आदेश के अनुसार भिक्षुओं को भीख स्वरुप कुछ भी देना या नाबालिग बच्चों से किसी प्रकार का सामान खरीदना दंडनीय अपराध होगा. जो भी व्यक्ति भिक्षुओं या नाबालिगों को भीख स्वरुप कोई वस्तु देता है या नाबालिग से कोई वस्तु खरीदता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी।
भिक्षुओं को भिक्षा देने ही नहीं बल्कि उनसे सामान की खरीदी वालों के खिलाफ भी शख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी किया गया है. कलेक्टर ने आदेश में कहा कि भिक्षा वृत्ति/बाल भिक्षा वृत्ति पर नियंत्रण के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 की धारा 163 के तहत यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है. आदेश का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। यह दंड की श्रेणी में आता है.
आदेश के अनुसार भिक्षुओं को भीख स्वरुप कुछ भी देना या नाबालिग बच्चों से किसी प्रकार का सामान खरीदना दंडनीय अपराध होगा. जो भी व्यक्ति भिक्षुओं या नाबालिगों को भीख स्वरुप कोई वस्तु देता है या नाबालिग से कोई वस्तु खरीदता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और 14 सितंबर 2024 तक प्रभाव में रहेगा। दरअसल इंदौर ट्रैफिक सिग्नल, धार्मिक स्थलों, पर्यटक स्थलों, चौराहों सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे स्वयं या अपने परिवारजनों के साथ भीख मांगते देखे गए हैं.
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इसमें अन्य शहरों के बच्चे भी शामिल होते हैं. अधिकतर बच्चे नशे या अन्य गतिविधियों में शामिल रहते हैं. इसी तरह बाल भिक्षा वृत्ति कराने के लिए बच्चों की तस्करी के मामले संज्ञान में आए हैं. बच्चों के सिग्नल पर भिक्षा मांगने के कारण दुर्घटनाएं होने की आशंका से साथ यह एक सामजिक बुराई है. भिक्षा वृत्ति और बाल भिक्षा वृत्ति को रोकने के लिए विभिन्न विभागों के सात टीमें बनाई गई हैं.