख्या में इस सड़े हुए अनाज भंडार को ठिकाने कैसे लगाया जाएगा ? इन्हे तो जानवरों के आहार के योग्य भी नहीं माना जा रहा? अनाज सड़के का कारण ये भी है कि भंडारण केंद्रों में न सिर्फ 2021 से 24 के बीच खरीदा गया अनाज था बल्कि 2015 से 2020 के बीच खरीदा हुआ स्टॉक भी था. जो पहले से सड़ा हुआ था लेकिन उसे गोदाम से बाहर नहीं निकाला गया. अब इसकी भरपाई तो होना मुमकिन नहीं है इसी लिए नागरिक आपूर्ति निगम औने पौने दामों में इन सड़े हुए अनाज के भंडारों को शराब निर्माता कंपनियों को बेचने में लगी हुई है.

अब मंत्री जी को अनाज के सड़ने के बाद जानकारी मिली है तो उन्होंने जांच की बात कही है. लेकिन कुछ जिम्मेदारी तो इनकी भी बनती है कि इतनी बड़ी लापरवाही हुई कैसे ? इस मामले में असली दोषी कौन है? नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी या निजी ठेकेदार,

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