Maoists Surrender: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे इलाकों में माओवादी गतिविधियां अब तेजी से सिमट रही हैं। बालाघाट जिले में लगातार बड़े पैमाने पर माओवादी सरेंडर कर रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र माओवाद-मुक्त होने की दहलीज पर खड़ा है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में भी कई हार्डकोर माओवादियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। सुरक्षा बलों और राज्य सरकारों के संयुक्त अभियान को यह अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक माना जा रहा है।
Maoists Surrender: बालाघाट-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर माओवादी संगठन को लगातार तगड़े झटके लग रहे हैं। पिछले 11 दिनों में कुल 33 हार्डकोर माओवादी हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट चुके हैं। रविवार को KB डिवीजन के 10 माओवादियों के सरेंडर के ठीक अगले दिन सोमवार को 16 और माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें 45 लाख का इनामी केंद्रीय कमेटी सदस्य (CCM) रामधेर मज्जी भी शामिल है।
SP ने किया खबर को खारिज
सबसे बड़ी खबर बालाघाट के मोस्ट वांटेड माओवादी दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मंगल सिंह उर्फ मेहत्तर उइके की है। सोमवार को उसने अपने तीन साथियों के साथ लांजी क्षेत्र की देवरबेली पुलिस चौकी में हथियार डाल दिए। सूत्रों के अनुसार चारों को कड़ी सुरक्षा में जिला मुख्यालय लाया जा रहा है और उन्हें IG बंगला में रखकर सरेंडर की आगे की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। हालांकि बालाघाट के पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने दीपक के सरेंडर की खबर को पूरी तरह खारिज कर दिया है और कहा है कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
11 माओवादियों ने किया सरेंडर
इधर, छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में सोमवार सुबह करीब सात बजे एक और बड़ा सरेंडर हुआ। MMC जोन प्रभारी एवं CCM रामधेर मज्जी ने 11 साथियों के साथ मिलकर हथियार सौंप दिए। इस दल में 8-8 लाख के इनामी DVCM चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम, 5-5 लाख के इनामी ACM रामसिंह दादा व सुकेश पोट्टम तथा 2-2 लाख की इनामी लक्ष्मी, शीला, सागर, कविता व योगिता शामिल हैं। बालाघाट के राशीमेटा गांव के 65 वर्षीय संपत भी इसी ग्रुप में थे, जो कई सालों से सरेंडर करना चाहते थे। इन लोगों ने कुल 10 हथियार सौंपे, जिनमें AK-47, इंसास, SLR, .303 राइफल और .30 कैलिबर कार्बाइन शामिल हैं।
33 माओवादी मुख्यधारा में लौट आए
पिछले 11 दिनों का हिसाब देखें तो आंकड़ा बेहद प्रभावशाली है। 28 नवंबर को MMC जोन प्रवक्ता अनंत उर्फ विकास सहित 11 माओवादी महाराष्ट्र के गोंदिया में सरेंडर कर चुके थे। 7 दिसंबर को KB डिवीजन के हार्डकोर माओवादी कबीर, विकास सहित 10 लोग हथियार छोड़ चुके थे। अब 8 दिसंबर को रामधेर के 12 और दीपक के 4 लोगों के साथ कुल मिलाकर 33 माओवादी मुख्यधारा में लौट आए हैं।
“मिशन 2026” तय समय से काफी पहले पूरा हो सकता है।
पुलिस और खुफिया सूत्रों का दावा है कि बालाघाट के घने जंगलों में अब कोई बड़ा सक्रिय माओवादी नहीं बचा है। दीपक के बाद अब सिर्फ दो रास्ते शेष हैं – सरेंडर या मुठभेड़। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को ही जनवरी 2026 तक बालाघाट को पूरी तरह माओवादमुक्त बनाने का संकल्प लिया था। लगातार हो रहे इन सरेंडर से साफ है कि “मिशन 2026” तय समय से काफी पहले पूरा हो सकता है।
रामधेर जैसे शीर्ष CCM का समर्पण MMC जोन के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि बालाघाट से लाल आतंक अब लगभग समाप्ति की कगार पर है और जल्द ही सिर्फ आधिकारिक घोषणा बाकी रह जाएगी।
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