MP Ladli Behna Yojana Ki Rashi Kab Badhegi | एमपी में लाड़ली बहना स्कीम को लागू हुए लगभग दो साल हो चुके हैं, तब राज्य के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान ने यह वादा किया था कि इस योजना की रकम 1 हजार रुपए से बढ़ाकर 3 हजार रुपए की जाएगी, बाद में 250 रुपए बढ़ाए गए और अमाउंट को 1250 रुपए कर दिया गया, हालांकि सीएम मोहन यादव भी यह कह चुके हैं कि वह वादे के अनुसार लाड़ली बहना योजना की हितग्राहियों के खाते में तीन हजार रुपए डालेंगे लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया की कब?
बात कुछ ऐसी है कि एमपी से शुरू हुई लाड़ली बहना स्कीम को बीजेपी ने मिलते जुलते नामों से दूसरे राज्यों में भी चुनाव जीतने के लिए शुरू किया है. महाराष्ट्र में इस योजना को लाड़की बहिन योजना के नाम से जाना जाता है, छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना, हरियाणा में इसे लाडो लक्ष्मी, और दिल्ली में इसका नाम महिला समृद्धि योजना है. स्कीम वही है लेकिन इनके नाम अलग अलग हैं और महिलाओं के खाते में भेजे जाने वाली राशि भी अलग अलग है.
एमपी में इस योजना के तहत 18 से 60 वर्ष तक की महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने 1250 रुपए डाले जाते हैं, लेकिन दिल्ली में बीजेपी की सरकार ने इसी योजना के तहत 2500 रुपए देने का वादा किया है, महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार 1500 रुपए देती है, हरियाणा में 2100 रुपए, जबकि बीजेपी ने झारखण्ड चुनाव जीतने के लिए भी गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपए देने का वादा किया था. छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो बीजेपी सरकार इस योजना के तहत सबसे कम राशि एमपी की ही लाड़ली बहनों को दे रही है.
बगावत के बिगुल की आशंका के चलते MAYAWATI ने AKASH को निकाला?
ऐसे में यही मुद्दा PCC चीफ जीतू पटवारी ने भी उठाया है। उन्होंने मोहन सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि, योजना लॉन्च हुए दो साल हो गए, एमपी सरकार ने योजना की राशि बढ़ाने की बात भी कही लेकिन हर बार यह बात, बयान से आगे नहीं बढ़ पा रही है, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 1500 रुपए, हरियाणा में 2100 रुपए दिए जा रहे हैं, दिल्ली में 2500 दिए जाएंगे, लेकिन मध्य प्रदेश की बहनों के साथ अन्याय क्यों हो रहा है? जीतू पटवारी ने आगे कहा, जहां भाजपा नहीं है वहां भी महिलाओं के सम्मान में कमी नहीं है, कर्नाटक में 2000, तेलंगाना में 2500 और झारखण्ड में भी 2500 रुपए दिए जा रहे हैं। इसी लिए यह पूछना पड़ता है, मध्य प्रदेश क्यों पिछड़ रहा है?
देखा जाए तो जीतू पटवारी के आरोपों में फैक्ट्स तो हैं, दूसरे बीजेपी शाषित राज्यों में महिलाओं को उस राज्य की महिला हितग्राहियों से ज्यादा पैसे दिए जा रहे हैं जहां से इस योजना की शुरुआत हुई. एमपी में बीजेपी की जीत का कारण इसी योजना को माना जाता है, जहां इस योजना के एलान के बाद बीजेपी को महिलाओं के 50 फीसदी वोट मिले, कई सीटों में 100 फीसदी महिला वोटर्स ने वोट डाले। और अगले चुनाव में भी यही योजना और यही महिला वोटर्स ही निर्णायक होने वाली हैं.
खैर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आगामी बजट सत्र में एमपी की लाड़ली बहनों को दी जाने वाली राशि में 250 रुपए और जोड़कर इसे 1500 रुपए तक बढ़ाए जाने का प्रावधान किया जा सकता है. लेकिन ऐसा करके एमपी सरकार का सालाना भार 3810 करोड़ रुपए और बढ़ जाएगा, वर्तमान में सरकार 1 करोड़ 27 लाख महिलाओं के खाते में 1250 रुपए डाल रही है, इस योजना पर सरकार हर महीने लगभग 1600 करोड़ रुपए खर्च कर रही है जो सालाना लगभग 19 हजार 200 करोड़ रुपए होता है।
यूरिन टेस्ट से कैंसर की पहचान करने दक्षिण कोरिया एमपी में बनाऐगा किट, प्रतिनिधि मंडल ने सीएम को बताया प्लान
ऐसा माना जा रहा है कि एमपी में रक्षा बंधन के मौके पर यह रकम बधाई जा सकती है, बात करें 3000 रुपए खाते में डालने के वादे की तो सरकार इस वाडे से मुकर तो नहीं सकती है, एमपी सरकार यह वादा पूरा तो करेगी क्योंकी 27 में निकाय चुनाव भी होने हैं. लेकिन इस बात को कोई नाकर नहीं सकता है कि दूसरे राज्यों की तुलना में बीजेपी सरकार एमपी की लाड़ली बहनों को कम राशि दे रही है। जनता भी यह सवाल पूछती है कि जब बीजेपी की सरकार एक देश एक कानून की बात कहती है, एक देश एक चुनाव की बात कहती है तो एक सरकार एक योजना क्यों नहीं कहती?वैसे जीतू पटवारी के इन आरोपों पर हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और मध्य प्रदेश से जुडी ऐसी ही खबरों के लिए शब्द सांची के साथ बने रहें.