MP Highcourt News: इंदौर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को लेकर हाई कोर्ट ने नगर निगम के प्रयासों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने नसबंदी के आंकड़ों पर संदेह जताते हुए घोटाले की आशंका भी जाहिर की है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर न्यायिक जांच शुरू करने और निगम आयुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति की चेतावनी दी गई है।
MP Highcourt News: आवारा पशुओं द्वारा शहर की हरियाली और सार्वजनिक स्थानों को हो रहे नुकसान को लेकर हाईकोर्ट में चल रही जनहित याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर अब तक 2 लाख 39 हजार कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है, तो फिर आवारा कुत्तों की संख्या लगातार क्यों बढ़ रही है?
नसबंदी में घोटाले की आशंका, कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी
याचिका के दौरान कोर्ट ने नसबंदी के आंकड़ों पर संदेह जताते हुए कहा कि यह मामला संदिग्ध है। कोर्ट ने नसबंदी में घोटाले की आशंका जताई और नगर निगम के प्रयासों को अपर्याप्त करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगली सुनवाई तक यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कुत्तों की नसबंदी मामले में न्यायिक जांच भी करवाई जा सकती है।
कोर्ट ने दिए ये निर्देश
- नगर निगम आयुक्त 10 दिनों के भीतर संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाकर कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने की ठोस कार्ययोजना बनाएं।
- सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों संबंधी आदेशों का सख्ती से पालन करें।
- सार्वजनिक स्थानों जैसे 56 दुकान, सराफा बाजार, पर्यटन स्थलों पर प्राथमिकता के आधार पर कुत्तों को हटाने का अभियान चलाएं।
- अगली सुनवाई से पहले आवारा कुत्तों की नसबंदी के आंकड़े और किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारी के शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत करें।
- यदि रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई तो निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना होगा।
याचिकाकर्ता का दावा: पूरा शहर कुत्तों से परेशान
याचिका ‘डूइंग नीडफुल’ संगठन की ओर से एडवोकेट गगन बजाज के माध्यम से दायर की गई है। सुनवाई के दौरान इंटरवीनर बने एडवोकेट मनीष यादव ने कोर्ट को बताया कि पूरा शहर आवारा कुत्तों की समस्या से परेशान है। याचिकाकर्ता का कहना है कि निगम के प्रयास सिर्फ कागजी हैं, जमीन पर कोई ठोस असर नहीं दिख रहा।
न्यायमित्र ने रखे पुराने आदेश
वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर (न्यायमित्र) ने कोर्ट के पूर्व में दिए गए दो आदेशों को पटल पर रखा और कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए किए गए प्रयासों पर सवाल उठाए। अगली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में नगर निगम की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय लेगा। कोर्ट की कड़ी टिप्पणी और चेतावनी के बाद अब निगम पर दबाव बढ़ गया है कि वह आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान निकाले।
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